Devine Stories देव कथाएं

मौनी दीक्षा

एकदा महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे वार्तालाप कर रहे थे ! तभी एक घुमक्कड़ साधु उनके पास आया ;उसने बुद्ध से कहा -भगवन मेरे पास न बुद्धि है न चातुर्य न तो मेरे पास अच्छे शब्द हैं और न ही कुशलता अत: मैं आपसे कोई प्रश्न या जिज्ञासा करने की स्थिति में भी […]

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गुरु निष्ठा

गुरु निष्ठा की पराकाष्ठा – संदीपन मुनि का उच्चतम त्याग

यह एक सत्यकथा है जिससे बेहतर गुरु निष्ठा की पराकाष्ठा का उद्धरण शायद मिल पाना असम्भव हो. गुरु निष्ठा – परिदृश्य प्राचीनकाल में गोदावरी नदी के किनारे वेदधर्म मुनि के आश्रम में उनके शिष्य वेद-शास्त्रादि का अध्ययन किया करते थे। एक दिन गुरु ने अपने शिष्यों की गुरुभक्ति की परीक्षा लेने का विचार किया। सत्शिष्यों में गुरु के

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देर है, अंधेर नहीं

देर है, अंधेर नहीं! – बहुत गूढ़ है यह सत्य

परमपूज्य डॉ विश्वामित्र जी महाराज के मुखारविंद से, देर है, अंधेर नहीं एकदा भगवान श्री कृष्ण भोजन के लिए बैठे हुए थे! एक दो कौर मुँह में लिये ही थे कि अचानक उठ खड़े हुए एवं बड़ी व्यग्रता से द्वार की तरफ भागे… फिर लौट आए… उदास… और भोजन करने लगे! रुक्मणी ने पूछा -प्रभु थाली

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The Yashodhara spirit

Gautam left Yashodhara, his wife in the middle of the night, the night their son was born. When she heard the news, she was devastated. Yet, she did not complain. But her life had lost all meaning. The only reason for her to live now was her son. She wanted him to grow up to be

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