जगत का बोध – सभी को खुश रखना असंभव है
एक सीधा सादा वैरागी साधू जिसे जगत का बोध नहीं था; विचरण करते करते थका, प्यासा हो गया था. चलते चलते एक नदी के पनघट पर पहुंचा, पानी पिया और सुस्ताने का मन हुआ. पत्थर पर सिर रखकर सो गया….!!! पनघट पर पनिहारिन आती-जाती ही रहती हैं !!! वे एक समूह में आईं और साधू […]
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