Meditation ध्यानयोग

तुम ही मैं हूँ, फिर चिन्तन क्या, मैं ही तुम हो, फिर उलझन क्या

तुम ही मैं हूँ, फिर चिन्तन क्या – आलौकिक भजन

तुम ही मैं हूँ, फिर चिन्तन क्या, मैं ही तुम हो, फिर उलझन क्या आदरणीय आलोक सहदेव जी द्वारा श्रीरामशरणम् को समर्पित आलौकिक भजन, तुम ही मैं हूँ, फिर चिन्तन क्या आपजी की सेवा में प्रस्तुत तुम ही मैं हूँ, फिर चिन्तन क्या, मैं ही तुम हो, फिर उलझन क्या तुम ही मैं हूँ, मैं ही तुम […]

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भक्तिमय कर्मयोग

भक्तिमय कर्मयोग – जीवन जीने की आसान कला

परम पूज्य श्री डॉ विश्वामित्र जी महाराज श्री के मुखारविंद से जो अपने आप को, परमात्मा को समर्पित कर देता है, परमात्मा उसे अपने अनुसार चलाता है। यह बहुत गहरा भेद आ जाता है, उसे वह अपने अनुसार चलाता है। कर्मों के अनुसार नहीं चलाता। मानो जो उसके कर्म हैं, संचित भी है, भले ही शास्त्र

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