Spirituality अध्यात्म

Forget the past

Past is a drag on New Thoughts Memories of the past are a mix of good and bad experiences. While we always cherish the good ones. But regret and sorrows also stem from the past bad experiences. If we keep our mind clear like a fresh blank  page, we increase receptivity to new ideas and […]

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तुम ही मैं हूँ, फिर चिन्तन क्या, मैं ही तुम हो, फिर उलझन क्या

तुम ही मैं हूँ, फिर चिन्तन क्या – आलौकिक भजन

तुम ही मैं हूँ, फिर चिन्तन क्या, मैं ही तुम हो, फिर उलझन क्या आदरणीय आलोक सहदेव जी द्वारा श्रीरामशरणम् को समर्पित आलौकिक भजन, तुम ही मैं हूँ, फिर चिन्तन क्या आपजी की सेवा में प्रस्तुत तुम ही मैं हूँ, फिर चिन्तन क्या, मैं ही तुम हो, फिर उलझन क्या तुम ही मैं हूँ, मैं ही तुम

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धीरज की महिमा

धीरज की महिमा

सन्त ने कहा  . . . “मनुष्य में धैर्य हो तो बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।।” आलोचक ने प्रश्न किया  . . . “क्या धैर्य से आप छलनी में पानी को ठहरा सकते हो ? क्या यह सम्भव है ?” सन्त ने उत्तर दिया… ‘पानी’ को ‘बर्फ़’ बनने तक का ‘धैर्य’

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निष्ठा

परमपूज्य डॉ. विश्वामित्र जी महाराज साधक को एक ही मंत्र व एक ही गुरु में निष्ठा होनी चाहिये ! गुरु व मंत्र पर अटूट विश्वास हो उसे विचलित नहीं होना चाहिये ! एक स्थान से मांग पूरी नहीं हुई तुरंत दूसरी जगहमत्था टेकने चले गये ; यह बात नहीं होनी चाहिये ! इधर उधर भटकने

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मौनी दीक्षा

एकदा महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे वार्तालाप कर रहे थे ! तभी एक घुमक्कड़ साधु उनके पास आया ;उसने बुद्ध से कहा -भगवन मेरे पास न बुद्धि है न चातुर्य न तो मेरे पास अच्छे शब्द हैं और न ही कुशलता अत: मैं आपसे कोई प्रश्न या जिज्ञासा करने की स्थिति में भी

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