आपके शरीर की चाहे जो भी प्रकृति हो (वातज, पितज या कफज) आजकल के जीवन में वात दोष प्राय: बढ़ ही जाता है.
क्षमता से अधिक काम करना, तनाव रहना, नींद कम लेना, व्यायाम की कमी सभी; वात रोगों को बढाते हैं.
बड़े शहरों की भागम भाग का जीवन कुछ ऐसा ही होता है, जिसमें न तो नींद पूरी होती है,
व्यायाम के लिए समय नहीं होता और ड्राइविंग जैसे कार्यकलाप अकारण तनाव के कारक बनते हैं.
ऊपर से प्रदूषण और आहारों में मिलने वाले पेस्टिसाइड भी वात रोगों को कुपित करने का काम करते हैं.
40 वर्ष के बाद की आयु से भी वात रोग बढ़ने चालू हो जाते हैं,
और हम पाते हैं ब्लडप्रेशर, अवसाद, अनिद्रा जैसे विकार जो आगे चल कर गंभीर रोगों में परिवर्तित हो जाते हैं.
दशमूल : Dashmoola एक ऐसा विकल्प है जिसके नित्य उपयोग से हर प्रकार के वात रोगों से बचा जा सकता है.
Ingredients
बेल Bilva root (Aegle marmelos),
अग्निमंथ Agnimantha root (Premna integrifolia),
श्योनाक Shyonaka root (Oroxylum indicum),
पाटला Patala root (Stereospermym suaveolens),
कश्मरी Kashmari root (Gmelina arborea),
बृहती Bruhati root (Solanum indicum),
कंटकारी Kantakari root (Solanum xanthocarpum),
शालपर्णी Shalaparni root (Desmodium gangeticum),
पृष्णपर्णी Prishnaparni root (Uraria picta),
Gokshura root (Tribulus terrestris).
Dosage
Half to full teaspoon (2.5-5 grams) to be boiled in a cupful of water, decocted (like tea) and sipped hot or upon cooling.
Packing
120 grams in virgin grade HDPE jar