मन, तन को प्रसन्नचित व वातावरण में पवित्रता का अनुभूति देने में चन्दन की सुगंध का कोई जवाब नहीं. चन्दन के 13 उपयोगी गुण लाभ आपको ज़रूर जानने चाहिये जो लाभकारी भी हैं और हितकारी भी.
आयुर्वेद में उल्लेख है-
चंदति आल्हादयतीति, चदि आल्हादे
सुगंध के अतिरिक्त, यह एक व्यापक उपयोग की औषधि व टॉनिक भी है,
इसके औषधीय गुण जानकार आप चन्दन की लकड़ी या बुरादा (powder) घर में ज़रूर रखना चाहेंगे.
परिचय
चन्दन (Sandal या sandal wood) की दो मुख्य किस्में होती हैं;
श्वेत अथवा सफ़ेद और,
लाल अथवा रक्त.
वानस्पतिक शास्त्र में सफ़ेद चन्दन को Santalum album (सेंटलम एल्बम) और
लाल चन्दन को Pterocarpus santalum (टेरोकार्पस सेंटलम) वर्गीकृत किया गया है.
इस लेख में केवल सफ़ेद चन्दन की चर्चा करेंगे.
चन्दन में alfa-santanol व beta-santanol नाम के दो क्रियाशील तत्व ही चन्दन को अन्य वनस्पतियों से भिन्न बनाते हैं.
इसके अतिरिक्त इसमें aldehydes और ketones भी पाए जाते हैं.
श्वेत चन्दन के गुण
आयुर्वेद में इसे शीतवीर्य, तिक्त रसयुक्त, चित्त को प्रसन्न करने वाला, लघु व रूक्ष बताया गया है.
इसे थकान, प्यास, विष, कफ़, पित्त विकार, रक्तदोष, दुर्गन्ध, और दाह को हरने वाला भी बताया गया है.
चन्दन का उपयोग ज्वर, रक्तपित्त, पित्त विकार, अधिक प्यास, दाह, उल्टियाँ, मूत्र कष्ट, लिकोरिया, सोजाक, खूनी दस्त व अनेक चर्म रोगों में किया जाता है.
चन्दन के 13 उपयोगी गुण लाभ
रोगनाशक
1 नारियल के जल में चन्दन घिसकर इसका 20ml सेवन करने से बार बार मुंह का सूखना बंद होता है. प्यास कम लगती है.
2 इसको चावल की धोवन में घिस कर मिश्री या शहद के साथ पिलाने से खुनी दस्त,शरीर में दाह व डायबिटीज में लाभ मिलता है.
यह अनुपान मूत्र में जलन व रूकावट, तथा सोजाक में भी लाभकारी है.
3 बुखार के कारण जब जीव्हा का स्वाद बदल जाए या कडवापन महसूस हो तो चन्दन को घिस कर पानी में पिलाने से तुरंत राहत मिलती है.
4 आंवले के रस या क्वाथ में चन्दन घिस कर पिलाने से उल्टियाँ बंद हो जाती हैं.
यह योग कार, बस में उल्टियाँ होने में भी उपयोगी है.
दुर्गन्धनाशक, शीतल
5 दुर्गन्धयुक्त, रक्तयुक्त लिकोरिया में चन्दन के बुरादे का काढ़ा अति उपयोगी रहता है.
6 गर्मियों में चन्दन के काढ़े को अन्य पेयों में मिलाकर पीने से शरीर व पेट में ठंडक मिलती है.
7 पसीने की दुर्गन्ध व कफ़युक्त खांसी में पानी में चन्दन घिस कर पीने से लाभ मिलता है.
8 त्वचा की घमोरियां व खुजली में चन्दन के बुरादे के काढ़े को पानी में मिलाकर नहाने से ठंडक मिलती है.
घमौरियां व खुजली नहीं होती.
यह योग रूसी अथवा dandruff को भी मिटा देता है.
कान्तिवर्धक
9 फोड़े, फुंसी, कील मुहांसे पर चन्दन को गुलाबजल में घिसकर कपूर मिला कर लगाने से अतिशीघ्र लाभ मिलता है.
10 चन्दन के बुरादे को दही में मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा में निखार आ जाता है और झुर्रियों में लाभ मिलता है.
सौम्य
11 बुखार में जब शरीर दुखता हो तो चन्दन का लेप माथे पर लगाने से लाभ मिलता है.
12 इसका लेप लगाने से सिर के दर्द में भी तुरंत लाभ मिलता है.
13 इसका आंतरिक सेवन कृमि व जीवाणु नाशक होता है.
इसलिए इसका सेवन गर्मी से उत्पन्न पेट के रोगों जैसे अपचन, एसिडिटी, अतिसार इत्यादि में हितकारी है.
उपयोग मात्रा
चन्दन के आंतरिक उपयोग के लिए इसके आधे चम्मच बुरादे का उपयोग लाभकारी और उपयुक्त माना गया है.
लेप के लिए आवश्यकतानुसार मात्रा ली जाती है.
बीजों का उपयोग
चन्दन के बीज बिना किसी गंध के होते हैं.
इनका उपयोग पिछले ज़माने में ही होता था, आजकल नहीं.
इसके बीज गर्भ निरोधके लिए महिलाओं को खिलाये जाते थे.
सारशब्द
यदि आप घर में चन्दन की एक छोटी सी लकड़ी या बुरादा रखते है तो कई रोगों का उपचार किया जा सकता है.
गर्मियों में चन्दन के आधे चम्मच बुरादे को एक गिलास पानी में रात भर भिगोयिये.
सुबह इस पानी को पी जाईये.
दिन भर तरोताजगी मिलेगी.
पसीने से भी चन्दन की महक आएगी.