आपको यह ज्ञान हर कहीं से मिल जायेगा कि आपको थोड़ा खाना, बार-बार खाना चाहिए.
इन्टरनेट पर कुछ लेख तो यहाँ तक सलाह देते है कि “दिन भर में कम मात्रा में 5-6 बार खाना सेहत को बेहतर करता है”.
वे बताते हैं कि “कई बार खाना खाने से हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है”
“हॉर्मोंस होते हैं बेहतर” और “ज्यादा फैट नहीं होगा जमा” वगैरह वगैरह.
आईये जानते हैं कितना भ्रामक प्रचार है ये सब, जिसका न कोई वैज्ञानिक आधार है न ही कोई आयुर्वेदीय सन्दर्भ.
बार-बार खाना – एक बड़ी गलतफहमी
अपने आप को हमेशा भर-पेट रखना मानव जाति की मूल प्रकृति नहीं है.
हमारे आदिमानव पूर्वजों को भोजन न मिलने पर भूखे भी रहना पड़ता था.
इसके अतिरिक्त, पुरातन काल से ही मानव प्रजाति एवं अन्य कई प्राणी अपनी काया को तंदरुस्त रखने के लिये उपवास करते आ रहे हैं.
आज भी आपको लगभग 70% से अधिक लोग ऐसे मिलेंगे जो केवल दो बार भोजन करते हैं और पूरे स्वस्थ रहते है.
वे उन लोगों से अधिक सेहतमंद होते हैं जो दिन में चार या अधिक बार खाते हैं.
बार-बार खाना – मेटाबोलिज्म के लिए हानिकारक
बताया जाता है कि आपको दिन भर में कई बार छोटे छोटे भोजन लेने चाहिए.
तर्क यह दिया जाता है कि इससे मेटाबोलिज्म (Metabolism) क्रिया बढ़ जाती है.
वास्तव में, मेटाबोलिज्म के दो हिस्से होते हैं.
पहला catabolism जो अनुपयोगी द्रव्यों को निष्काषित करने की क्रिया है.
और दूसरा anabolism, जिससे आहार से प्राप्त पोषक तत्वों से कोशिकाओं का निर्माण होता है.
सामान्यत:, पहली क्रिया में उर्जा बाहर निकलती है और दूसरी क्रिया में उर्जा उपयोग होती है.
हकीकत में, जब भी आप कुछ खाते हैं तो आपका मेटाबोलिज्म कुछ घंटो के लिए बढ़ जाता है.
भोजन पचाने के लिए उर्जा की ज़रूरत होती है.
और पच जाने पर भोजन हमें उर्जा देता है.
इसे Thermic Effect of Food (TEF) कहा जाता है.
भोजन पचाने में खर्च हुई उर्जा का भोजन से मिलने वाली उर्जा से सीधा अनुपातिक सम्बन्ध होता है.
हलके भोजन जैसे ककड़ी, खीरा को पचाने के लिए कम उर्जा खर्च होगी और इस प्रकार के भोजन से कम उर्जा प्राप्त होगी.
अधिक पोषक भोजन जैसे काजू , बादाम, घी से अधिक उर्जा मिलती है लेकिन उन्हें पचाने में उर्जा भी अधिक खर्च होती है.
यह बात सही है कि भोजन लेने से मेटाबोलिज्म क्रिया सक्रिय होती है.
लेकिन दिन भर में लिये गए कुल भोजन की उर्जा मात्रा ही मेटाबोलिज्म का निर्धारण करती है न कि यह कि आपने कितनी बार भोजन लिया है.
बार-बार खाना खाने का सीधा मतलब है – मेटाबोलिज्म क्रिया का बार बार ऊपर नीचे होना.
जबकि दो या तीन मुख्य आहार लेने का मतलब है मेटाबोलिज्म का धीरे धीरे लम्बे समय तक क्रियाशील रहना.
इससे ये सिद्ध होता है कि आपको भोजन बार बार लेने कि ज़रुरत नहीं.
बार-बार खाना खाने से मेटाबोलिज्म का बेहतर होना एक पूर्ण मिथ्या है, जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. (देखिये 1)
बार-बार खाना – मोटापा बढ़ाता है
यदि आप बार-बार खाना खाने को अपनाते हैं तो आप निश्चित ही मोटापे को आमंत्रित कर रहे है.
बार बार के भोजन आप को वज़न घटाने में असमर्थ कर सकते हैं.
सत्यार्थ में, ‘छोटे-कई-भोजन’ वाली थ्योरी अनेकों शोधों द्वारा नकारी गई है.
नियंत्रित शोधों ने; जिनमें एक समूह को कई छोटे छोटे भोजन दिए गए तथा दूसरे समूह जिसे केवल दो बार भोजन दिया गया; कुछ भी फर्क नहीं पाया. (देखिये 2, 3).
विषद्रव्यों का सही निष्कासन
जब हम दो भोजन के बीच लम्बा अन्तराल रखते हैं
तो हमारी कोशिकीय क्रियाशीलता हमारी विकृत द्रव्यों (toxins) का बेहतर निष्कासन कर शरीर को स्वच्छ कर देती है.
विकृत द्रव्यों का शरीर से बाहर निकलते रहना अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है.
बार बार के छोटे आहार लेने से यह क्रिया बाधित हो जाती है.
इसलिए आपको दो आहारों के बीच उचट अंतराल रखना चाहिये(देखिये 4)
बार-बार खाना – गुदा कैंसर का बड़ा कारण
जब हम बार बार छोटे आहार लेने की आदत डालते हैं तो हमारी आंतें भी बार बार क्रियाशील होती हैं.
परिणामस्वरूप मल भी शीघ्रता से गुदा में संचित हो देर तक सड़ता रहता है.
क्योकि बार बार खाने की आदत तो डाल ली लेकिन बार बार शौच जाने की आदत नहीं बनायी.
शोध दर्शाते हैं कि वे लोग जो दिन में 4 बार भोजन लेते हैं
उन्हें गुदा (Colon) के कैंसर कि सम्भावना दो बार भोजन लेने वालों कि अपेक्षा लगभग दोगुनी अर्थात 90% तक अधिक हो जाती है. (देखिये 5, 6, 7).
सारशब्द
दिन में बार बार छोटे भोजन लेने से कोई लाभ नहीं होता.
न तो इससे मेटाबोलिज्म बढ़ता है न ही यह मोटापा या डायबिटीज को नियंत्रित करने में लाभकारी है.
न ही इससे कोई हॉर्मोन बेहतर होते हैं.
बार बार खाने से मोटापा बढ़ने की पूरी सम्भावना रहती है और गुदा (Colon) कैंसर की सम्भावना भी अधिक हो जाती है.
दिन में दो या तीन आहार लेना शोध विज्ञान सम्मत है और आयुर्वेद सम्मत भी.
शरीर में संचित विकारद्रव्य निकालने के लिये हमें उपवास भी रखने चाहिए.
यदि आप चाहते हैं कि आपको पेट रोग तंग न करें तो बार बार खाते रहने से ज़रूर बचिये.
पाइये हर प्रमाणित लेख सीधे अपनी ईमेल में, और फुर्सत में पढ़िये
निजी स्वास्थ्य सलाह लेने के लिए इस लिंक पर विवरण दीजिये
हमारे फेसबुक ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये