एसिडिटी और गैस्ट्राइटिस के इलाज के लिए कई एलोपैथी दवाएं उपलब्ध हैं।
आमतौर पर ये दवाएं लक्षणों को अस्थायी रूप से कम करती हैं लेकिन लंबे समय तक उपयोग करने पर दुष्प्रभाव उत्पन्न कर सकती हैं।
आइए देखें कि एसिडिटी और गैस्ट्राइटिस के लिए कौन-कौन सी एलोपैथिक दवाएं दी जाती हैं,
उनके काम करने का तरीका और उनके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं।
1. प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स (PPIs)
प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स (PPIs) पेट में एसिड के उत्पादन को रोकने के लिए दी जाती हैं।
ये पेट की अम्लता को कम करके पेट की परत को और अधिक क्षति से बचाती हैं।
उदाहरण
- ओमेप्राज़ोल (Omeprazole)
- लैंसोप्राज़ोल (Lansoprazole)
- एसोमेप्राज़ोल (Esomeprazole)
- पैंटोप्राज़ोल (Pantoprazole)
- रेबेप्राज़ोल (Rabeprazole)
प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स के साइड एफेक्ट्स
1. कैल्शियम और मैग्नीशियम की कमी
PPIs लंबे समय तक लेने से शरीर में कैल्शियम और मैग्नीशियम का अवशोषण प्रभावित हो सकता है,
जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है।
2. किडनी की समस्याएं
लंबे समय तक PPI का उपयोग किडनी में सूजन (नेफ्राइटिस) और किडनी फेल्योर का कारण बन सकता है।
3. विटामिन B12 की कमी
पेट की अम्लता कम होने से विटामिन B12 का अवशोषण घट जाता है,
जिससे कमजोरी, थकान और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं।
4. आंतों के संक्रमण
PPIs लेने से पेट में एसिड का स्तर कम हो जाता है, जिससे बैक्टीरियल इंफेक्शन (जैसे क्लोस्ट्रिडियम डिफिसाइल संक्रमण) का खतरा बढ़ सकता है।
5. अल्जाइमर और डिमेंशिया
कुछ अध्ययनों ने लंबे समय तक PPI के उपयोग को याददाश्त की कमी और डिमेंशिया जैसी समस्याओं से जोड़ा है।
2. H2 रीसैप्टर ब्लॉकर्स
पेट में एसिड के उत्पादन को कम करने के लिये H2 रीसैप्टर ब्लॉकर्स का उपयोग किया जाता है।
इनका प्रभाव PPI की तुलना में कम शक्तिशाली होता है, लेकिन अल्पकालिक राहत के लिए प्रभावी हो सकते हैं।
उदाहरण
- रैनिटिडिन (Ranitidine) – हालांकि, यह कई देशों में अब प्रतिबंधित है।
- फैमोटिडिन (Famotidine)
- सिमेटिडिन (Cimetidine)
H2 रीसैप्टर ब्लॉकर्स के साइड एफेक्ट्स
थकान और कमजोरी
लंबे समय तक उपयोग से थकान, मांसपेशियों में दर्द, और सामान्य कमजोरी हो सकती है।
कब्ज या दस्त
कुछ लोगों में H2 ब्लॉकर्स से पाचन में समस्या हो सकती है।
विटामिन और मिनरल की कमी
जैसे PPIs, ये दवाएं भी लंबे समय तक लेने पर विटामिन B12 और आयरन के अवशोषण को कम कर सकती हैं।
हार्मोनल असंतुलन
सिमेटिडिन के लंबे समय तक उपयोग से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जो पुरुषों में गाइनेकोमास्टिया (स्तन वृद्धि) का कारण बन सकता है।
3. एंटासिड्स (Antacids)
एंटासिड्स पेट में पहले से मौजूद एसिड को बेअसर करते हैं, जिससे तुरंत राहत मिलती है।
ये दवाएं तात्कालिक एसिडिटी और सीने में जलन के लिए उपयुक्त होती हैं, लेकिन दीर्घकालिक उपचार के लिए नहीं होती हैं।
उदाहरण
- कैल्शियम कार्बोनेट (Calcium Carbonate)
- मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (Magnesium Hydroxide)
- एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड (Aluminum Hydroxide)
एंटासिड्स के दुष्प्रभाव
कब्ज या दस्त
एल्युमिनियम आधारित एंटासिड्स से कब्ज हो सकता है, जबकि मैग्नीशियम आधारित एंटासिड्स से दस्त हो सकता है।
इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन
लंबे समय तक एंटासिड्स का उपयोग शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिससे हृदय और मांसपेशियों की समस्याएं हो सकती हैं।
किडनी स्टोन
कैल्शियम आधारित एंटासिड्स का अत्यधिक सेवन किडनी में पत्थर बनने का कारण बन सकता है।
4. प्रोकाईनेटिक्स (Prokinetics)
प्रोकाईनेटिक्स पेट की गतिशीलता को बढ़ाने के लिए उपयोग की जाती हैं, जिससे पाचन प्रक्रिया में सुधार होता है
और एसिड को वापस खाने की नली में जाने से रोका जाता है।
उदाहरण
- मेटोक्लोप्रामाइड (Metoclopramide)
- डोमपेरिडोन (Domperidone)
- इटोप्राइड (Itopride)
प्रोकाईनेटिक्स के दुष्प्रभाव
स्नायु संबंधी समस्याएं
लंबे समय तक उपयोग से अनैच्छिक शारीरिक मूवमेंट्स (टारडिव डिस्किनेशिया) हो सकते हैं,
जो कई बार अपरिवर्तनीय होते हैं।
डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन
मेटोक्लोप्रामाइड जैसी दवाएं मूड स्विंग्स, चिंता, और अवसाद का कारण बन सकती हैं।
हार्मोनल प्रभाव
डोमपरिडोन और मेटोक्लोप्रामाइड के उपयोग से शरीर में प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ सकता है,
जिससे महिलाओं में अनियमित पीरियड्स और पुरुषों में गाइनेकोमास्टिया (स्तनों का बड़ा हो जाना) हो सकता है।
5. सुक्रालफेट (Sucralfate)
सुक्रालफेट पेट की परत पर एक सुरक्षात्मक परत बनाता है, जिससे पेट की परत को और अधिक एसिड से बचाया जा सके।
इसे अल्सर और गैस्ट्राइटिस के लिए दिया जाता है।
सुक्रालफेट दुष्प्रभाव:
कब्ज
सूक्रालफेट के लंबे समय तक उपयोग से कब्ज हो सकता है।
एल्यूमिनियम विषाक्तता
चूंकि यह दवा एल्यूमिनियम आधारित होती है, लंबे समय तक उपयोग से एल्यूमिनियम विषाक्तता का खतरा हो सकता है, खासकर उन लोगों में जिनकी किडनी की कार्यक्षमता कमजोर हो।
एलोपैथी दवाओं से बचने के उपाय
जीवनशैली में सुधार
आहार में परिवर्तन, जैसे तली-भुनी और मसालेदार चीजों से बचना, ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना, और सही समय पर खाना गैस्ट्राइटिस और एसिडिटी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
आयुर्वेद अपनायें
कई बार कुछ रोगों (जैसे हृदयरोग, ब्लड प्रेशर, थायरॉयड, आर्थराइटिस) के लिये एलोपैथिक दवाईयां लंबे समय या पूरी उम्र के लिये लेनी पड़ती हैं।
ये दवाएं एसिडिटी उत्पन्न करती हैं जिससे बचने के लिये आपको एसिडिटी गैस्ट्राइटिस की दवाओं का सेवन करना जरूरी हो जाता है।
ऐसे में आपको वे विकल्प चुनने चाहिये, जिनके कोई दुष्प्रभाव न होते हों।
वनौषधियों से निर्मित एसिरेम (Acirem) एक ऐसा आयुर्वेदिक उत्पाद है, जिसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं।
शोध बताते हैं कि एसिरेम (Acirem) के घटक तत्व दुष्प्रभाव रहित होते हैं, जिन्हें लंबे समय अथवा उम्रभर के उपयोग के लिये सर्वोत्तम माना जाता है।
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तनाव प्रबंधन
ध्यान, योग और तनाव प्रबंधन की अन्य तकनीकें पेट के एसिड उत्पादन को नियंत्रित कर सकती हैं।
भोजन की आदतें
छोटे-छोटे भोजन करना और सोने से पहले भारी भोजन से बचना एसिडिटी के लक्षणों को कम कर सकता है।
तम्बाकू और शराब छोड़ना
धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन पेट की अम्लीयता बढ़ाता है और गैस्ट्राइटिस का खतरा बढ़ा सकता है।
प्रयासपूर्वक इन्हें छोड़ देना एक बढ़िया उपाय हो सकता है।
निष्कर्ष
एलोपैथिक दवाएं एसिडिटी और गैस्ट्राइटिस के लक्षणों को तेजी से राहत देती हैं,
लेकिन इनका दीर्घकालिक उपयोग कई गंभीर दुष्प्रभावों का कारण बन सकता है।
इसलिए, इन दवाओं का उपयोग सीमित समय के लिए किया जाना चाहिए, और दीर्घकालिक समाधान के लिए जीवनशैली और आहार में सुधार किया जाना चाहिए।
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