आमिया (आम्बिया) हल्दी (Mango ginger, Wild Turmeric) Botanical name : Curcuma amada, एक गुणकारी वनौषधि है।
इसके के पौधे हल्दी की ही तरह होते हैं।
दोनों में अंतर यह है कि आम्बिया हल्दी के पत्ते लम्बे तथा नुकीले होते हैं।
आमिया (आम्बिया) हल्दी की गांठ छोटी और भीतर से लाल होती है, किन्तु हल्दी की गांठ बड़ी और पीली होती है।
आम्बिया हल्दी में सिकुड़न तथा झुर्रियां नहीं होती हैं।
अन्य नाम
Mango turmeric, कपूर हल्दी, आंबिया हल्दी, आमी हल्दी, आम्बा हल्दी,
आंबे हळद, दार्वी, मेदा, आम्रगन्धा, सुरभीदारू, दारू, कर्पूरा, पदमपत्र,
आमआदा, आबे हल्द, आम्बिया हल्दर, पालुपसुप इत्यादि आमिया हल्दी के अन्य नाम हैं.
आईये जानते हैं क्या हैं इस के गुण लाभ उपयोग और फायदे..
आमिया (आम्बिया) हल्दी – पहचान और गुण
आम्बिया हल्दी लालिमा लिए हुए पीली रंग की होती है।
स्वाद में यह कड़वी और तेज होती है।
यह एक पौधे गठान भरी जड़ है जो मिट्टी में पनपती है।
आम्बिया हल्दी वायु को शांत करती है, पाचक है, पथरी को तोड़ने वाली,
पेशाब की रुकावट को खत्म करने वाली, घाव और चोट में लाभ करने वाली,
मंजन करने से मुंह के रोगों को खत्म करने वाली है।
यह खांसी, सांस और हिचकी में लाभकारी होती है।
इसकी तासीर गरम होती है।
आम्बा हल्दी के फायदे और विभिन्न रोगों में उपयोग
पेट में दर्द में
आंबेहळद और कालानमक को मिलाकर पानी के साथ पीने से पेट के दर्द में आराम होता है।
पीलिया रोग
सात ग्राम आमाहल्दी का चूर्ण, पांच ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण शहद में मिलाकर
सुबह और शाम सात दिन तक खाने से पीलिया रोग मिट जाता है।
खाज-खुजली और चेहरे के काले दाग
आमाहल्दी को पीसकर शरीर में जहां पर खाज-खुजली हो वहां पर लगाने से आराम आता है।
उपदंश (फिरंग) के रोग में
आमाहल्दी, राल और गुड़ 10-10 ग्राम, नीलाथोथा और गुग्गुल 6-6 ग्राम इन सबको मिलाकर पीस लें
और बद पर बांधे इससे तुरन्त लाभ मिलता है।
सूजन पर
आम्बिया हल्दी को ग्वारपाठा (ऐलोवेरा) के गूदे पर डालकर कुछ गरम करके बांधने से सूजन दूर होती है तथा घाव को भरती है।
शीतला (मसूरिका) ज्वर के निशान होने पर
आमाहल्दी, सरकण्डे की जड़ और जलाई हुई कौड़ी को कूटकर छान लें।
फिर भैंस के दूध में मिलाकर रात के समय चेहरे पर लगाकर सो जायें। पानी में भूसी को भिगो दें।
सुबह और शाम उसी भूसी वाले पानी से मुंह को धोने से माता के द्वारा आने निशान (दाग-धब्बे) दूर हो जाते हैं।
चोट लगने पर
चोट सज्जी, अम्बा हल्दी 10-10 ग्राम को पानी में पीसकर कपड़े पर लगाकर चोट (मोच) वाले स्थान पर बांध दें।
आम्बिया हल्दी को पीसकर, गरम करके बांधने से चोट को अच्छा करती है तथा सूजन दूर होती है।
पपड़िया कत्था 20 ग्राम अम्बा हल्दी 20 ग्राम कपूर, लौंग 3-3 ग्राम पानी में पीसकर चोट मोच पर लगाकर पट्टी बांध दें।
अम्बाहल्दी, मुरमक्की, मेदा लकड़ी 10-10 ग्राम लेकर पानी में पीसकर हल्का गर्म कर चोट पर लगायें।
घाव
अम्बाहल्दी, चोट सज्जी 10-10 ग्राम पीसकर 50 मिलीलीटर गर्म तेल में मिला दें।
ठंडा होने पर रूई भिगोकर घाव, जख्म पर बांध दें।
हड्डी की चोट
चौधारा, अम्बा हल्दी 10-10 ग्राम पीसकर घी में भून लें।
उसमें सज्जी और सेंधानमक 5-5 ग्राम पीसकर मिला लें। फिर टूटी हड्डी और गुम चोट पर बांधने से लाभ होता है।
अम्बा हल्दी 3-3 ग्राम पानी से सुबह-शाम लें
और मैदालकड़ी, कुरण्ड, चोट सज्जी, कच्ची फिटकरी, अम्बा हल्दी 10-10 ग्राम पानी में पीसकर कपड़े पर फैलाकर
चोट पर रखकर रूई लगाकर बांध दें।
गिल्टी (ट्यूमर)
आमाहल्दी, अलसी, घीग्वार का गूदा और ईसबगोल को पीसकर एक साथ मिला लें.
इसे आग पर गर्म करने के बाद गिल्टी पर लगाने से लाभ होता है और सूजन मिट जाती है।
10 ग्राम आमाहल्दी, 6 ग्राम नीलाथोथा, 10 ग्राम राल, 6 ग्राम गूगल और 10 ग्राम गुड़ इसमें से सूखी वस्तुओं को पीसकर और उसमें गुड़ मिलाकर बांधें तो आराम होगा और जल्द ही फूट जायेगा।
आमाहल्दी, चूना और गुड़ सबको एक ही मात्रा में लेकर पीसे और बद पर लेप कर दें। इससे गिल्टी जल्द फूट जायेगी।
अनुपान मात्रा
आम्बिया हल्दी 2 से 4 ग्राम तक की मात्रा में सेवन की जाती है.
गर्म तासीर होने के कारण अधिक सेवन उचित नहीं, ऐसा बताया जाता है.