आयुर्वेद में गुलाब (Rose) को महाकुमारी, शतपत्री व तरूणी आदि नामों से जाना जाता है। आईये जानते है क्या हैं गुलाब के 17 अनुभूत उपयोग.
गुलाब प्रायः सर्वत्र होता है।
भारतवर्ष में यह पौधा प्राचीन काल से लगाया जाता है और कई स्थानों में जंगली भी पाया जाता है।
कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, नेपाल और भूटान में श्वेत, गुलाबी ब पीले फूल के जंगली गुलाब बहुत मिलते हैं।
वन्य अवस्था में गुलाब में चार-पाँच छितराई हुई पंखड़ियों की एक हरी पंक्ति होती है
लेकिन बगीचों में सेवा और यत्नपूर्वक लगाए जाने से पंखड़ियों की संख्या में बृद्धि होती है यद्यपि केसरों की संख्या घट जाती हैं।
सैकड़ों प्रकार के फूलवाले गुलाब कलम, पैबंद (Cutting & grafting) आदि के द्बारा भिन्न-भिन्न जातियों के मेल से उत्पन्न किए जाते हैं।
गुलाब की कलम ही मुख्यतःलगाई जाती है।
इसके फूल कई रंगों के होते हैं, लाल (कई मेल के हलके गहरे) पीले, सफेद इत्यादि।
सफेद फूल के गुलाब को सेवती कहते हैं।
कहीं कहीं हरे और काले रंग के भी फूल होते हैं।
लता की तरह चढ़नेवाले गुलाब के झड़ भी होते हैं।
ऋतु के अनुसार गुलाब के दो भेद भारतबर्ष में माने जाने हैं सदाबहार गुलाब और चैती।
सदागुलाब प्रत्येक ऋतु में फूलता है और चैती गुलाब केवल बसंत ऋतु में।
चैती गुलाब में विशेष सुगंध होती है और वही इत्र और दवा के काम में लिया जाता है।
स्वास्थ्य उपयोग के लिये चैती अथवा देसी गुलाब का ही उपयोग किया जाता है
जिसका रंग गुलाबी और सुगंध भी गुलाबी मानी जाती है.
गुलाब के 17 अनुभूत उपयोग; अपनाईये ज़रूर इन्हें
1 गुलाब का फूल विटामिन सी से भरपूर होता है।
विटामिन सी की कमी को दूर करने के लिए गुलकंद एक बेहद उपयोगी विकल्प है।
2 गुलाब का शर्बत मस्तिष्क को शीतल और शक्ति देता है।
साथ ही साथ गुलाब के फूलों का रस खून को साफ भी करता है।
3 गुलाब जल आंखों की जलन के लिए और चेहरे संबंधी कई विकारों को दूर करता है।
फिटकरी में गुलाबजल को मिलाकर उपयोग करने से कई त्वचा रोग जैसे कील, मुहांसे, दाद, खाज इत्यादि खत्म होते हैं।
4 कान में दर्द होने पर गुलाब की पत्तियों के रस की थोड़ी बूंदे कान में डालने से कान के दर्द में राहत मिलेगी।
5 गुलाब के अर्क में नींबू का रस मिलाकर दाद पर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
शीतल सुवासित गुण
6 जी मिचलाना, गले में जलन, सीने में जलन जैसे रोगों को दूर करने के लिए 1 कप गुलाब जल, चैथाई कप संतरे का रस और चौथाई कप चूने का पानी को मिलाकर दिन में 2 बारी सेवन करें.
आपको इन रोगों से निजात मिल जाएगा।
7 शरीर में जलन होने पर या हाथ पैर में जलन होने पर गुलाबजल को चंदन में मिलाकर इसका लेप लगाएं।
8 खाना खाने के बाद गुलकंद खाने से पाचन ठीक रहता है।
9 मुंह की बदबू के लिए गुलाब के फूल, लौंग और चीनी को गुलाब जल में पीसकर गोलियां बनाकर चूसें।
यह मुंह की दुर्गंध को दूर करता है।
10 चंदन के तेल में गुलाब के अर्क को मिलाकर मालिश करने से शीत पित्त में फायदा मिलता है।
11 अत्यधिक गर्मी लगने पर या जलन होने पर 5 इलायची, 10 ग्राम गुलाब की पंखुड़ी, 5 काली मिर्च और 10 ग्राम मिश्री को पीसकर हर चार घंटे पर पीएं।
आपको आराम मिलेगा।
12 सफेद चंदन पाउडर में कपूर और गुलाब जल को मिलाकर माथे पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
रोगहर
13 सनाय की पत्ती को गुलकंद के साथ सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
14 मुंह के छालों से निजात पाने के लिए सुबह-सुबह गुलकंद का सेवन करें।
15 लू लगने पर ठंडे पानी में गुलाबजल मिलाकर माथे पर पट्टी रखें।
16 टीबी की बीमारी से होने वाली कमजोरी को दूर करने के लिए गुलकंद का नियमित सेवन करने से कमजोरी ठीक हो जाती है।
17 माइग्रेन के दर्द में 12 ग्राम गुलाबजल में 1ग्राम असली नौशादर को मिलाकर अच्छे से मिला कर हिलाएं।
इसकी चार-पांच बूंदे नाक के अंदर खीचें। एैसा करने से माइग्रेन का दर्द ठीक हो जाता है।
गुलाब विशेष
गुलाब की कई किस्में होती हैं. रंग और आकार भी कई प्रकार के होते हैं.
लेकिन औषधीय उपयोग में देसी गुलाब ही लिया जाता है.
देसी गुलाब का रंग पिंक अथवा गुलाबी होता है तथा इसके फूलों से विशेष गुलाबी भीनी भीनी सुगंध भी आती है.
सारशब्द
गुलाब घर की शोभा को भी बढ़ाता है साथ ही आपकी सेहत के लिए भी बेहद उपयोगी फूल है,
बशर्ते आप इसकी सुगन्धित, देसी किस्म का उपयोग करें.
गुलाब से बनी चीजों का उपयोग करके कई रोगों से भी बच सकते हैं तथा उत्तम सौन्दर्य पा सकते हैं.
घर पर देसी गुलाब का एक पौधा ज़रूर लगाईये.
यह आपको सुकून भी देगा और स्वास्थ्य लाभ भी.