आजकल की यदि कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या है तो वह है कब्ज़ constipation. यह एक ऐसी विकट समस्या है जिससे जनसँख्या का एक बड़ा वर्ग प्रभावित रहता है.
प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, 20% तक की जनसँख्या इस रोग से त्रस्त पाई जाती है.
जिनमें से 12% लोग इसका इलाज करवाने के लिए डॉक्टरों और अस्पतालों में पहुँचते हैं.(1)
महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों में इसका अधिक प्रकोप पाया जाता है.
महिलाओं में कब्ज़ constipation रोग बिना किसी विशेष कारण के भी हो सकता है, जबकि पुरुषों, बच्चों और बुजुर्गों में इसके पीछे के कारक ढूंढे जा सकते हैं.(2)
कब्ज़ constipation के लक्षण
इस रोग में आँतों की गतिशीलता सामान्य से बहुत कम हो जाती है जिस कारण मल निकास प्रक्रिया में अवरोध पैदा हो जाता है.
पेट नियमित साफ़ नहीं होता,
हाजत में अधिक समय लगता है,
ज़ोर लगाने पर ही हाजत होती है और मल कठोर भी हो जाता है.
कई बार हाजत के बाद मलक्षेत्र में पीड़ा भी हो जाया करती है और मल के साथ खून भी आ जाता है.
पेट में दर्द भी बना रहने लगता है और एसिडिटी, गैस इत्यादि की समस्यायें होने लगती हैं.
गुदा मलाशय में बवासीर (piles), भगन्दर (anal fistula) या मस्से (hemorrhoids, anal fissure) इत्यादि हो सकते हैं.
रोग अधिक पुराना हो जाये तो IBS संग्रहणी और आँतों की सूजन जैसे रोग भी पनप जाते हैं.
इस लेख में देखिये क्या हैं IBS संग्रहणी के लक्षण, कारण और उपाय.
इस लेख में जानिए क्या होती है आँतों की सूजन
कब्ज़ constipation के कारण
आजकल के कब्ज़ रोग में आधुनिक दवाओं का उतना ही योगदान है जितना पहले खानपान और अन्य दिनचर्या का होता था.
1 पेट के बैक्टीरिया का असंतुलन
हमारी आँतों में बैक्टीरिया की बहुत सारी प्रजातियाँ पाई जाती हैं.
एंटीबायोटिक दवाओं और दर्द निवारक दवाओं के उपयोग से इनके गणमान और विविधता में असंतुलन पैदा हो जाता है.
यही असंतुलन कब्ज़ constipation और कब्जियत की IBS संग्रहणी (IBS-D) का कारण बन जाता है.
2 आहारीय फाइबर की कमी
आहारीय फाइबर दो काम करता है.
यह पेट के बैक्टीरिया का आहार होता है, साथ ही यह आँतों को गतिशीलता प्रदान कर भोजन को आगे धकेलने का काम भी करता है.
जब हमारे भोजन में फाइबर की कमी रहती है (जैसे कि जंक फूड्स इत्यादि में) तो आँतों की गतिशीलता भी कम हो जाती है और कब्ज़ constipation की शिकायत हो जाती है.
3 कब्ज़ निवारक दवाओं की अति
कब्ज़ constipation की शिकायत होने पर कई लोग कब्ज़ निवारक दवाओं का नियमित सेवन करना आरम्भ कर देते हैं.
जब आप ऐसी आदत डाल लेते हैं तो दो बातें होती हैं।
एक तो इन दवाओं का प्रभाव भी धीरे धीरे कम होते जाता है.
और दूसरी समस्या यह खड़ी होती है कि आंतो को भी क्रिशीलता पाने के लिए इन दवाओं की आदत पड़ जाती है.
फिर जब भी आप इनका उपयोग कम करें या नहीं करें तो आंते काम ही करना छोड़ देती हैं.
इसलिये, पेट साफ़ करने की औषधियों का उपयोग कभी भी 2 सप्ताह से अधिक न करें.
साथ ही कब्ज़ constipation के लिए सौम्य वनौषधियों के योग लें जैसे कि छोटी काली हरद या हरड और घृतकुमारी इत्यादि.
बाज़ार में उपलब्ध बहुत सी दवाओं में तीव्र विरेचक होते हैं जो लम्बी अवधि में फायदे की जगह नुक्सान पहुंचाते हैं.
4 दवाओं, सप्लीमेंट्स का सेवन
तेज़ दर्द निवारक दवाएं, और एल्युमीनियम कैल्शियम के एनटेसिड कब्ज़ पैदा करते हैं.
कुछेक सप्लीमेंट्स भी कब्ज़ के कारक होते हैं जिनमें आयरन और कैल्शियम के सप्लीमेंट्स मुख्य हैं.
लेकिन इनसे होने वाली कब्ज़ अस्थाई होती है.
जैसे ही इनका उपयोग पूरा हो जाता है या ये बंद कर दिए जाते हैं, तो कब्ज़ का भी निदान हो जाता है.
5 दूध के उत्पाद
कुछेक को दूध के उत्पाद जैसे कि बर्फी, मिल्ककेक, रबड़ी इत्यादि कब्ज़ पैदा करते हैं.
उन्हें इनका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए.
वैसे दूध के खमीरीकृत रूप जैसे कि पनीर, रसगुल्ला; और दूध का नियंत्रित सेवन कईयों के कब्ज़ को ठीक भी करते हैं.
6 रोग जो कब्जियत पैदा करते हैं
थायरॉयड की कमजोरी (Hypothyroidism) और पार्किन्सन रोग में कब्ज़ का प्रकोप बढ़ जाता है.
IBS संग्रहणी की कब्ज़कारी किस्म में भी कब्ज़ एक मुख्य मुसीबत बन जाती है.
7 तनाव और depression
निराशा, अवसाद और तनाव होने पर आँतों की गतिशीलता कम हो जाती है.
जिस कारण कब्ज़ रोग पनप जाता है.
8 अत्यधिक चाय कॉफ़ी का सेवन
कब्ज़ constipation का एक बड़ा कारण चाय काफी का अधिक सेवन भी होता है.
लेकिन यदि चाय या कॉफ़ी कम मात्रा में लिए जाएँ तो यह कब्ज़ निवारक भी होते हैं.
9 कम पानी पीना
पानी पीने का कब्ज़ से सीधा सम्बन्ध है.
पानी कम पीने के और भी कई नुकसान होते हैं.
जो लोग पानी कम पीते हैं उन्हें यह समस्या बनी ही रहती है.
कब्ज़ constipation से उत्पन्न होने वाले रोग
वैसे तो कब्ज़ को कई रोगों की जननी माना जाता है लेकिन इनमें से दो रोग मुख्य हैं.
1 IBS संग्रहणी
यह एक ऐसा रोग है जिसके मूल में कब्ज़ का योगदान है.
इसके विपरीत, कई बार कब्ज़ का रोग भी IBS संग्रहणी के कारण हो जाया करता है.
IBS संग्रहणी की एक किस्म में कब्ज़ का बने रहना ही मुख्य लक्षण होता है.
2 एसिडिटी और gastritis समूह के रोग
इस रोग समूह में पित्त सम्बन्धी विकार होते हैं जिन्हें अंग्रेजी में एसिडिटी और गैसट्राईटिस कहा जाता है.
कब्ज़ के कारण जब पित्त बढ़ा रहने लगता है तो एसिडिटी, गैस, अफारा जैसे विकार भी पनपने लगते हैं.
जब ये विकार लम्बे समय तक चलते रहें तो आगे चलकर पेट के अलसर, antral gastritis, नाभि का खिसकाना, GERD और hiatus hernia जैसे अगली श्रेणी के रोग भी हो जाते हैं.
3 गुदा रोग
कब्ज़ के कारण मल का रुकाव गुदाक्षेत्र में रहने लगता है.
पहले तो गुदा क्षेत्र में कब्ज़ के कारण ज़ख्म होते हैं जो मल के बतेरिया
इस रुकाव के कारण बवासीर (hemorrhoids ), भगन्दर (anal fistula) या मस्से (anal fissure) इत्यादि हो जाया करते हैं.
गुदा क्षेत्र के इन्हीं में से कुछ विकार पेट की सूजन के कारण भी बन जाते हैं.
कब्ज़ constipation के उपाय और इलाज
इस रोग के बहुत सारे उपाय और इलाज विकल्प उपलब्ध हैं.
जिन्हें रोग की गंभीरता के अनुसार अपनाना चाहिए.
सामान्य कब्ज़ का निपटारा कुछ घरेलू उपायों उपचारों से किया जा सकता है.
लेकिन पुरानी और हठी कब्ज़ के उपाय एक समग्र सिलसिलेवार तरीके से करने की ज़रूरत होती है.
इन उपायों में सौम्य योगों से पेट की तरलता, आँतों की गतिशीलता और चिकनाहट बढ़ाने पर बल दिया जाता है.
मल को मुलायम करने के उपायों को भी प्राथमिकता दी जाती है.
सोमेलो (Somalo) का उपयोग कीजिये
यदि आप कब्ज़ से हमेशा परेशान रहते हैं तो सोमेलो (Somalo) का उपयोग बड़ा लाभकारी रहता है।
सोमेलो एक कब्ज़ निवारक भी है और रोज़ लेने योग्य उत्तम टॉनिक भी।
इसके उपयोग से आंतों की गतिशीलता बढ़ती है, जिससे आपको कब्ज़ से स्थायी राहत मिल सकती है।
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कभी कभार पेट की पूरी सफाई कीजिये
कब्ज़ के लिये कभी भी तेज़ किस्म की औषधियों से, जिनमें सनाय, अमलतास, जमालगोटा इत्यादि का उपयोग होता हो; हमेशा बचना चाहिए।
इन्हें लम्बे समय तक उपयोग करने से आँतों को आदत पड़ जाती है और उनमें शिथिलता आ जाती है।
फलस्वरूप, कब्ज़ रोग बढ़ता ही जाता है।
हाँ, पेट से विषाक्त तत्वों की निकासी हमे समय समय पर जरूर करनी चाहिये,
Gut-CLR एक ऐसा उत्पाद है जिससे आपको हर सप्ताह या माह में दो बार उपयोग कर अपने पेट को साफ करना चाहिए।
इसे छोटी काली हरड, अजमोद, इत्यादि सौम्य वनौषधियों से तैयार किया जाता है, जो कब्ज़ का निवारण तो करती ही हैं साथ ही स्वास्थ्यकारी भी होती हैं।
बहुत सारे लोग इसका उपयोग पेट की नियमित सफाई के लिए करते हैं।
वे Gut-CLR हर सप्ताह में एक दिन या महीने में दो दिन लेते है हैं।
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Gut-CLR को IBS संग्रहणी के समग्र पैक में भी एक हलके विरेचक के रूप में दिया जाता है।
गुलनशील फाइबर के सप्लीमेंट्स लीजिये
तरलता बढ़ाने के लिए हमें घुलनशील फाइबर का उपयोग करना चाहिए।
यह तीन काम करता है।
एक तो यह आँतों को गतिशीलता देता है।
साथ ही यह पेट लाभकारी बैक्टीरिया के लिए भी उपयोगी होता है।
फाइबर में पानी को रोक रखने की अद्भुत क्षमता भी होती है।
जिससे मल को भार मिलता है और मल आसानी से विसर्जित हो जाता है।
पी बी एफ (PBF) एक बेहतरीन प्रीबायोटिक फाइबर है जिसका उपयोग कर कईयों ने कब्ज़ और आंतों की गतिशीलता में लाभ पाया है।
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क्या आपको तीनों उत्पाद लेने चाहिये
यदि कब्ज़ रोग बहुत पुराना हो गया हो, तो तीनों उत्पाद लेने चाहिये।
सुधार आने पर, जब आंतों की गतिशीलता सामान्य हो जाये तो इन्हें छोड़ा जा सकता है।
यदि कब्ज़ सामान्य हो तो केवल Somalo का उपयोग ही पर्याप्त रहता है। यह एक उत्तम टॉनिक भी है, जो वात पित्त का शमन भी करता है।
Gut-CLR का उपयोग केवल साप्ताहिक पेट की सफाई के लिये श्रेयस्कर रहता है, जो आपको कई रोगों से बच कर एक स्वस्थ जीवन दे सकता है।
अन्य उपाय
पका अमरुद, आम, चीकू, अंजीर, पपीता जैसे fiber rich और कम FODMAP वाले फल,
पालक, बथुआ, भिन्डी, मूली, गाजर इत्यादि सब्जियों का भरपूर उपयोग कीजिये।
ये सब आंतो को गतिशीलता देते हैं और मल को धकेलने का काम भी करते हैं.
सप्ताह के एक या दो दिन केवल फल या शाकसब्जियां ही उपयोग करें, लाभ मिलेगा,
चिकनाई युक्त उपाय कीजिये
घी तेल का प्रचुर उपयोग करना कब्ज़ का एक कारगर उपाय है।
रात को सोते समय कुनकुने दूध में दो या तीन बड़े चम्मच देशी घी मिला कर पी लीजिये, लाभ मिलेगा।
सारशब्द
कब्ज़ constipation को कभी भी हल्का रोग नहीं समझना चाहिए।
क्योकि इस रोग से ही अन्य कई रोग पनपते हैं।
पेट को हमेशा कब्ज़ से बचा कर नियमित रखिये; कई रोगों से बचिए
कब्ज़ के सामान्य घरेलू नुस्खे, उपचार, इलाज इस लेख में देखे जा सकते हैं.
I have been using Somalo for the past four years. I also use GutCLR occasionaly to clean my colon. These are woderful products.