मायाजाल

maayajaal

रात हो गई थी।

एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था।

अंधेरे में कुआं दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया।

गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई। जब उसने नीचे झांका, तो देखा कि कुएं में अजगर मुंह खोले उसे देख रहा है |

जिस डाल को वह पकड़े हुए था, उसे दो चूहे कुतर रहे थे।

इतने में एक हाथी आया और पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा।

वह घबरा गया और सोचने लगा कि हे भगवान अब क्या होगा ?

उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा था।

हाथी के पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां उडऩे लगीं और शहद की बूंदें टपकने लगीं।

एक बूंद उसके होठों पर आ गिरी। उसने प्यास से सूख रही जीभ को होठों पर फेरा, तो शहद की उस बूंद में गजब की मिठास थी।

कुछ पल बाद फिर शहद की एक और बूंद उसके मुंह में टपकी।

अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भूल गया।

तभी उस जंगल से शिव एवं पार्वती अपने वाहन से गुजरे।

पार्वती जी ने शिव से उसे बचाने का अनुरोध किया।

भगवान शिव ने उसके पास जाकर कहा – मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं। मेरा हाथ पकड़ लो।

इंसान ने कहा कि एक बूंद शहद और चाट लूं, फिर चलता हूं।

एक बूंद,

फिर एक बूंद और

हर एक बूंद के बाद

अगली बूंद का इंतजार।

आखिर थक-हारकर शिव पार्वती चले गए।

मित्रों..

वह जिस जंगल में जा रहा था,

वह जंगल है दुनिया,

अंधेरा है अज्ञान

अजगर है मृत्यु

पेड़ की डाली है आयु

दिन-रात रूपी चूहे उसे कुतर रहे हैं।

घमंड का मदमस्त हाथी पेड़ उखाडऩे में लगा है।

शहद की बूंदें सांसारिक सुख हैं, जिनके कारण मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है…..।

तत्वसार

सुख की माया में फंसे को भगवान भी नहीं बचा सकते……।

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