पिछले दो तीन दशकों से, जब से पश्चिम के शोध संस्थानों का ध्यान आयुर्वेद में बढ़ा है, भारत की कई जड़ी बूटियों की मांग इतनी बढ़ गयी है कि उनकी अब खेती भी होने लगी है. सफ़ेद मुसली इसका एक सटीक उदाहरण है.
पहले सफ़ेद मूसली को जंगलों से निकाला जाता था
लेकिन अब इसकी मांग इतनी बढ़ गयी है कि इसकी खेती भी होने लगी है.
जिससे कई किसानों के दिन बदल गए हैं, और वे खुशहाल हो गए हैं.
आयुर्वेद में सफ़ेद मुसली अर्थात श्वेत मूसली को बल्य रसायन का दर्जा प्राप्त है.
और अब ढेर सारे वैज्ञानिक शोध भी इसे बेहतरीन वनौषधि मानते हैं.
वे मानते हैं कि सफ़ेद मुसली का उपयोग कई प्रकार की कमज़ोरियों और रोगों में किया जा सकता है.
सफेद मूसली की पहचान
इसे White Musli भी कहा जाता है और इसका botanical name: Chlorophytum borivilianum होता है.(1)
यह लिल्ली परिवार का पौधा है जो भारत के नमीं युक्त घने जंगलों में स्वत: पनपता पाया जाता है.
इसकी जड़ें सफ़ेद मूली जैसे कंदों के गुच्छे युक्त होती हैं
जब ताज़ी हों तो अंगुली जितनी मोटी और ऊँगली से थोड़ी अधिक लम्बी तक होती हैं.
बरसात की पहली बारिश गिरते ही भूमि में पड़े कंदों में से नए पत्ते निकलने लगते हैं.
दो महीने तक पनपने के बाद पत्तों के मध्य से एक शाख निकलती है जिस पर छोटे छोटे नीलाभश्वेत फूल आते हैं.
सर्दियाँ आने पर पत्ते सूख जाते हैं लेकिन भूमि में पड़े कंद बढ़ते और पकते रहते हैं,
जिन्हें अप्रैल मई के महीनों में निकाल कर सुखा लिया जाता है.
इसे वनौषधियों का सफ़ेद सोना भी कहा जाता है जो संभवत: इसके रंग के कारण हो सकता है.
शोधों ने इसे शतावरी (Asparagus racemosus) और काली मुसली (black musli या Curculigo Orchioides) से अधिक कारगर वनस्पति पाया है. (2)
सफ़ेद मुसली में saponins और polysaccharides की काफी अधिक मात्रा पाई जाती है
जो इसके सभी गुणों के मुख्य कारक माने जाते हैं.
कामोद्दीपक और बल्य रसायन (aphrodisiac and tonic)
आयुर्वेद में सफ़ेद मूसली को बेहतरीन वाजीकरण अथवा कामोद्दीपक (aphrodisiac) और बल्य रसायन (tonic) बताया गया है.
एक शोध में प्रमाणित हुआ कि इसके उपयोग से शक्राणुओं की वृद्धि होती है.
यह भी निष्कर्ष निकले हैं कि इसके उपयोग से कामलिप्सा , कामोत्तेजना और सम्भोग शक्ति में बेहतरीन लाभ मिलते हैं.
सफ़ेद मूसली के उपयोग से testosterone भी बढ़ते हैं जिससे वीर्य की बढ़ोतरी भी होती पाई गयी है. (3, 4, 5)
आयु बढ़ाने में उत्तम
आयुर्वेद में श्वेत मुस्ली को आयू बढ़ाने वाले रसायन का दर्जा मिला हुआ है.
आयु बढाने वाले तत्वों के गुणों का विश्लेषण करना एक जटिल और लम्बी प्रक्रिया है,
जिसके लिए कई सालों या दशकों के शोध की आवश्यकता की ज़रूरत होती है.
क्योंकि दुनिया भर में सफ़ेद मुस्ली की मांग इसलिए अत्यधिक बढ़ रही थी, कि इसे आयु बढाने वाला बताया जा रहा था…
13 वैज्ञानिकों के एक शोध दल ने इसकी पड़ताल करने के लिए शोध की एक ऐसी प्रक्रिया का सहारा लिया
जिससे शोध भी जल्दी पूरा किया जा सके और परिणाम भी सटीक मिलें.
उन्हों ने श्वेत मुस्ली का उपयोग Saccharomyces cerevisiae नामक यीस्ट, और
Caenorhabditis elegans नामक सूत्रक्रिमि पर किया.
इन दोनों पर होने वाले शोधों को मानव जाति के लिए भी समकक्ष माना जाता है.
फर्क केवल इतना है कि इनकी उम्र कुछ घंटो से लेकर कुछ दिनों की होती है, जबकि मानव जीवनकाल 70 से 100 साल का हो जाया करता है.
परिणाम आया कि सफ़ेद मुस्ली के उपयोग से Saccharomyces cerevisiae की उम्र 41% तक बढ़ गयी
जबकि Caenorhabditis elegans की उम्र में 10% बढ़ाव हुआ.
यह शोध सफ़ेद मूसली की आयु बढ़ाने की क्षमता और गुणों को अत्याधिक बल देता है. (6)
डायबिटीज नियंत्रक
मलेशिया की High Impact Research Grant के तहत University of Malaya, Kuala Lumpur, ने चूहों पर एक शोध किया.
इस शोध का उद्देश्य, सफ़ेद मूसली के डायबिटीज निवारक गुणों का मूल्यांकन करना था.
परिणाम सामने आये कि इसके उपयोग से तनाव से उत्पन्न पैंक्रियास की बीटा कोशिकाओं के नुकसान में आशातीत लाभ मिलता है.
पैंक्रियास की बीटा कोशिकायें ही इन्सुलिन का उत्पादन करती हैं.
यदि बीटा कोशिकाएँ स्वस्थ रहेंगी तो डायबिटीज होने का खतरा भी नहीं होगा.(7)
रोग रोधी
शोध मानते हैं कि सफ़ेद मुस्ली के उपयोग से रोगरोधी क्षमता बढती है.
यह भी पाया गया है कि इसके सेवन से उन रोगों से बचा जा सकता है जो उम्र में बढ़ाव के कारण होते हैं.
इम्युनिटी बढाने के लिए मुस्ली अश्वगंधा जैसा ही रसायन पाया गया है, लेकिन शतावरी से बेहतर. (8, 9, 10)
अच्छी नींद में सहायक
यदि आप नीद की कमी से जूझ रहे हैं तो सफ़ेद मुस्ली एक बढ़िया विकल्प हो सकता है.
केवांच अथवा कौंच बीज (English: Velvet beans; botanical name: Mucuna pruriens) और सफ़ेद मुस्ली के मिश्रित उपयोग पर हुए एक शोध ने पाया कि
इनके उपयोग से नींद की गुणवत्ता और गहराई में 50% तक की बढ़ोतरी पायी जा सकती है. (11, 12)
तनाव नियंत्रक
डिप्रेशन और तनाव आजकल के जीवन की मुख्य चुनौतियाँ हैं.
शोधों ने पाया है कि सफ़ेद मुस्ली के सेवन से तनाव सहने की क्षमता बढती है
और अकारण हो रही चिंता से भी मुक्ति मिलती है. (13)
खुराक की मात्रा और विधि
आयुर्वेद में सफ़ेद मूसली के चूर्ण की मात्रा 2 से 4 ग्राम बताई गयी है.
जबकि शोधों द्वारा निश्चित की गयी मात्रा 3 से 8 ग्राम तक.
जो भी हो, क्योंकि यह एक वनस्पति है जिसके कोई दुष्परिणाम नहीं हैं; आप इसे सहजरूप से उपयोग कर सकते हैं.
आप इसके चूर्ण को शहद या पानी के साथ लें या फिर दाल, सब्जी या आटे में मिलाकर.
सभी जायज़ हैं.
सफ़ेद मुसली के सप्लीमेंट्स
बाज़ार भेड़चाल से चलते हैं.
यदि शोर मच गया कि नमक कम खाना चाहिये तो आप भी नमक कम ही खायेंगे.
सफ़ेद मुस्ली को भी ऐसे प्रस्तुत किया जा रहा है जैसे कि यदि आप इसे नहीं लेंगे तो पता नहीं क्या कहर हो जायेगा.
इसी कारण मुस्ली पाउडर (Musli Powder), मूसली पाक (Musli Pak) जैसे कई उत्पाद बाज़ार में बेचे जा रहे हैं; और लोग उन्हें हाथों हाथ खरीद भी रहे हैं.
यदि आप सफ़ेद मूसली का उपयोग करना चाहें तो मेरी राय है;
इसे खरीदें, घर पर ही इसका ग्राइंडर में चूर्ण बनायें और उपयोग करें.
बेहतर होगा आप इसे अकेले न ले कर अन्य वनौषधियों के साथ उपयोग करें.
इसका अन्य वनस्पतियों (केवांच, शतावरी, अश्वगंधा, गोखरू, आंवला, गिलोय) के साथ का उपयोग अधिक लाभकारी होता है.
सारशब्द
सफ़ेद मूसली बेशक एक बेहतरीन वनस्पति है, जिसके उपयोग से कई स्वास्थ्य लाभ पाए जा सकते हैं.
इसका अकेले उपयोग भी लाभकारी है, और अन्य वनस्पतियों के साथ भी.