हमारा मस्तिष्क एक विशेष अंग है जिसके कारण पूरे धराधाम में मानव जाति अन्य प्राणियों से उत्कृष्ट मानी जाती है.
जानते हैं क्या है हमारा मस्तिष्क; कुछ तथ्य जो चकित और अचंभित भी करते हैं.
हमारा मस्तिष्क – 12 तथ्य
- आपका मस्तिष्क 12 से 25 वाट बिजली पैदा करता है.
यह बिजली पर्याप्त है कि LED लाइट से घर के दो कमरे जगमगा जाएँ.(1, 2)
- शरीर की कुल कोलेस्ट्रॉल का लगभग 25% भाग मस्तिष्क को चाहिए होता है.
और कोलेस्ट्रॉल न मिलने पर मस्तिष्क की कोशिकाएं मर भी सकती हैं,
तो जान लीजिये, कोलेस्ट्रॉल का महत्त्व क्या है(3)
- कोई भी अभी तक बिलकुल सही नहीं जानता,
लेकिन एक नवीनतम अनुमान के अनुसार हमारे मस्तिष्क में लगभग 8600 करोड़ कोशिकाएं होती हैं.
- न्यूरॉन व सिनेप्स
रेत के एक कण के आकार के एक टिश्यू में 1,00,000 न्यूरॉन व 100 करोड़ स्यनाप्सेस (synapses) होते हैं
जो निर्बाध रूप से आपस में पूरा संवाद स्थापित करते रहते हैं.
स्यनाप्सेस एक ऐसा तंत्रजाल है जिसके द्वारा न्यूरॉन अथवा नाडी कोशिकाएं एक दुसरे से संवाद स्थापित करती हैं (4)
- यद्यपि चोट व पीड़ा का अहसास मस्तिष्क के कारण होता है, लेकिन दिमाग में कोई भी पीड़ा की संवेदना नहीं होती.
यह इसलिए क्योंकि मस्तिष्क में संवेदना ग्राही तंतु नहीं होते.
इसी कारण अधिकाँश ब्रेन के ऑपरेशन बिना किसी बेहोशी की दवा के;
मरीज के पूरे होशो-हवास में किये जा सकते हैं (5)
- वास्तव में, आपके मस्तिष्क की स्मरण क्षमता अनंत है.
यह कंप्यूटर या स्मार्टफ़ोन की तरह सीमित नहीं होती.
जितना अधिक आप उपयोग करते जायेंगे, उतनी ही अधिक यह विस्तृत होती जाती है(6)
- मस्तिष्क की कार्यशैली संरचना की तुलना एक घडी, स्विचबोर्ड, व कंप्यूटर से की जाती रही है.
एक आधुनिकतम शोध में पाया है कि इन्टरनेट की रचना से भी इसकी कार्यशैली का मिलान किया जाना अधिक प्रासंगिक हो सकता है,
क्योंकि घड़ी, स्विचबोर्ड, कंप्यूटर इत्यादि की क्षमता तो सीमित होती है लेकिन इन्टरनेट की क्षमता का लगातार विस्तार किया जा सकता है (7, 8)
हमारा मस्तिष्क – क्षमता
- दिन भर में, एक औसत मस्तिष्क में लगभग 50,000 विचार उठते हैं.
यह भी उल्लेखनीय है कि अधिकतर लोगों के 70% विचार नकारात्मक होते हैं.(9, 10)
- ऐसा कहा जाता था कि हम कभी भी दिमाग का पूरा उपयोग नहीं करते; केवल 10% ही उपयोग करते हैं.
लेकिन अब यह अवधारणा शोधों द्वारा नकारी जा चुकी है.
हम मस्तिष्क का पूरा उपयोग करते है; जागते हुए भी, और सोते हुए भी (11, 12)
- यह भी कहा जाता था कि दिमाग के दाहिने व बाएं दो हिस्सों में से एक के अधिक उपयोग के कारण हमारा व्यक्तित्व विशेष होता है.
हकीकत यह है कि हम पूरे दिमाग से सोचते व समझते हैं. (11)
- अधिक कोलेस्ट्रॉल को हमेशा घातक माना जाता रहा है.
लेकिन अधिक कोलेस्ट्रॉल मिलने से मस्तिष्क की कार्यकुशलता बढ़ जाती है और हम बुढापे के रोगों जैसे यादाश्त की कमी अथवा स्मृतिभ्रंश (dementia) से बचे रहते हैं (13)
बड़ा दिमाग, छोटा दिमाग
- ऐसा कहा जाता है कि जिसका जितना बड़ा दिमाग होगा उतना ही अधिक बुद्धिमान वह व्यक्ति होगा.
हकीकत में ऐसा बिलकुल भी नहीं.
अल्बर्ट आइनस्टीन ( Albert Einstein) जिन्हें पिछली सदी का सब से रचनात्मक वैज्ञानिक माना जाता है; के मस्तिष्क का वज़न 1230 ग्राम था,
जो औसत मानव मस्तिष्क के 1400 ग्राम वज़न के मुकाबले 170 ग्राम कम था.
लेकिन उनके दिमाग का न्यूरॉन घनत्व (Neural density) सामान्य व्यक्ति के दिमाग से कहीं अधिक था. (14)
वैसे भी, प्राणी जगत में आदमी का मस्तिष्क सब से बड़ा नहीं है.
सबसे बड़ा दिमाग स्पर्म व्हेल का होता है जो लगभग पौने आठ किलो का होता है.(25)
- आपके मस्तिष्क में हर एक सेकंड में, एक लाख से भी अधिक रासायनिक क्रियाएं घटित होती हैं.
इसकी तुलना यदि संसार के बेहतरीन केमिकल प्लांट से करें तो इतनी क्रियाओं के लिये लगभग पौने दो साल का समय लगेगा(15)
पेट में भी होता है मस्तिष्क
सिर के अंदर स्थित मस्तिष्क ही केवल हमारा मस्तिष्क नहीं होता.
हमारा एक अन्य मस्तिष्क भी होता है जो हमारी आँतों में पाया जाता है.
आँतों के भीतर के इस मस्तिष्क में लगभग 100000 न्यूरॉन्स पाए जाते हैं.
नाभिचक्र संभवत: इसी का ही नाम है.
इस मस्तिष्क के लिये आँतों के बैक्टीरिया 30 से अधिक किस्म के न्यूरो-ट्रांसमिटर बनाते हैं जिनमें serotonin नामक प्रसन्नता देने वाला “happy molecule” भी शामिल है.
इस मॉलिक्यूल के कारण ही हमें प्रसन्नता का आभास होता है.
साफ़ है, क्यों आपको प्रसन्नता और भय का अनुभव पेट में होता है, दिमाग में नहीं.(16)