प्रारब्ध सार
डॉ गौतम चैटर्जी जब आत्मा शरीर तत्व को प्राप्त करता है उसको प्रारब्ध भी मिलते हैं। भाग्य की यात्रा और कुछ नहीं बल्कि तपिश सहना है, जैसे सोना जब गर्म किया जाता है तब उसकी चमक व निखार उभरता है। यह तप व राम नाम आराध्य तपस्या भाग्य की एक सम्पूर्ण यात्रा में परिवर्तित हो जाती […]