भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला, कौसल्या हितकारी॥

रामनवमी पर्व की बधाई, मंगल कामनाएं!!

आनंद लीजिये गोस्वामी तुलसीकृत रामचरित मानस की रामावतरण चौपाईयों का, जिन्हें लगभग सभी शीर्ष गायकों ने स्वरबद्ध किया है.

यह गायन स्वर्गीय जगजीत सिंह जी की प्रस्तुति है.

 

 

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी॥

लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी॥

दीनों पर दया करने वाले, कौसल्याजी के हितकारी कृपालु प्रभु प्रकट हुए.

मुनियो के मन को हरने वाले उनके अदभुत रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गयी.

नेत्रो को आनंद देने वाला मेघ के समान श्याम शरीर था,

चारो भुजाओ मे अपने (खास) आयुध (धारण किये हुए) थे,

(दिव्य) आभूषण और वनमाला पहने थे, बडे-बडे नेत्र थे.

इस प्रकार, शोभा के अनंत समुद्र तथा खर दानव को मारनेवाले भगवान प्रकट हुए.

Translation

The lord exhibits his mercy and compassion to all; descended before Kausalya,

She was gladdened on seeing him, who mesmerised the sages and thought about his great form,

As he had ever pretty eyes, was having a dark black body and held weapons in four hands,

And also that killer of Khara Wore a forest garland, had broad eyes, was an ocean of beauty.

कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता॥

करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता॥

दोनो हाथ जोडकर माता बोली…

हे अनंत! मै किस प्रकार तुम्हारी स्तुति करूँ.

जब वेद और पुराण भी तुमको माया, गुण और ज्ञान से परे और परिमाणरहित बतलाते हैं. 

श्रुतियां और संतजन दया और सुख का समुद्र, सब गुणों का धाम कहकर जिनका गान करते हैं,

हे भक्तों से प्रेम करने वाले लक्ष्मीपति भगवान,

आप मेरे कल्याण के लिये प्रकट हुए हैं.

Translation

She saluted him joining her palms, sang his praise and asked him “ Oh lord of infinite and endless mercy, how do I praise you,

AS the Vedas and Puranas say that you are beyond Maya, beyond all the attributes and knowledge and you are immeasurable,

You are the ocean of joy and mercy, the collection of all good virtues and that you are praised by all Vedas and sages,

And for the sake of pleasing me, Oh Lord of Lakshmi, you have appeared before me.

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै॥

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥

वेद कहते हैं, तुम्हारे प्रत्येक रोम मे माया के रचे हुए अनेको ब्रम्हाण्डो के समूह (भरे) है.

तुम मेरे गर्भ मे रहे- यह सुनने पर धीर (विवेकी) पुरूषो की बुद्दि भी स्थिर नही रहती (विचलित हो जाती है).

माता को ज्ञान उत्पन्न हुआ, तब प्रभु मुसकराये.

वे बहुत प्रकार के चरित्र करना चाहते है.

अतः उन्होने (पूर्वजन्म की) सुंदर कथा कहकर माता को समझाया,

जिससे माता को पुत्र प्रेम (वात्सल्य) प्राप्त हो (भगवान के प्रति पुत्रभाव हो जाय). 

Translation

The Vedas say that you create the body of the universe from every pore of the hair by the power of your Maya

Even wise men, on hearing that you lived in my womb would find it difficult to believe,

And when this thought came to the mother the Lord smiled and told her that as sports he does diverse acts.

And he told her joyful stories so that she would start loving him like a child.

माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा॥

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा॥

माता की बुद्धि बदल गयी, तब वह फिर बोली-

हे तात! यह (चार भुजाओं वाला) रूप छोड्कर अत्यन्त प्रिय बाललीला करो,

(माता के लिये) यह सुख परम अनुपम होगा.

(माता का) यह वचन सुनकर देवताओं के स्वामी सुजान भगवान ने बालक बन (रूप लेकर) रोना आरम्भ कर दिया.

(तुलसीदासजी कहते हैं) जो इस चरित्र का गान करते है, वे श्रीहरि का पद पाते है और (फिर) संसाररूपी कूप मे नही गिरते.

Translation

On hearing it, the mother’s mind changed

and requested the Lord to give up the form he had assumed,

And she requested him to do baby like acts

to become very dear to her and give her maternal happiness,

On hearing these words,

the all-knowing Lord shed His real form and started crying like a child.

Those who sing this Divine incidence would ascend unto Lord Vishnu’s abode and would never fall back into the birth-death cycle

॥ जय जय राम, श्री राम ॥
॥ श्री राम, जय जय राम ॥

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