हल्दी एक उत्तम एंटीसेप्टिक व एंटी बैक्टीरियल वनस्पति है.
इसे English में Turmeric और वनस्पति शास्त्र में Curcuma longa के नाम से जाना जाता है.
इसमें कर्कुमिन (curcumin) नामक रसायन रहता है जो इसके सारे औषधीय गुणों का कारक माना जाता है.
आयुर्वेद में इसको रक्तशोधक, व्रणनाशक, त्वचा के लिये हितकारी वनस्पति का दर्जा प्राप्त है.
इसको दूध और शहद में मिलाकर कई औषधीय योगों में उपयोग किया जाता है.
प्रस्तुत हैं, घर में उपलब्ध इस बेजोड़ वरदान के कुछ नुस्खे.
1 गोरेपन और सौन्दर्य के लिये
हल्दी त्वचा के परजीवी जीवाणुओं को नष्ट करती है।
इसलिए इसका लेप त्वचा के इन्फेक्शन में लाभकारी होता है.
थोड़ी-सी इसमें पिसा हुआ कपूर, थोड़ा-सा सरसों का तेल मिलाकर लेप तैयार करने से त्वचा पर होने वाले रोग दूर हो जाते हैं।
इसकी गाँठ को पानी में पीसकर लेप तैयार करें और इसका उबटन नहाने से पूर्व लगा लें।
एक हफ्ते में आपको त्वचा में निखार लगेगा, व pimples व acne से राहत मिलेगी।
चेहरे के निखार के लिये, इसको गर्मियों में दही व सर्दियों में ताजी मलाई में मिलाकर चेहरे एवं हाथों पर लगाएँ।
थोड़ी देर बाद पानी से चेहरा धो लें, साबुन न लगायें।
त्वचा खिल उठेगी।
2 घमौरियां
शरीर पर घमौरियां निकलने पर दो चम्मच हल्दी को पानी या दूध में मिला कर पियें. लाभ मिलेगा.
इसको मुल्तानी मिटटी के साथ मिला कर लेप करने से भी घमोरियां चली जाती हैं व शरीर को ठंडक मिलती है.
3 अंदरूनी चोट
एक गिलास गर्म मीठे दूध में एक चम्मच हल्दी पावडर मिलाकर पीने से शरीर की आन्तरिक चोट ठीक हो जाती है।
4 पित्त रोग
हल्दी मिला दूध सुबह-शाम लगातार पाँच दिन तक पीने से
पित्त रोग जैसे, एसिडिटी, मुँह के छाले, घमौरियां, अधिक पसीना आना इत्यादि; शांत होते हैं व ठीक हो जाते हैं।
5 भूख की कमी
खाने में इसका एक चुटकी पावडर मिलाने से भूख बढ़ती है।
एक चुटकी का मतलब है कि इसे खाने में अलग से डाला जाये न कि तडके में मिलाया जाये.
6 पेट के कृमि व इन्फेक्शन
इसका सेवन करने से आँतों की गतिशीलता बढ़ती है व पेट के कृमि नष्ट होते हैं।
7 वज़न घटाने के लिये
वज़न घटाने के लिये एक चम्मच हल्दी, आधा चम्मच दालचीनी शहद में मिलाकर, रोज़ सुबह पानी के साथ लें.
धीरे धीरे लाभ मिलेगा.
8 चोट लगने पर
इसका पाउडर फर्स्ट ऐड में उपयोग करें.
घाव पर हल्दी लगाने से इन्फेक्शन नहीं होती और खून बहना बंद हो जाता है.
9 यूरिक एसिड व गाउटी आर्थराइटिस
हल्दी एक उत्तम एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर में यूरिक एसिड के जमाव को रोकती है.
रोज़ एक चम्मच कच्ची हल्दी का पानी के साथ सेवन, यूरिक एसिड से राहत दिलाता है.
10 मुहं के छाले व गले की खराश
हल्दी व नमक को कुनकने पानी में मिला लें.
इस पानी से गरारे व कुल्ले करने से समस्त मुख रोग जैसे कि छाले, पायोरिया, बदबू, मसूड़ों की सूजन व गले की खराश का अंत होता है.
हल्दी विशेष
पिसाई करने से पहले इसे उबालकर सुखाने की परम्परा है.
पिसाई से पहले अधिक उबालने से हल्दी के गुणकम हो जाते हैं.
पूरे औषधीय गुण पाने के लिये इसे बिना उबाले ही उपयोग करें चाहे साबुत लेनी हो या पिसी हुई.