अर्धचन्द्रासन - Half Moon Pose ardha-chandrasan

अर्धचन्द्रासन – Half Moon Pose – विधि और लाभ

अर्ध का अर्थ आधा और चंद्रासन अर्थात चंद्र के समान किया गया आसन।

अर्धचन्द्रासन – Half Moon Pose को करते समय शरीर की स्थिति अर्ध चंद्रमा के समान हो जाती है, इसीलिए इसे अर्ध चंद्रासन कहते है।

इस आसन की स्थि‍ति त्रिकोण समान भी बनती है इससे इसे त्रिकोणासन भी कह सकते है, क्योंकि दोनों के करने में कोई खास अंतर नहीं होता।

यह आसन खड़े होकर किया जाता है।

अर्धचन्द्रासन – Half Moon Pose – विधि

सर्वप्रथम दोनों पैरों की एड़ी-पंजों को मिलाकर खड़े हो जाएँ।

दोनों हाथ कमर से सटे हुए गर्दन सीधी और नजरें सामने।

फिर दोनों पैरों को लगभग एक से डेढ़ फिट दूर रखें।

मेरुदंड सीधा रखें।

अब दाएँ हाथ को उपर उठाते हुए कंधे के समानांतर लाएँ फिर हथेली को आसमान की ओर करें।

फिर उक्त हाथ को और उपर उठाते कान से सटा देंगे।

इस दौरान ध्यान रहे की बायाँ हाथ आपकी कमर से ही सटा रहे।

अब दाएँ हाथ को उपर सीधा कान और सिर से सटा हुआ रखते हुए ही कमर से बाईं ओर झुकते जाएँ।

इस दौरान आपका बायाँ हाथ स्वत: ही नीचे खसकता जायेगा।

ध्यान रहे कि बाएँ हाथ की हथेली को बाएँ पैर से अलग न हटने पाए।

जितना बन सके, बाईं ओर झुके फिर इस अर्ध चंद्र की स्थिति में 30-40 सेकंड तक रहें।

वापस आने के लिए धीरे-धीरे पुन: सीधे खड़े हो जाएँ।

फिर कान और सिर से सटे हुए हाथ को पुन: कंधे के समानांतर ले आएँ।

फिर हथेली को भूमि की ओर करते हुए उक्त हाथ को कमर से सटा लें।

यह दाएँ हाथ से बाईं ओर झुककर किया गए अर्ध चंद्रासन की पहली आवृत्ति हैं अब इसी आसन को बाएँ हाथ से दाईं ओर झुकते हुए करें तत्पश्चात पुन: विश्राम की अवस्था में आ जाएँ।

उक्त आसन को 4 से 5 बार करने से लाभ होगा।

लाभ

1. इस आसन से घुटने, ब्लडर, किडनी, छोटी आँत, लीवर, छाती, लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है, जिससे क‍ि उपर्युक्त अंग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगीपन बना रहता है।

2. श्वास, उदर, पिंडलियों, पैरों, कंधे, कुहनियों और मेरुदंड संबंधी रोग में लाभ मिलता है।

3. यह आसन कटि प्रदेश को लचीला बनाकर पार्श्व भाग की चर्बी को कम करता है।

4.पृष्ठांश की माँसपेशियों पर बल पड़ने से उनका स्वास्थ्य सुधरता है।

5. छाती का विकास करता है।

6. वात व पित दोष को ठीक करता है ।

सावधानी

यदि साइड या बेक पेन हो तो यह आसन योग चिकित्सक की सलाह अनुसार ही करें।

 हृदय समस्या वाले रोगी इस आसन को न करें।

पथरी के रोगी भी इस आसन का अभ्यास न करें ।

JAIDEV YOGACHARYA (THERAPIST & AYURVEDA)

SARAV DHARAM YOG ASHRAM.  MOB.+917837139120




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