इस लेख में दिए गए वैज्ञानिक शोधों के लिंक ये दर्शाने के लिये काफी हैं कि ओमेगा 3 (Omega3) की कमी के कारण हम कितनी बीमारियाँ झेल रहे है.
कमी पोषण की होती है लेकिन हम अनाप शनाप दवाइयों का उपयोग कर अपनी सेहत और धन से खिलवाड़ करते रहते हैं.
ओमेगा फैटी एसिड वसा में पाए जाने वाले अत्यंत क्रियाशील तत्व होते हैं जिनसे हमारे शरीर की विभिन्न प्रणालियाँ काम करती हैं.
यदि ओमेगा फैटी एसिड नहीं मिलेंगे तो हम भी ठीक नहीं रह पायेंगे.
वसा से प्राप्त होने वाले फैटी एसिडों को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है;
1. Omega 3 फैटी एसिड
2. Omega 6 फैटी एसिड एवं
3. Omega 9 फैटी एसिड
स्वास्थ्य की दृष्टि से ओमेगा-3 अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, फिर उत्तरोत्तर ओमेगा 6 और अंत में, ओमेगा 9.
हमें ओमेगा-6 और ओमेगा-9 तो प्रचुर मात्रा में मिल जाते हैं.
किन आधुनिक खानपान के चलते ओमेगा-3 की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है.
इस कारण, पिछले 4-5 दशकों से बीमारियों की एक बाढ़ सी आ गयी है.
ओमेगा-3 की कमी से होने वाले रोग
नीचे दी गयी तालिका से सपष्ट है कि ओमेगा-3 की कमी कितना कहर बरपा सकती है.
और कितने रोगों के मूल में ओमेगा 3 की कमी का हाथ होता है.
शोध प्रमाणित करते हैं कि ओमेगा 3 कमी हमारे व्यवहार में भी बदलाव लाती है.
गुस्सा, डिप्रेशन, नशा जैसे मानसिक विकारों तथा छल, कपट, चोरी, लूट जैसे आसामाजिक कृत्यों के पीछे भी ओमेगा 3 की कमी का योगदान रहता है.
Omega 3 की कमी – पहला कारण
आप सोच रहे होंगे कि हमारी भोजन शैली में ऐसा क्या बदलाव आ गया…
कि हमारे आहार से ओमेगा-3 में भारी कमी आ गयी?
वास्तव में, हमने वे सब भोजन छोड़ दिए जो हमें पहले मिला करते थे.
आप को याद होगा जब सर्दी के मौसम में, हर घर में, अलसी, मेथी के लड्डू बनाते थे.
जिन्हें पूरा परिवार हर वर्ष सर्दियों के 3-4 महीने तक खाया करता था.
घर में दुधारू पशुओं को अलसी खिलाई जाती थी जिससे ओमेगा 3 दूध से ही मिल जाता था.
अलसी आजकल गाय, भैंस के लिये तो दूर, हमारी रसोई से भी गायब हो चुकी है.
इसी प्रकार मांसाहार में भी मछली की जगह चिकन व मटन ने ले ली है.
जबकि मछली की हर प्रजाति ओमेगा-3 का बेहतरीन स्रोत है; और सस्ता आहार भी है.
एक अन्य महत्पूर्ण बात.
ओमेगा-3 के घटक ALA को DHA में परिवर्तित करने के लिये सूर्य की धूप लेना आवश्यक होता है.
और आजकल की पीढ़ी धूप में निकलना नज़रंदाज़ करती है.
सोचते हैं, कि धूप से रंग काला हो जायेगा.
हमारे भोजन में ओमेगा 3 और ओमेगा-6 का एक उपयुक्त अनुपात में समायोजन होना चाहिए.
ओमेगा-3 के गुण और लाभ फायदे
ओमेगा-3 शरीर की लगभग हर प्रणाली के लिये ज़रूरी हैं.
ऐसी कोई भी मुख्य क्रिया नहीं जिनमें ओमेगा3 का योगदान न हो, अधिक विवरण के लिये लिंक्स 1, 2, 3, 4. देखिये.
नीचे के कुछ सन्दर्भ देख कर अनुमान लगाया जा सकता है कि ओमेगा-3 की हमारे स्वाथ्य के लिये कितनी उपयोगिता है
स्वस्थ ह्रदय के लिये. (5, 6, 7, 8, 9).
त्वचा को सुंदर, स्वस्थ बनाने में सहायक (10, 11, 12)
मोटापा, डायबिटीज़, कोलेस्ट्रॉल, ऑस्टियोपोरोसिस नियंत्रण (13, 14, 15, 16, 17).
उत्तम दृष्टि के लिये (14 15, 16, 17 18, 19).
मस्तिष्क की क्रियाशीलता के लिये (20, 21,22, 23, 23, 24 25).
बढ़ती उम्र के लिये (26, 27, 28, 29,30).
कैंसर प्रतिरोधक (31, 32 33, 34, 35, 36).
दमा (Asthma) में सहायक (37, 38).
लिवर के रोगों में (39, 40, 41, 42).
जोड़ों, मासपेशियों, हड्डियों के लिये (43, 44 45, 46, 47).
देवियों की मासिक धर्म सम्बन्धी समस्याएं (48, 49, 50, 51 52).
कमी का दूसरा कारण
हमारे आधुनिक आहार में न केवल ओमेगा-3 का उपयोग अत्यधिक घटा है बल्कि वनस्पति तेलों का उपयोग भी ज़रुरत से अधिक बढ़ गया है.
ये समस्या का दूसरा बड़ा पहलू है.
वनस्पति तेलों में ओमेगा-6 की मात्रा अधिक रहती है.
जिसके कारण मोटापा, हृदयरोग, रक्तचाप, कैंसर, डायबिटीज, एसिडिटी, डिप्रेशन, आर्थराइटिस, मोटापा एवं ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियाँ आधुनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गयी हैं.
यदि हमारे आहार में ओमेगा-6 तथा ओमेगा-3 का संतुलित अनुपात रहे तो इन बिमारियों का कोई कारण ही न बने.
ओमेगा का सही अनुपात
ओमेगा 3 एवं ओमेगा 6 के अनुपात की सीमा 1:4 से अधिक नही होनी चाहिए.
हमारे आजकल के आधुनिक खानपान में यह अनुपात 1:16 तक की बेहद खतरनाक स्थिति तक पहुँच गया है,
दुनिया की वह सभ्यताएं जिनके भोजन में अब भी 2:1 से लेकर 1:4 का अनुपात है, हमसे बहुत बेहतर स्वास्थ्य में हैं.
उन्हें हृदयरोग, रक्तचाप, कैंसर, मोटापा, डायबिटीज, डिप्रेशन, एसिडिटी, आर्थराइटिस, वेरीकोज़ वेन्स, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियाँ बिलकुल नहीं घेरती.
किन आहारों से पायें Omega 3
Omega 3 प्राप्त करने का केवल एक ही तरीका है, और वह है ओमेगा-3 युक्त आहारों का प्रचुर उपयोग.
हमें अपनी आहार शैली में ओमेगा-3 के स्रोत युक्त घटक, जैसे कि अलसी, अखरोट, चिया, पालक, मछली इत्यादि का प्रचुर समावेश नियमित रूप से करना चाहिए.
Omega 3 का सर्वश्रेष्ठ स्रोत मछली प्रजाति है.
हमारी शारीरिक क्रिया प्रणाली द्वारा बिना किसी अतिरिक्त प्रोसेस के मछली से हमें सीधे ही DHA और EPA मिल जाता है.
सप्ताह भर में दो या तीन बार वसायुक्त मछली खा लेने से ओमेगा-3 की ज़रुरत पूरी हो जाती है.
अलसी, अखरोट एवं पालक ओमेगा 3 युक्त खाद्य पदार्थ उत्तम हैं, जो शाकाहारी आहारों की श्रेणी में आते हैं.
दक्षिण अमरीका में पाये जाने वाले चिया बीज (Salviya hispanica) भी अति उत्तम स्रोत है.
शाकाहारी आहारों में ALA की अधिकता रहती है जिसे हमारे शरीर को DHA में बदलना पड़ता है.
यह प्रक्रिया कुछ जटिल एवं धीमी रहती है.
जैसा कि पहले बताया है, ALA को DHA में बदलने के लिये हमें रोज़ कुछ समय सूरज की धूप ज़रूर लेनी चाहिए.
आपमें से कुछ को शायद याद हो, गांवों में पूर्वकाल में, दुधारू पशुओं को नियमित अलसी खिलाई जाती थी.
पशुओं के दिन भर धूप भरी चारागाह में चरने से ALA बदल कर DHA में परिवर्तित हो जाती थी.
और DHA हमें उनके दूध से ही प्राप्त हो जाया करती थी.
Omega 3 के सप्लीमेंट: एक आसान विकल्प
मौजूदा दौर में, शायद हम अपनी भोजन शैली बदल नहीं पा रहे हैं.
इस कारण ओमेगा-3 के सप्लीमेंट लेने का प्रचलन लोकप्रिय होता जा रहा है.
परिणामस्वरूप, यह सप्लीमेंट्स एक बड़ा बाज़ार बन गए हैं.
विशेषज्ञों का भी मानना है कि यदि सप्लीमेंट हमें रोगों से बचा लेने में सहायता करते है तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है.
यदि आप मांसाहारी (Non-vegetarian) हैं
तो ओमेगा-3 सप्लीमेंट के कैप्सूल मिलते हैं जो मुख्यतः मछली के तेल से बनते हैं.
इनमें सब से अधिक ओमेगा-3 रहता है.
एक 1000mg के कैप्सूल में लगभग 300mg EPA और DHA रहते हैं.
इसमें विटामिन A, D और अन्य तैलीय अम्ल भी रहते हैं जिनकी उर्जा ओमेगा-3 के लिये योगवाही का काम करती हैं.
Omega 3 के कई प्रकार के fish oil कैप्सूल्स Amazon पर उपलब्ध हैं.
जिनमें से एक अच्छे विकल्प को यहाँ क्लिक कर देखा खरीदा जा सकता है.
यदि आप शाकाहारी हैं
तो अलसी का तेल (Flax Seed oil) आपके लिये सबसे अच्छा विकल्प है.
अलसी के तेल में ALA और EPA की प्रचुरता रहती है.
विज्ञान के नज़रिए से ALA का DHA में बदलना एक जटिल प्रक्रिया है.
जिसकी वजह से हमें अलसी या अखरोट से उतनी DHA नहीं मिल पाती जो उसी मात्रा में मछली के तेल से मिलती है.
इसलिए आपको अलसी के तेल की मात्रा मछली के तेल से लगभग तीनगुनी लेनी चाहिए.
यानि आपको नित्य 3000mg तक की मात्रा कम से कम लेनी चाहिए.
अर्थात आप रोज़ कम से कम 10 ग्राम अलसी का सेवन करें.
अलसी के तेल का स्वाद भी आमतौर पर पसंद नहीं किया जाता.
शायद इसीलिये अलसी के तेल के कैप्सूल्स प्रचलित भी हो गए हैं और जो शाकाहारी उपभोक्ताओं की पसंद बन गए है.
Amazon पर अलसी तेल के कैप्सूल्स के कई विकल्प उपलब्ध हैं.
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सारशब्द
Omega 3 का हमारी सेहत से बहुत बड़ा सरोकार है.
आप की कोई भी दिनचर्या हो या, भोजन विकल्प हों, Omega 3 का नियमित उपयोग अवश्य करें.
इतना तय है कि ओमेगा-3 के सेवन से हम अपने जीवन को सेहतमंद और रोगमुक्त बना सकते हैं.
और बहुत सारे रोगों से बच कर बेवजह दवाओं का खर्च बचा सकते हैं.