तेज़ गर्मी के बाद, बरसात का मौसम प्रकृति का आलौकिक वरदान होता है.
ग्रीष्मकाल के बाद जब तपती धरती पर बारिश गिरती है तो वातावरण उमंगित हो जाता है.
लेकिन मौसमी बदलाव अपने साथ कई रोगों को आमंत्रण भी देता है।
इसलिए अदि आप वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य सावधानियां रखेंगे तो बीमारियों से तो बचेंगे ही,
साथ ही इस मौसम का पूरा आनन्द भी ले पाएंगे.
बरसात का आनंद लें, लेकिन सावधान रहें
बारिश के मौसम में पेट के रोग, सर्दी-खांसी, त्वचा रोगों से लेकर दस्त, मलेरिया, डेंगू, टाईफ़ोइड, पीलिया इत्यादि अनेकों रोग फैलते है।
जिस तरह हम बारिश से बचने के लिए छाते के इस्तेमाल करते है
ठीक उसी तरह बरसात के मौसम मे फैलने वाली इन बीमारियों से बचने के लिए हमें कुछ एहतियात रूपी छाते का इस्तेमाल करना चाहिए।
दही का सेवन बंद करें
पहली बारिश के साथ ही दही, मट्ठे का सेवन कम से कम एक माह के लिये बंद कर दें.
ये इसलिए. क्योंकि बरसात गिरते ही सब प्रकार के वायरस, कीटाणु भी पनपने लगते हैं.
जिससे पशुओं का चारा भी दूषित हो जाता है.
परिणाम स्वरुप कीटाणुओं के रस दूध में भी आ जाते है.
और जब हम दही जमाते है तो इन एक कोशिकीय कीटाणुओं को भी पनपने का अवसर मिल जाता है.
यदि आप दही मठे का सेवन नहीं करेंगे तो दूध उत्पादों की एलर्जी. जिससे मुहांसे व अन्य त्वचा रोग होते है, बचे रहेंगे.
हरे पत्ते के साग व सलाद बंद करें
हरे पत्ते के शाक (साग) सलाद पहले एक माह के लिये बंद कर दें.
कारण यहाँ भी कीटाणुओं से दूषित होने का है.
आयुर्वेद में शाक को बरसात में खाना बीमारियों को स्वयं न्योता देना बताया गया है.
पाचन शक्ति बनाये रखें
बरसात के मौसम में, प्रकृति की सब रचनाओं के साथ साथ हमारा पाचन भी कमज़ोर हो जाता है
और पेट में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
इसलिए भोजन के बाद एक चम्मच समभाग अजवाईन, सोया (काली कडवी सौंफ) व सौंफ का भुना हुआ चूर्ण अवश्य लें.
ताज़े आहार लें, लेकिन कम मात्रा में लें
हमेशा ताजे और स्वच्छ सब्जी / फल का सेवन करे।
ध्यान रहे, खाने से पहले फल / सब्जी को अच्छे से स्वच्छ पानी से धो कर साफ कर ले।
बासी भोजन,पहले से कटे हुए फल तथा दुषित भोजन का सेवन न करे.
हमेशा ताजा गरम खाना खाए.
ऐसा भोजन खाएं जो आसानी से पच जाए.
इस मौसम में सब्जी / फल जल्दी ख़राब हो जाते है इसलिए हमेशा ताजा फल या सब्जी का प्रयोग करे।
बरसात के मौसम में हमारी पाचन शक्ति भी मंद हो जाती है।
जब भूख लगे तब ही और जितनी भूख हो उतना ही या उस से कम खाएं.
केवल पचने लायक खाना ही लेना चाहिए।
अधिक ठंडा, और खट्टा न खाए।
अधिक नमक वाली चीजे जैसे चिप्स, कुरकुरे, चटनी कम खाए क्योंकी इस मौसम मे शरीर मे water retention की संभावना ज्यादा होती है।
स्ट्रीट फूड से बचें
बाहर का, सड़क के किनारे मिलनेवाला या होटल का खाना खाने से पूरी तरह बचना चाहिए।
बाहर का खाना खाने से हैजा, दस्त, उलटी, टाइफाइड इत्यादी गंभीर रोग हो सकते हैं।
सड़क के किनारे बेचे जानेवाले चायनिझ फ़ूड, भेल, पानी पूरी यह फ़ूड पॉईजनिंग होने के प्रमुख कारण होते हैं।
ऐसा भोजन खाएं जो आसानी से पच जाए.
हाँ, इसका एक अपवाद ज़रूर है.
यदि आपका पेट पाचन सही है तो अपने सामने तले कचोडी, मंगोड़े, पकोड़े, का लुत्फ़ उठाया जा सकता है.
डीप फ्राइंग से सब कीटाणु नष्ट हो जाते हैं.
भरपूर पानी का सेवन
वर्षा ऋतु में पसीना भी अधिक निकलता है.
ऐसे में जरुरी है की शरीर में पर्याप्त पानी का प्रमाण रखने के लिए भरपूर पानी का सेवन करे।
हमेशा उबाल कर ठंडा किया हुआ या फ़िल्टर किये हुए स्वच्छ पानी का सेवन करे।
कम से कम 15 मिनट तक पानी अवश्य उबाले।
ठंडा पेय पीने की बजाय तुलसी, इलायची की चाय या थोडा गरम पानी पीना ज्यादा फायादेमंद है।
ठन्डे पानी में यदि आप नीम्बू के छिलके मिला लें, तो पानी बेहद सुरक्षित हो जायेगा.
बारिश से बचाव
बारिश में भीगना सबको पसंद होता है.
लेकिन बारिश में ज्यादा देर तक भीगने से सर्दी-खांसी और बुखार भी हो सकता है।
बारिश में भीगने पर ज्यादा देर तक बालो को गीला न रखे।
अगर आप को अस्थमा है या फिर आपको जल्दी सर्दी-जुखाम-खांसी हो जाती है तो बारिश में न भीगे.
भीगे वस्त्र, जूते इत्यादि तुरंत बदलें
कपडे/जूते /चप्पल गीले हो जाने पर तुरंत बदल दे.
ज्यादा समय तक गीले कपडे पहनने से फंगल ईत्यादी त्वचा रोग हो सकते है।
डायबिटीज के मरीजो को विशेष रूप से अपने पैरो को ज्यादा ख्याल रखना चाहिये।
पैर गीले होने पर तुरंत उन्हे साफ कर देना चाहिये।
बच्चों, बुजर्गो के लिये विशेष
बदलते मौसम मे बच्चों और बुजर्गो के बिमार होने की संभावना ज्यादा होती है।
इसलिये जरुरी है कि उनके स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखा जाए।
बच्चे और बुजर्ग बारीश मे ज्यादा बाहर न निकले।
गरम चाय, कॉफ़ी या सूप पिए।
कच्चे फल या सलाद न खाए।
खाने मे हल्दी, ईलायची, सौन्फ, काली मिर्च, अदरक का इस्तेमाल करे।
इनसे रोगप्रतिकार शक्ति बढती है।
विविध सावधानियां
रात्री मे सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करे।
अपने घर के आस-पास गंदगी न होने दे।
घर के आस-पास के गड्ढों को भर दे।जिससे बारिश का पानी रुककर सडने न पाए।
इससे मच्छर उत्पन्न नही होंगे।
घर की अच्छी तरह फ़िनाईल से सफाई करे ताकि मक्खियाँ, मच्छर न आए।
बच्चो को बारीश से पूर्व ही Typhoid और Hepatitis के vaccine लगवा दे।
अंत में, बारिश के मौसम में रोग बिगड़ने में देर नहीं लगती.
इसलिए, किसी भी रोग कि शंका होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाए।
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