सिंघाड़ा का उपयोग चाहे आप ने सीधे नहीं किया हो,
लेकिन त्योहारों के दिनों में मिलने वाली दूध की मिठाईयां जैसे बर्फी, मिल्क केक, काजू कतली इत्यादि में सिंघाड़े का उपयोग धडल्ले से होता है.
घबराईये नहीं, सिंघाड़ा एक उत्तम टॉनिक है जो कई गुणों से भरपूर रहता है.
सिंघाड़ा (Botanical name: Trapa Bispinosa, English : water chestnut and water caltrop) भारतीय सभ्यता की एक अभिन्न खाद्य वनस्पति है.
आईये जानते हैं, कितना लाभकारी है सिंघाड़ा.
सिंघाड़ा का परिचय
सिंघाड़ा जल में पैदा होने वाला फल है, तिकोने पत्ते और सफ़ेद या हलके पीले फूलों वाले इस पौधे में फल भी तिकोने ही लगते हैं.
छोटे छोटे ताल-तलैयों में आपको इसके पत्ते पानी में फैले हुए मिल जायेंगे.
सिघाड़े में टैनिन्स, सिट्रिक एसिड, एमिलोज़, एमिलोपैक्तीं, कर्बोहाईड्रेट, बीटा-एमिलेज, प्रोटीन, फैट, निकोटेनिक एसिड, फास्फोराइलेज, रीबोफ्लेविन, थायमाइन, विटामिन्स-ए, सी तथा मैगनीज आदि उपलब्ध रहते हैं.
यह folate और विटामिन B1 का उत्तम स्रोत पाया गया है
इसके विस्तृत पोषण तथ्य इस लिंक पर देखे जा सकते हैं. (1)
सिंघाड़े के फायदे लाभ इसके बेहतरीन गुणों के कारण ही मिलते हैं.
पुरुषों के लिए नायाब
1 पुरुषों के लिए सिंघाड़ा बलवर्धक व शुक्रवर्धक औषधि का काम करता है.
इसके सेवन से शरीर का वजन भी बढ़ता है.
सिघाड़ा एक ऐसा फल है जो शरीर में मैगनीज absorb करने की क्षमता बढ़ा देता है.
बुढापे में होने वाली कुछ बीमारियाँ मैगनीज की कमी के कारण भी होती हैं.
2 यदि मांसपेशियां कमजोर हैं या शरीर में दुर्बलता हो तो नियमित सिंघाड़े का सेवन कीजिये.
शरीर की दुर्बलता में सिंघाड़ा काफी उपयोगी है. सिंघाड़े के उपयोग से पुरूषों के वीर्य में बढ़ोत्तरी होती है.
साथ यह काम क्षमता को भी बढ़ता है.
महिलाओं के लिए उत्तम
3 देवियों द्वारा सिंघाड़े के एक या दो महीने तक के सेवन से मासिक धर्म सामान्य हो जाता है.
गर्भवती महिलाओं को दूध के साथ सिघाड़ा खाना चाहिए, गर्भ के सातवें महीने में तो अनिवार्य रूप से इसका प्रयोग करना चाहिए.
4 जिन महिलाओं का गर्भकाल कभी पूरा न होता हो या गर्भ के दौरान गर्भ गिरने का डर लगा रहता हो उन्हें खूब ज्यादा सिघाड़े खाने चाहिए.
ये गर्भवती महिलाओं के लिये उत्तम टॉनिक है.
5 सिघाड़ा ल्यूकोरिया, दस्त, खून की खराबी जैसी बीमारियों के लिये भी लाभकारी है.
रोग निवारक
6 सिंघाड़ा मूत्रल होता है.
पेशाब में रुकावट महसूस हो रही है तो सिघाड़े का काढा बनाकर दिन में दो बार ले लीजिये.
7 सिघाड़े के तने का रस निकाल कर एक-एक बूंद आँख में डालने से आँखों की बीमारी ठीक हो जाती है.
8 सिघाड़े में रक्त स्तंभक का गुण भी पाया जाता है.
जिन्हें ज़रा सी खरोंच लगने पर बहुत अधिक रक्त निकलता हो उन्हें सिघाड़े खाने चाहिए.
9 बवासीर के रोग में सिंघाड़े के सेवन से लाभ मिलता है.
यदि सूखे या खूनी बवासीर हो तो आप नियमित सिंघाड़े का सेवन कीजिये.
बवासीर में कमी आयेगी और रक्त आना बंद हो जाएगा.
10 दमा अथवा asthma के रोगी के लिए सिंघाड़ा वरदान से कम नहीं है.
अस्थमा के रोगीयों को 1 चम्मच सिंघाड़े के आटे को भून कर पानी में मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है.
पौष्टिक
11 सिंघाड़े में उचित मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है.
अत: आखों की रोशनी को बढ़ाने में भी सिंघाडा लाभकारी है.
12 कैल्शियम की प्रचुर मात्रा के कारण सिंघाड़ा हड्डियों व दांतों को मजबूत बनाता है.
13 सिंघाडे़ में आयोडीन की प्रर्याप्त मात्रा होने के कारण यह घेघां रोग में फायदा करता है.
गले से सबंधी बीमारियों के लिए सिंघाड़ा बहुत ही लाभदायक है.
गला खराब होने पर, टांसिल होने पर या गला बैठने पर दूध में सिंघाड़े का आटा मिलाकर पीयें.
जल्दी लाभ मिलेगा.
सिंघाड़े के योग
सिंघाड़े का प्रयोग आप के हलवे के रूप में, दूध में मिला कर कर सकते हैं.
दूध में roast किया हुआ दो चम्मच सिंघाड़े का आटा मिलाकर दूध स्वादिष्ट व पौष्टिक बन जाता है.
आदिवासी बहुल क्षेत्रों में प्रसव होने के बाद की कमजोरी के लिए महिलाओं को सिंघाड़े का हलवा खिलाया जाता है.
यह शरीर में होने वाली कमजोरी को दूर करता है.
शक्कर और पिसा हुआ सूखा सिंघाड़ा की समान मात्रा (50-50 ग्राम) लेकर मिला लें.
इस चूर्ण को चुटकी भर मात्रा में पानी के साथ सुबह शाम देने से बच्चे बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देते है.
सिंघाड़े के आटे में बबूल गोंद, देशी घी और मिश्री मिलाकर लगभग 30 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ लेने से वीर्य की दुर्बलता दूर होती है.
कच्चे सिंघाड़े को पीसकर शक्कर और नारियल के साथ चबाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है.
यह योग शारीरिक स्फूर्ति प्राप्त करने के लिए अचूक माना जाताहै.
एक व्यक्ति को नित्य 5-10 ग्राम सिंघाड़े की मात्रा उचित है.
विशेष
यद्यपि सिंघाड़ा एक उत्तम टॉनिक है, लेकिन ये पाचन प्रणाली के लिये भारी होता है.
कमज़ोर पाचन शक्ति में इसके अधिक सेवन से पेट में भारीपन व गैस बनने की शिकायत हो सकती है.
कब्ज रोग में सिंघाड़े कम खाएं.
यदि लेना चाहें तो साथ में त्रिफला व त्रिकटु का उपयोग करें.
सिंघाड़ा खाकर तुरंत पानी न पिएं.
इससे पेट में दर्द हो सकता है.
सारशब्द
सिंघाड़ा एक अति सस्ता टॉनिक है जिसे उपयोग में लाकर स्वास्थ्य लाभ लिया जा सकता है.
सिंघाड़े के भारीपन के निवारण के लिये साथ में त्रिफला व त्रिकटु का उपयोग कर इसे कमज़ोर पाचन में भी उपयोग किया जा सकता है.
सिंघाड़ा पित्त और कफ का नाश करता है.
इसलिए सिंघाड़े का नियमित सेवन करना चाहिए.