अनार के औषधीय गुण – 23 लाभकारी उपयोग

अनार अथवा दाड़िम एक अति उपयोगी फल है. अनार के औषधीय गुण इतने हैं कि इसका उपयोग कई रोगों के निवारण के लिए किया जाता है.

आयुर्वेद में दाड़िम अथवा अनार (English name: pomegranate, Botanical name: Punica garanatum) के पेड़ के सभी अंग किसी न किसी औषधि में उपयोग किये ही जाते हैं.

आईये जानते हैं अनार के उपयोग, लाभ फायदे, जो आयुर्वेद, यूनानी व लोक परम्पराओं पर आधारित हैं…

अनार के औषधीय गुण

इसमें प्रचुर मात्रा में लाभदायक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं।

अनार का अनेक आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में भी प्रयोग किया जाता है।

अनार की तासीर मध्यम होती है, अर्थात न गर्म न ठंडी.

इसलिए इसका उपयोग दिन के किसी भी समय किया जा सकता है.

प्रसूता महिलाओं के लिए इसका उपयोग उत्तम माना जाता है.

अनार के औषधीय गुण anar ke labh gun fayde upyog

अध्ययनों से सिद्ध हो गया है कि अनार रक्तसंचार वाली बीमारियों से लड़ता है, उच्च रक्तचाप को भी घटाता है.

सूजन और जलन में राहत पहुँचाता है.

गठिया और वात रोग की संभावना घटाता और जोड़ों में दर्द कम करता है.

कैंसर की रोकथाम में सहायक बनता है, शरीर के बुढ़ाने की गति धीमी करता है.

और महिलाओं में मातृत्व की संभावना और पुरुषों में पुंसत्व बढ़ाता है।

अनार को त्वचा के कैंसर, स्तन-कैंसर, प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर और पेट में अल्सर की संभावना घटाने की दृष्टि से भी विशेष उपयोगी पाया गया है।

शोधों के अनुसार, अनार का रस वृद्धावस्था में सठिया जाने के अल्सहाइमर रोग की संभावना भी घटाता है।

अनार खाने से अमाशय, तिल्ली और यकृत की दुर्बलता, संग्रहणी, दस्त और उल्टी तथा पेट दर्द आदि रोग ठीक हो जाते हैं।

खट्टी मीठी अनार  खाने से पाचनशक्ति बढ़ती है तथा मूत्र भी खुलकर आता है।

प्रतिदिन मीठा अनार खाने से पेट मुलायम रहता है तथा कामेन्द्रियों को बल मिलता है।

अनार के औषधीय गुण – 23 लाभकारी उपयोग

1 घावों के लिये

अनार की कलियां (P. granatum buds) लेकर इन्हें जलाकर राख बना दें.

इस राख को क्षतों (जख्मों, घावों) पर लगाने से वे शीघ्र ही सूख जाते हैं।

2 उपदंश में

अनार के 8-10 पत्तों के पेस्ट का लेप उपदंश के घावों पर करने से बहुत लाभ होता.

है साथ ही साथ इसके पत्तों का चूर्ण 10 से 20 ग्राम का सेवन भी करना चाहिए।

3 नाक कान में फुंसियाँ

अनार की जड़ का काढ़ा 2-2 बूंद डालने से या पिचकारी देने  नाक, कान के घाव में लाभ होता है।

4 जलने के फफोले की जलन

अनार की पत्तियों को पीसकर फोड़े पर लगाने से जलने से बना घाव सही हो जाता है।

5 पित्ती निवारण

अनार के 100 ग्राम ताजे पत्तों को 2  किलो पानी में उबालें।

1.5 किलो पानी शेष रहने पर नहाने के लिए प्रयोग करने से गर्मी के मौसम की पित्ती शांत होती है।

6 हाथ पाँव की जलन

अनार के 10-12 ताजे पत्तों को पीसकर हथेली और पांव के तलुवों पर लेप करने से हाथ-पैरों की जलन में आराम मिलता है।

7 शारीरिक दाह

अनार व इमली को एक साथ पीसकर शरीर पर लगाने से जलन समाप्त हो जाती है।

8 टाइफाइड में लाभकारी

अनार के पत्तों के काढे़ में सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से आंत्रिक-ज्वर (टायफाइड) में लाभ होता है।

9 मुहं के छाले

अनार के छिलके भी लाभकारी होते हैं.

अनार के छिलके को पीसकर मुंह के छालों पर लगाने से तुरंत लाभ मिलता है.

इस पिसी हुई मलहम को नित्य 2 बार लगाएं।

10 पायोरिया निवारक

लगभग 10 ग्राम अनार के पत्तों को 400 ग्राम पानी में उबालें-जब यह एक चौथाई शेष बचे तो इस काढे़ से कुल्ले करने से पायोरिया रोग और मुंह के छालों में लाभ मिलता है।

11 नाखून छिलना कटना

नाखून के जख्म को ठीक करने के लिए अनार के पत्तों को पीसकर नाखून पर बांधें.

नाखून टूटने का दर्द ठीक हो जाता है।

12 अतिसार दस्त के लिये

सामान्य दस्त और पेचिश के लिये तथा IBS संग्रहणी रोग जिसमें कि पेचिश, अतिसार और आंव  का प्रकोप रहता हो,

लगभग 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग पीस लें,

इन्हें  1 गिलास पानी में दस मिनट तक उबालें.

फिर छान कर आधा-आधा कप प्रतिदिन तीन बार पीयें। लाभ मिलेगा।

पेट में आंव की शिकायत में इसका नियमित सेवन विशेष रूप से लाभकारी होता है।

13 गंजापन

अनार के पत्ते पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर हो जाता है।

यह नुस्खा अनुभूत नहीं है इसलिए, अपने विवेक से ही उपयोग करें.

14 दमा रोग में लाभकारी

अनार के दानों को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें.

इस 3 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर दिन में 2 बार खाने से अस्थमा रोग में लाभ मिलता है।

अनार पकी हुई लेकर उसमें सात जगह चाकू से गहरे चीरे (1 इंच लम्बे) लगाकर प्रत्येक चीरे में एक बादाम अंदर दबा देते हैं।

उस अनार को फिर मलमल के कपड़े से बांधकर गर्म राख में दबा देते हैं।

इसे पूरी रात राख में ही दबा रहने देते हैं।

सुबह अनार को निकालकर 2 ग्राम मिश्री के साथ सातों बादामों को पीसकर 7 दिनों तक खाने से दमा के रोगी को राहत मिलती है।

15 पोथकी रोहे के लिये

अनार के 100 ग्राम हरे पत्तों के रस को खरल करके पीसकर शुष्क कर लें।

इस शुष्क चूर्ण को आंखों में सुरमे की तरह दिन में 2-3 बार लगाने से पोथकी(रोहे) की बीमारी समाप्त हो जाती है।

16 रतौंधी रोग में हितकारी

अनार का रस निकालकर किसी साफ कपड़े में छानकर 2-2 बूंदे आंखों में डालने से 2 से 3 हफ्तों में ही रतौंधी रोग कम होने लगता है।

17 कैंसर रोधी

अनार दाना और इमली को सेवन करते रहने से कैंसर के रोगी को आराम मिलता है.

और उसकी उम्र 10 वर्ष के लिए और बढ़ सकती है।

18 पित्तकारी नज़ला

जुकाम के साथ अगर नाक से खून भी आता हो तो घी में अनार के फूल मिलाकर उपलों की आग पर रखकर नाक से उसका धुंआ लेने से लाभ होता है।

19 शक्तिवर्धक, पुंसत्ववर्धक

मीठे अनार के 100 ग्राम दाने दोपहर के समय नित्य खायें।

यह शक्ति को बढ़ाता है और नामर्दी को खत्म करने में लाभदायक है।

20 मूत्र रोग

अनार की कली, सफेद चंदन की भूसी, वंशलोचन, बबूल का गोंद सभी 10-10 ग्राम, धनिया और मेथी 10-10 ग्राम, कपूर 5 ग्राम।

सबको आंवले के थोड़े-से रस में घोट लें।

फिर बड़े चने के बराबर की गोलियां बना लें।

2-2 गोली रोज सुबह-शाम पानी से लेने से मूत्ररोग ठीक हो जाता है।

21 आयुजनित बहरापन

आधा लीटर अनार के पत्तों का रस, आधा लीटर बेल के पत्तों का रस और 1 किलो देशी घी को एक साथ मिलाकर आग पर पकने के लिये रख दें।

पकने के बाद जब केवल घी ही बाकी रह जाये तो इसमें से 2 चम्मच घी रोजाना दूध के साथ रोगी को खिलाने से बहरेपन का रोग दूर हो जाता है।

अनार और बेल के पत्तों (20-20 ग्राम) के रस को 50 ग्राम घी में डालकर बहुत देर तक गर्म कर लें।

फिर इसे छानकर लगभग 10 ग्राम घी 200 ग्राम दूध के साथ सुबह और शाम को पीने से बहरापन दूर हो जाता है।

22 बवासीर में

24 अनार के छिलके का चूर्ण बनाकर रख लें.

इस चूर्ण की पांच ग्राम  मात्रा 100 ग्राम दही में मिलाकर खाने से बवासीर ठीक हो जाती है.

या फिर, अनार के छिलकों का चूर्ण 8 ग्राम, ताजे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम प्रयोग करें।

25 अनार के पत्ते पीसकर टिकिया बना लें और इसे घी में भूनकर गुदा में वर्ति बना कर लें या ऊपर बांधें।

इससे मस्सों के जलन, दर्द तथा सूजन मिट जाती है।

23 पुराने अतिसार में

अनारदाना , धनिया बीज, भुनी हींग, जीरा, पीपल, सोंठ, अजवायन के समभाग लें.

इन्हें मिला कर चूर्ण बना लें.

इस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर रख लें.

इसकी 2 से 5 ग्राम की मात्रा चावल से बनाई गई खिचड़ी में दिन में 2 बार लें।

इससे पुराने दस्त के रोगी को लाभ मिलता है.


 

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