बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम और खांसी, गला खराब होने की समस्या आम बात है।
गला खराब होना या गले के संक्रमण से हम आए दिन परेशान भी रहते हैं.
और इसे इतनी बड़ी समस्या भी नहीं मानते कि इसके लिए डॉक्टर के पास जाएं।
ऐसे में दादी मां के बताए घरेलू नुस्खे आज भी घरों में गला खराब होने पर बहुत काम आते हैं।
खांसी, गला खराब – इन उपायों से पाएं आराम
आइए जानें, किन घरेलू तरीकों से आपको सूखी खांसी, बलगमी खांसी, गले की खराश और गला खराब या दुखने पर राहत मिल सकती है.
यह नुस्खे और भी ज़रूरी हो जाते हैं जब खांसी जुकाम और गले की खराश से बच्चे प्रभावित हों.
उन्हें आपको एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाओं के उपयोग से अवश्य बचाना चाहिये…
1 तुलसी का माउथवॉश गार्गल
तुलसी प्राकृतिक एंटीसेप्टिक पौधा है जो गले के संक्रमण को खत्म करने में बेहद प्रभावी होता है।
आप तुलसी का माउथवॉश बनाकर इससे गरारे लें।
इसके लिए तुलसी की पत्तियों को पानी के साथ उबाल लें और फिर ठंडा कर लें।
चाहें तो साथ में पुदीने के पत्ते भी उबाल सकते हैं.
इस मिक्सचर से माउथवॉश की तरह दिन में कई बार गरारे करें।
लाभ मिलेगा.
2 अदरक शहद पेस्ट
गले को गर्माहट पहुंचाने के लिए और संक्रमण के दर्द से राहत पहुंचाने के लिए यह कारगर उपाय है।
इसके लिए अदरक को बारीक पीसकर शहद में मिलाएं और काली मिर्च डालकर पेस्ट बना लें।
थोड़ी-थोड़ी देर पर इसे मुंह में डालें।
चाहें तो अदरक की जगह लहसुन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
3 नमकीन पानी के गरारे (गार्गल)
पानी में नमक मिलाकर गुनगुना करके गरारे करने का फार्मूला बेहद प्रचलित और कारगर है।
जब तक गला खराब रहे गरारे में कोताही कतई न बरतें।
4 लौंग, काली मिर्च और शहद का पेस्ट
एक गिलास पानी उबाल लें।
इसमें एक चुटकी पिसी हुई लौंग, एक चुटकी काली मिर्च पाउडर और एक चम्मच शहद मिलाएं और रोज सुबह इसे पिएं।
गले को आराम मिलेगा।
5 मेथीदाने
पानी में कुछ मेथी दाने डालकर गर्म कर लें।
फिर पानी को छानकर उसके गरारे करें।
इससे गले को आराम मिलेगा और संक्रमण जल्दी खत्म होगा।
6 तेजपत्ते की चाय
पानी में चीनी, चायपत्ती और तेजपत्ता जालकर खौलाएं और फिर छानकर चाहें तो दूध मिलाएं।
तेजपत्ते की चाय पीने से गले को आराम होगा और रिकवर होने में आसानी होगी।
7 सितोपलादि चूर्ण और शहद
यदि आप बाज़ार से सितोपलादि चूर्ण ला कर रख लें तो ये गले की खराश व खांसी की अचूक औषधि रहेगी.
इसमें आप शहद मिला कर पेस्ट बना लें और हर दो घंटे में लेते रहे.
सितोपलादि चूर्ण का विवरण और अन्य रोगों में उपयोगी आयुर्वेदिक चूर्ण इस लिंक पर देखे जा सकते हैं.
अति उत्तम।