प्राचीन काल से ही शहद को विभिन्न धर्मों व सभ्यताओं में उच्च मान्यता मिली हुई है।
हिन्दु धर्म के प्राचीन ग्रन्थ, ऋगवेद में भी शहद तथा मधुमक्खियों के बारे में अनेक सन्दर्भ मिलते हैं।
शहद हिन्दू धर्म के बहुत से धार्मिक कृत्यों तथा समारोहों में प्रयोग होता है।
प्राचीन यूनानी सभ्यता में भी शहद को बहुत मूल्यवान आहार तथा भगवान की देन माना जाता था।
यूनानी देवताओं के अमरत्व का कारण उनके द्वारा किया गया ऐम्ब्रोसिआ सेवन बताया गया था, जिसमें शहद एक प्रमुख भाग होता था।
अरस्तु की पुस्तक नेचुरल हिस्टरी में भी शहद पर प्रत्यक्ष प्रेक्षण उपलब्ध हैं।
उसका विश्वास था कि शहद में जीवन वृद्धि तथा शरीर हृष्ट-पुष्ट रखने के आसाधारण गुण होते हैं।
इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरान के सूरा-16 अन-नह्ल के अनुसार शहद सभी बीमारियों का निदान करता है।
यहूदी धर्म में भी शहद को आहार या हनी बनाने में प्रयोग किया जाता है।
संसार के लगभग सभी धर्मो ने शहद की अनूठी गुणवत्ता की प्रशंसा की है।
केवल जैन धर्म में मधु के सेवन को निंदनीय माना जाता हैं।
आधुनिक युग में शहद
भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष शहद की खपत लगभग 25 ग्राम होती है जबकि अन्य देशों में इसकी खपत बहुत अधिक है।
स्विटजरलैंड और जर्मनी में 1.5 कि.ग्रा. से अधिक, अमेरिका में एक कि.ग्रा. तथा फ्रांस, इंग्लैंड, जापान, इटली में 250 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष होती है।
भारत में इसे अभी भी औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है तथा ऊर्जा दायक आहार के रूप में इसका प्रचलन नहीं हैं।
वर्ष 2005 में चीन, अर्जेंटीना, तुर्की एवं संयुक्त राज्य एफ.ए.ओ के आंकड़ों के अनुसार विश्व के सर्वोच्च प्राकृतिक मधु उत्पादक देश रहे थे।
शहद के पोषक तथ्य
मधु एक मीठा, चिपचिपाहट वाला अर्ध तरल पदार्थ होता है.
यह मधुमक्खियों द्वारा पौधों के पुष्पों में स्थित मकरन्दकोशों से स्रावित मधुरस से तैयार किया जाता है और आहार के रूप में मौनगृह में संग्रह किया जाता है।
मधु की प्रति 100 gm मात्रा के पोषण तथ्य इस प्रकार हैं:
- कैलोरी (kcal) 304
- कुल वसा 0 g
- संतृप्त वसा 0 g
- बहुअसंतृप्त वसा 0 g
- मोनोअसंतृप्त वसा 0 g
- कोलेस्टेरॉल 0 mg
- सोडियम 4 mg
- पोटैशियम 52 mg
- कुल कार्बोहायड्रेट 82 g
- आहारीय रेशा 0.2 g
- शक्कर 82 g
- प्रोटीन 0.3 g
- विटामिन ए 0 IU विटामिन सी 0.5 mg
- कैल्सियम 6 mg आयरन 0.4 mg
- विटामिन डी 0 IU विटामिन बी६ 0 mg
- विटामिन बी12 0 µg मैग्नेशियम 2 mg (1)
शहद के 16 अनुभूत नुस्खे
भारतीय संस्कृति में, जिसमें आयुर्वेद पद्धति का पुरातन काल से ही प्रभाव रहा है, मधु के कई नुस्खे प्रचलित रहे हैं.
कुछ प्रचलित नुस्खे इस प्रकार से हैं.
सौन्दर्य निखार
1 शुष्क त्वचा पर शहद, दूध की क्रीम व बेसन मिलाकर उबटन करें।
इससे त्वचा की शुष्कता दूर होकर लावण्यता प्राप्त होगी।
2 संतरों के छिलकों का चूर्ण बनाकर दो चम्मच मधु उसमें फेंटकर उबटन तैयार कर त्वचा पर मलें।
इससे त्वचा निखर जाती है और कांतिवान बनती है।
शक्तिवर्धक
3 रात को एक गिलास दूध में मधु घोलकर पीने से दुबलापन दूर होकर शरीर सुडौल, पुष्ट व बलशाली बनता है।
4 इसके नित्य उपयोग से मांसपेशियां बलवती होती हैं।
5 हृदय के लिए मधु बड़ा शक्तिवर्द्धक योग है।
सोते समय इसमें नींबू का रस मिलाकर एक ग्लास पानी पीने से कमजोर हृदय में शक्ति का संचार होता है।
6 जिन बच्चों को शकर का सेवन मना है, उन्हें शकर के स्थान पर शहद दिया जा सकता है।
पेट के लिए लाभकारी
7 इसका नित्य सेवन निर्बल आमाशय व आंतों को बल प्रदान करता है।
8 पके आम के रस में मधु मिलाकर देने से पीलिया में लाभ होता है।
9 उल्टी (वमन) के समय पोदीने के रस के साथ इस का प्रयोग लाभकारी रहता है।
10 पेट के छोटे-मोटे घाव और शुरुआती स्थिति का अल्सर इसको दूध या चाय के साथ लेने से ठीक हो सकता है
11 कब्जियत में टमाटर या ठन्डे दूध में शहद मिला कर लें, लाभ मिलेगा।
12 प्याज का रस और शहद समान मात्रा में मिलाकर चाटने से कफ निकल जाता है
तथा आंतों में जमे विजातीय द्रव्यों को दूर कर कीड़े नष्ट करता है।
इसे पानी में घोलकर एनीमा लेने से लाभ होता है।
कफ़ खांसी में लाभकारी
13 अदरक के रस में या अडूसे के काढ़े में मधु मिलाकर देने से खांसी में आराम मिलता है।
14 सूखी खाँसी में शहद व नींबू का रस समान मात्रा में सेवन करने पर लाभ होता है।
15 बढ़े हुए रक्तचाप में इसका सेवन लहसुन के साथ करना लाभप्रद होता है।
16 अदरक का रस और मधु समान मात्रा में लेकर चाटने से श्वास कष्ट दूर होता है और हिचकियां बंद हो जाती हैं
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