इस लेख में जानिए क्या हैं उपवास के प्रकार और करने के तरीके
पेट को हमेशा भरे रखना मानव जाति की मूल प्रकृति नहीं है.
न ही यह प्रवृति जानवरों में पायी जाती है.
उपवास करना मानव की विकास यात्रा के अभिन्न अंग रहे हैं.
उपवास करना – सेहत का नायाब नुस्खा भी है, जो आपको लम्बा जीवन दे सकता है और रोगमुक्त भी रख सकता है.
कुछ सौ वर्ष पहले तक हमारे पूर्वजों को भोजन न मिलने पर भूखे भी रहना बढता था.
कई बार तो कई कई दिनों तक भी.
हमारे शिकारी पूर्वजों के पास न तो फ्रिज होते थे न ही उस समय कोई हाट, बाज़ार या सुपरमार्केट.
जब कुछ खाने को नहीं मिलता था तो हम कई दिनों तक भूखे रहते थे और इस प्रकार हमारे शरीर भी बिना आहार के जिंदा रहना और काम करते रहना सीखते गए.
इसके अतिरिक्त, पुरातन काल से ही मानव प्रजाति एवं अन्य कई प्राणी अपनी काया को तंदरुस्त रखने के लिये उपवास करते आ रहे हैं.
उपवास का महत्व
मानव विकास यात्रा में जब विभिन्न धर्म बने उन सभी में उपवास को शारीरिक और अध्यात्मिक उन्नति का साधन बताया गया.
बुधिस्म, पारसी, यहूदी, जैनसमाज, हिन्दू, इस्लाम; लगभग सभी धर्म उपवास को मन और काया शोधन के लिए उत्तम बताते हैं.
उपवास के प्रकार
वैसे तो उपवास रखने के कई तरीके हैं
लेकिन रुक रुक कर उपवास करना (Intermittent fasting अथवा IF) आज दुनिया भर का सब से पसंदीदा सेहत का फार्मूला बन गया है.
लोग इसे अच्छी सेहत के लिए, वज़न घटाने के लिए और जीवनचर्या को बेहतर करने के लिए अपनाते हैं.
इस पर बहुत सारे शोध भी हुए हैं जो प्रमाणित करते हैं कि इस प्रकार से उपवास करने के आपके शरीर और दिमाग पर शक्तिशाली प्रभाव पड़ते हैं
और यह आपको ज्यादा लम्बी उम्र भी दे सकते हैं (1, 2, 3).
सेहत के लिए उपवास करने का तरीका
वास्तव में यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खाने और उपवास के चक्र को सामान्य आहारीय तरीके से कुछ अलग करना होता है.
इसमें यह ज़रूरी नहीं कि आपको क्या खाना चाहिए,
लेकिन यह ज़रूरी है कि आपको कब खाना है और कब नहीं.
मतलब, इसमें आहार के तत्वों की अहमियत नहीं होती बल्कि उनके लेने के समय की प्रक्रिया ही अहम होती है.
उपवास 6 प्रकार के होते हैं जिनमें से मुख्य तीन इस प्रकार हैं
8/16 के उपवास
इसमें आपको पूरे दिन यानि २४ घंटे का आहार 8 घंटे में ले लेना होता है और 16 घंटे का उपवास करना होता है.
यदि आपने आज रात का खाना 9 बजे खाया है तो अगला भोजन आप कल दोपहर 1 बजे लेंगे.
कल सुबह का नाश्ता नहीं लेंगे.
इस प्रकार रोज़ ही आप 8 घंटे के अंतराल (दोपहर 1 बजे से लेकर रात के 9 बजे) में खायेंगे और अगले 16 घंटे उपवास रखेंगे.
इस पद्धति का उपवास रोज़ करना होता है, जब तक कि वांछित लाभ पूरा न मिल जाये.
24 घंटे का उपवास
इस प्रकार के उपवास सप्ताह में एक या दो बार करने होते हैं.
इसमें आज रात के खाने के बाद अगला भोजन 24 घंटे बाद यानि कल रात को लेना होता है.
5:2 उपवास
जब आप एक सप्ताह में दो पूरे दिन के उपवास रखते हैं तो इसे 5:2 उपवास कहा जाता है.
उदाहरन के तौर पर मंगलवार और गुरूवार के दिन पूरा उपवास रखना.
इसमें उपवास की अवधि लगभग 36 घंटे की हो जाती है.
जैसे आज रात के भोजन के बाद आप कल पूरा दिन कुछ नहीं खायेंगे, परसों सुबह ही खायेंगे.
अगला पूरा आहार परसों सुबह का नाश्ता होगा.
हाँ कल के उपवास दिन में थोड़े आहार की अनुमति रहती है जिसमें काम चलाऊ 500-600 कैलोरीज से अधिक की उर्जा न हो.
यह भी मुख्यत: फल या जूस ही होने चाहिए; अनाज, दालें, घी, तेल नहीं.
यह उपवास थोडा कठिन हैं लेकिन कई प्रकार के रोगों में लाभकारी जाना गया है.
मेरी राय में शुरुआत 8/16 पद्धति से करनी चाहिए.
यह आसान भी है और इसे रोज़ किया जा सकता है.
यह वैसे ही है आपने एक भोजन skip कर दिया, जो हम कभी कभार करते ही रहते हैं.
उपवास करने के फायदे
उपवास के कई फायदे हैं जिनमें से मुख्य इस प्रकार से हैं:
1 लम्बी रोगमुक्त उम्र में सहायक
रुक रुक कर उपवास करने की अवधि में Human growth hormone की 5 गुना तक की वृद्धि हो जाती है.
जब यह हॉर्मोन बढ़ता है तो चर्बी घटने लगती है और मस्सल बढ़ने लगते हैं (2, 3, 4, 5).
उपवास के दौरान शरीर रखरखाव क्रिया में व्यस्त हो जाता है.
कोशिकाएं अपनी मुरम्मत करने लगती हैं और अनुपयोगी तत्वों को बाहर करने लगती हैं. (6).
हमारे जीन्स और कोशिकाओं में ऐसे बदलाव आने लगते हैं
जो हमें लम्बी उम्र देने और रोगों से बचाव करने में सहायक बनते हैं.(7, 8).
चूहों पर हुए शोधों ने पाया है कि रुक रुक कर उपवास करने से उम्र भी 36 से 83% तक बढ़ जाती है (9, 10).
2 पेट के लिए लाभकारी
यदि हमारी छोटी आंत का पर्यावरण थोडा एसिडिक रहे तो पेट का कोई रोग पनपे ही नहीं.
खाना खाते रहने से पेट का एसिड निष्क्रिय होता रहता है.
और आँतों में हानिकारक बैक्टीरिया पनपने लगते हैं.
उपवास करने से छोटी आंत को उपयुक्त मात्रा में तेजाब मिल जाता है जो हानिकारक बैक्टीरिया का सफाया करने में सहायता करता है.
आप SIBO रोग से बचे रहते हैं जो IBS संग्रहणी का मुख्य कारण माना जाता है.
यही नहीं, उपवास में पेट की आंतो की गतिशीलता भी बढ़ जाती है जिसे हम पेट में चूहे कूदना (gut rumbling) कहते हैं.
जब यह होता है तो आंते अपनी दीवारों के क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत कर लेती हैं
और चिपके हुए विषद्रव्यों को दीवारों से हटा देती हैं.
नतीजा यह होता है कि पोषक तत्व आसानी से हजम होने लगते हैं.
3 सूजन में लाभ
सूजन कई सारे रोगों का एक बड़ा कारण है, जिसमें संग्रहणी IBS, आर्थराइटिस, लीवर की सूजन, आंतो की सूजन इत्यादि शामिल हैं.
शोध बताते हैं कि उपवास करने से कोशिकाओं की सूजन में आशातीत लाभ होता है. (11, 12, 13).
4 इन्सुलिन प्रतिरोध घटता है
उपवास करने से इन्सुलिन प्रतिरोध में फायदा मिलता है जिससे खाली पेट इन्सुलिन की मात्रा में 20-31% तक
और ब्लड शुगर में 3-6% तक की कमी आ जाती है.
इसलिए, उपवास आपको डायबिटीज से बचाने में सहायता कर सकता है. (1).
5 वज़न कम होता है
उपवास करने से पेट की जमा चर्बी और मोटापे की चर्बी का उपयोग होने लगता है.
आपको खाने पर कोई प्रतिबन्ध लगाये बिना ही वज़न घटाने का बेहतरीन उपाय मिल जाता है. (1, 14).
6 दिमाग तेज़ होता है
उपवास करने से दिमाग के हॉर्मोन BDNF में वृद्धि होती है,
जो नयी नर्व कोशिकाओं (Nerve cells) को जन्म देने में सहायक माना जाता है.(26, 15, 16).
इस हॉर्मोन को बुढ़ापे के रोग Alzheimer’s disease को भी रोकने वाला पाया गया है. (17).
7 बेहतर ह्रदय स्वास्थ्य
उपवास करने से LDL cholesterol, blood triglycerides कम होते हैं.
ब्लड शुगर और इन्सुलिन प्रतिरोध भी घटता है.
यह सभी ह्रदय के लिए लाभकारी पैमाने हैं.
जब ये ठीक होंगे तो ह्रदय रोग भी नहीं होगा (1, 18, 19).
एक बात ध्यान रखने योग्य है कि उपवास पर होने वाले शोध अभी शुरुआती दौर में हैं.
यह हाल ही में आरम्भ किये गए हैं, जब यह देखा गया कि उपवास करने वाले जैन, बुद्ध, हिन्दू, पारसी, यहूदी संत मुनि सामान्यत: रोगमुक्त लम्बी आयू जीते हैं.
अभी तक के शोध परिणाम उत्साहवर्धक हैं.
लेकिन उपवास के फायदों से मिलने वाले लाभों पर अभी बहुत सारे परिणाम आने बाकी हैं. (20).
उपवास की अवधि में क्या खाएं पियें
उपवास का मतलब है कुछ भी नहीं खाना.
यदि खा लिया तो फिर उपवास कैसा.
आपको केवल पानी, नीम्बू पानी या कमजोरी लगे तो शहद या चीनी मिला नीम्बू पानी ही लेना है.
उपवास का एक मुख्य मकसद पेट के एसिड को आंतो तक पहुँचाना भी होता है ताकि आँतों के हानिकारक बैक्टीरिया का सफाया हो सके.
बिना दूध के चाय (LemonTea) या कॉफ़ी भी ली जा सकती है.
सुरक्षा और सावधानियां
उपवास का सबसे बड़ा साइडइफ़ेक्ट भूख है.
शुरुआत में आप कमजोरी महसूस कर सकते हैं.
आपको यह भी लग सकता है कि आपका दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा.
चिडचिडापन हावी हो सकता है.
यह सब अस्थाई प्रभाव होते हैं क्योकि आपके शरीर को पहले से उपवास की आदत नहीं थी.
धीरज रखिये, आप जल्दी ही इन से निपट कर सामान्य हो जायेंगे, और आपको उपवास ऐसे आनंद देने लगेंगे,
जो आपने पहले कभी अनुभव ही न किये हों.
यदि आपके कोई इलाज चल रहे हैं तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह करके ही उपवास करने चाहिए.
यह और भी ज़रूरी हो जाता है यदि:
- आपको डायबिटीज हो और आप ब्लड शुगर कम करने की दवाएं ले रहे हों
- आपको लो ब्लड प्रेशर हो.
- आप किसी बीमारी से उभरे हों और कमज़ोर हों
- आपका वज़न सामान्य से कम हो
- आप महिला हों, गर्भ धारण की सोच रहीं हों या आपके मासिकधर्म सामान्य न हों, या फिर आप गर्भवती या दूध पिलाती माँ हों.
- एक बात और, बच्चों को भी उपवास नहीं करने चाहिए.
उपवास का शाब्दिक अर्थ
उपवास शब्द का शाब्दिक अर्थ है- ‘उप’ यानि ‘समीप’ तथा ‘वास’ शब्द का अर्थ है ‘रहना’ अर्थात् ‘समीप रहना’।
यह बात सही है कि जब हम भूखे होते हैं तो अपने आप के अधिक नज़दीक होते हैं.
सारशब्द
इतना ज़रूर है कि उपवास करना एक बेहतरीन स्वास्थ्य पाने का तरीका है.
यदि आप सामान्य तौर से स्वस्थ हैं, तो कुछ समय तक नहीं खाने से कोई खतरा पैदा नहीं होता .
आपके लिए उपवास रखने के फायदे ही फायदे हैं, नुक्सान एक भी नहीं.
शरुआत कीजिये और फर्क महसूस कीजिये.
आप सोचेंगे काश, आप यह उपवास पहले से ही कर रहे होते तो अब तक कितना लाभ ले चुके होते.
हाल ही के भारतीय बहुचर्चित उपवास
भारतीय व्यवस्था के सुधार हेतु, प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे जी के देश की राजधानी में दो बार के उपवास आपको याद ही होंगे.
उनका पहला उपवास 97 घंटे (चार दिन) का था और दूसरा 290 घंटे (12 दिन) से अधिक का.
ये उपवास दर्शाते हैं कि यदि वे इस उम्र में उपवास कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं.
सुश्री शर्मीला इरोम का 16 साल का उपवास भी एक ऐतिहासिक कीर्तिमान है, जिसमें उन्हें जबरदस्ती नाक के रास्ते तरल डाइट ही दी जाती थी.