इन्टरनेट के इस युग में, ऐसा नहीं है कि हर जानकारी सही और सटीक ही हो.
गाजर को नज़र के लिये रामबाण बता कर आपको कच्ची गाजरें खाने व इसका खूब जूस पीने की सलाह लगभग हर वेबसाइट से मिलती है.
कुछेक तो ऐसे दावे भी करते हैं कि एक दो सप्ताह में लगा हुआ चश्मा भी छूट जाता है.
और चश्मा फेंक देने को भी कहते हैं….
ऐसे दावों को मानकर, लोग दबा कर कच्ची गाजरें खाते है व खूब सारा जूस भी पीते हैं.
लेकिन जब कोई लाभ नहीं मिलता; तो उन्हें ऐसे नीम हकीमी दावों की सच्चाई समझ आने लगती है.
आईये जानते हैं, कितना सच है ये सब; और किस किस्म की गाजर का कैसे उपयोग करें…
दूसरे विश्वयुद्ध (Worldwar II) में गाजर का सत्य
दूसरे विश्वयुद्ध (Worldwar II) में यह खबर फैली थी कि ब्रिटेन के पायलटो को सालों साल गाजर की अत्यधिक मात्रा खिलाई गयी है;
जिस कारण वे रात के अँधेरे में भी दुश्मन के ठिकाने देख सकते हैं.
हालांकि बाद में जब सच सामने आया तो पता चला कि ब्रिटेन द्वारा यह अफवाह जानबूझ कर फैलाई गई थी, ताकि दुश्मन उनसे डरे रहे.
उन्ही दिनों एक शोध आया था कि 5-6 महीने तक गाजर खाने से eyesight तेज़ हो जाती है.
क्या है असली सच
यह सही है कि गाजर में कई पौष्टिक तत्व व वानस्पतिक योग मिलते हैं
जिनमें से carotenoids ही सबसे अधिक समझे व परखे गए हैं.
Carotenoids पर ही सबसे अधिक शोध भी हुए हैं.
ये ऐसे तत्व हैं जिन्हें बेहद शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है.
ये कई बीमारियों से रक्षा करते हैं और आयु के साथ होने वाले अपकर्ष (degeneration) इत्यादि को रोकने की क्षमता रखते हैं.
जैसे कि कुछेक प्रकार के कैंसर व नज़र, पाचन तंत्र इत्यादि का कमज़ोर होना.(1)
Beta-carotene, जोकि गाजर की मुख्य carotene है, शरीर द्वारा विटामिन A में बदली जा सकती है.
व्यक्ति दर व्यक्ति, इस प्रक्रिया की प्रभावशीलता में कुछ परिवर्तन भी हो सकता है.
यानि कुछेक के शरीरतंत्र तो बेहतर रूप से कैरोटीन को विटामिन A में बदल पाते हैं, लेकिन कुछ के नहीं (2).
गाजरों की कई किस्में व रंग होते हैं.
जिनमें पाए जाने वाले अवयवों की किस्में व मात्रा भी अलग अलग होती है.
मुख्य वानस्पतिक तत्व यह हैं:
Beta-carotene
यह संतरी रंग की गाजरों में सर्वाधिक पाई जाती है. Beta-carotene एक उत्तम एंटीऑक्सीडेंट भी होता है.
शरीर द्वारा इसका अवशोषण 6.5 गुना तक बढ़ जाता है यदि इन्हें घी तेल मिला कर, पका कर खाया जाये न कि कच्चा (3, 4, 5).
Alpha-carotene
यह भी एक एंटीऑक्सीडेंट है जो सीमित मात्रा में विटामिन A में परिवर्तित किया जा सकता है.
Lutein
गाजर में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंटस में से एक है जो पीली और संतरी रंग कि गाजर में अधिक मिलता है, और लाल में सबसे कम.
यही वह एंटीऑक्सीडेंट है जो नज़र के लिये ज़रूरी माना जाता है (6).
Lycopene
लाल राग का यह एंटीऑक्सीडेंट लाल व गहरे जामुनी रंग की गाजरों में पाया जाता है.
इसे कैंसर रोधक व हृदयरोग रोधी जाना जाता है (7).
Polyacetylenes
ये ऐसे क्रियाशील तत्व हैं जिन्हें शोधों ने रक्त कैंसर रोधी व कैंसर कोशिकाओं से लड़ने वाला पाया है.(1, 7, 8).
Anthocyanins
यह शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट केवल गहरे जामुनी रंग की गाजरों (जिनका उपयोग हम कांजी बनाने के लिये करते हैं) में मिलता है.
नज़र के लिये गाजर
वे व्यक्ति जो विटामिन A की कमी के कारण रतौंधी (night blindness) से ग्रसित हों उन्हें गाजर के सेवन से लाभ मिल सकता है. (9).
क्योंकि विटामिन A, वसा अथवा fat के साथ लेने पर ही अवशोषित होता है,
इसलिए गाजर को घी तेल में मिलाकर पका कर खाने से ही पूरा लाभ लिया जा सकता है.
कच्ची गाजर या गाजर के जूस से उतना लाभ कदापि संभव नहीं.
विटामिन A व carotenoids संतृप्त अन्य आहार जैसे पालक, चौलाई, मछली का तेल, लिवर मांस इत्यादि भी उतने ही लाभकारी हैं जितनी कि गाजर.
शोधों के अनुसार, carotenoids युक्त आहार उम्र से सम्बंधित नज़र की कमजोरी को भी रोक पाने में सक्षम हो सकते हैं (10,11,12).
सारशब्द
यह बिलकुल आधारहीन व भ्रामक है, कि गाजर के सेवन से उम्र-बढाव से खराब नजर फिर से ठीक हो सकती है; और चश्मा छूट जाता है.
ऐसा बिलकुल भी नहीं होता.
हाँ, ये ज़रूर है कि गाजर नज़र को और अधिक खराब होने से बचा सकती है
यदि उस खराबी के पीछे केवल विटामिन A की कमी ही मुख्य कारण हो.
नज़र में कमजोरी के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे कि high ब्लड प्रेशर व डायबिटीज इत्यादि.
- नजर के लिये उत्तम किस्म
पर्याप्त विटामिन A प्राप्त करने के लिये गाजर की संतरी रंग वाली किस्म ही उत्तम है.
घी तेल के साथ गाजर को पका कर ही विटामिन A का पूरा लाभ लिया जा सकता है.
कच्ची गाजर या इसके जूस से नहीं.