तुतलाने हकलाने को सामान्यत: एक ही समस्या मान लिया जाता है.
तुतलाना (stammering) एक शारीरिकतंत्र (फिजियोलॉजी) विकृति है जब कि हकलाने (stuttering) की समस्या का कारण फिजियोलॉजी के अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक भी हो सकता है.
जानते हैं, क्या हैं तुतलाने और हकलाने लक्षण एवं कारण और 7 कारगर उपाय अथवा इलाज.
तुतलाने हकलाने का पहला कारण – मनोवैज्ञानिक विकृति
मनोवैज्ञानिक कारणों में फोबिया अहम् होता है.
जिस कारण बच्चे बड़े होने पर भी किसी परिस्थिति विशेष या व्यक्ति विशेष के सामने हकलाने लगते है, अन्यथा नहीं.
मनोवैज्ञानिक हकलाना ठीक किया जा सकता है.
इस प्रकार के बच्चों को कभी भी कुंठाग्रस्त ना होने दें.
जब कोई हकलाकर बोलता है तो लोग अक्सर हंस देते हैं जिससे उन्हें अपमान का आभास होता है और वे कुंठित महसूस करते हैं.
हकलाकर बोलने वाले बच्चों को इस दोष से मुक्ति दिलाने के लिए उन्हें हकलाने पर ताड़ना या प्रताड़ना नहीं मिलनी चाहिए.
उन्हें सुधारने के लिये सलाह न देकर उनसे छोटी छोटी बातों पर सलाह लें. जैसे:
उनसे पूछना, आज बताओ क्या खाना बनायें, हम सभी वही खायेंगे जो तुम बताओगे.
टीवी पर कौन सा चैनल लगाना है, लगाओ, हम भी वही देखेंगे.
यदि बाज़ार जाएँ तो उनकी पसंद ही वस्तुएं खरीदें, अपनी मर्ज़ी ना थोपें.
इस प्रकार के प्रयोगों से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा; और हकलाने की प्रवृति चली जायेगी.
यदि हकलाने की प्रवृति उसके अपने मित्रों के बीच हो, तो उसे प्रेम से समझाईये कि वह अपने मित्रों से बेहतर है, और उसे ये बार बार मनन व निश्चय करना चाहिए कि वह उन सब के सामने नहीं हकलायेगा.
हकलाने वाले बच्चे को धीरे धीरे, आत्मविश्वास के साथ, बोलने का अभ्यास कराएं.
उसे बतायें कि बोलने में जल्दबाजी न करे.
स्वर और उच्चारण पर ध्यान दे.
हकलाने के बावजूद भी उसे खूब बोलने और ऊँचे स्वर में बोल कर पढ़ने का अभ्यास कराएं.
तुतलाने हकलाने का दूसरा कारण – फिजियोलॉजिकल विकृति
हकलाने व तुतलाने की फिजियोलॉजिकल विकृति के पीछे कुछ अवयवों की कमी हो सकती है या फिर जिव्हा व स्वरतंत्र के लोचतंत्र की कमजोरी.
इस प्रकार के रोग के लिये कुछ कारगर उपाय हैं.
इन उपायों में मुख्यतः ऐसे घटक दिए जाते हैं जिनके खाने से जीव्हा में जकड़न आये, जीव्हा से रसस्राव हो व जीव्हा के तंतु शक्तिशाली बनें.
तुतलाने हकलाने के उपाय इलाज
1 तुतलाने हकलाने वाले बच्चे को एक हरा आंवला रोज चबाने को दें.
इससे जीभ पतली होने में मदद मिलेगी और जीभ की गर्मी भी शांत होगी.
और बच्चे का हकलाना भी बंद हो जाएगा.
आंवला के अन्य गुण इस लेख में देखिए.
2 कसैले अमरुद, जामुन गिरी, आम गिरी, नीम्बू संतरे का छिलका या अनार का छिलका भी जिव्हा की लोच बढ़ाने में सहायक होते हैं.
3 काली मिर्च और बादाम समभाग लेकर कुछ बूँद पानी में घिसकर चटनी बनालें.
इसमें मिश्री या शहद मिलाकर बच्चे को चटाते रहें.
एक या दो माह में बच्चे का हकलाना बंद हो जाएगा.
4 दालचीनी का चूर्ण बना कर शहद के साथ दें.
5 अकरकरा या कुलिंजन या वच चूसने को दें. इनमें से जो भी एक मिल जाए ठीक है.
इसे मुंह में रख कर चूसना ही है, जिससे जिव्हा का स्राव बढ़ जाता है व जीव्हा पतली हो जाती है.
6 मालकांगनी (Celastrus paniculatus) जिसे ज्योतिष्मती भी कहते हैं, के तीन चार बीज खाने को दें.
मालकांगनी नाडीतंत्र व मस्तिष्क के लिये उत्तम टॉनिक है. ये थोड़ी कडवी ज़रूर होती है, लेकिन बेहद कारगर भी है.
7 बच्चे को नीबू चूसने को दें. नीम्बू का विटामिन C भी जिव्हा के गतितंत्र को ठीक करता है.
एक लोकप्रचलित टोटका
आदिवासी बहुल कुछ क्षेत्रों में तुतलाने के लिये एक प्राचीन टोटका भी प्रचलन में है.
वह है कि तोते का खाया हुआ अमरुद खिलाने पर बच्चों का तोतलापन व बोलने में विलम्ब ठीक होते हैं.
सारशब्द
तुतलाना व हकलाना मुख्यत: मनोवैज्ञानिक व फिजियोलॉजिकल विकृतियाँ हैं जिन्हें आसानी से ठीक किया जा सकता है.