तुलसी (Holy basil, botanical name: Ocium sanctum) लगभग हर घर में पाई जाती है।
हमारे वेदों और पौराणिक ग्रंथों में तुलसी के बहुत से गुण बताये गये है।
भारतीय संस्कृति का इस पौधे के साथ दैवीय आस्था और औषधीय नाता रहा है।
हिन्दू इसे पूज्य मानते है।
यह वनस्पति उन में रोगों भी काम आती है जिनका तोड़ आज तक भी वैज्ञानिक ढूंढ नही पाए हैं।
तुलसी के 11 औषधीय नुस्खे और उपयोग
आयुर्वेद के कई ग्रंथों में इसके नुस्खे उपलब्ध हैं।
इस लेख में जानेंगे तुलसी के 11 औषधीय नुस्खे, उपयोग जो घर पर उपयोग किये जा सकते हैं।
ह्रदय स्वास्थ्य और श्वास रोग
1 अदरक, तुलसी, से बनाया गया काढा यदि शहद में मिलाकर पिया जाये
तो दमा (Asthma) में अपूर्व लाभ मिलता है।
2 तुलसी का उपयोग कफ के रोग जैसे जुकाम, खासी, सर दर्द, चकर आना, जैसे रोगों में भी लाभकारी सिद्ध होता है ।
3 ह्र्दय के मरीज़ यदि तुलसी का नित्य सेवन करें तो ह्र्दय रोग से जल्द ही निजात पायी जा सकती है।
त्वचा के लिए हितकारी
4 दाद, खुजली और त्वचा से सम्बंधित अन्य रोगों में अगर तुलसी के रस को त्वचा पर पर लगाये तो त्वचा की एलर्जी और अन्य रोग ठीक हो जाते है।
5 कुष्ट रोगी को यदि सोंठ के साथ तुसली का अर्क पिलाया जाये तो कुष्ट रोग ठीक हो जाता है।
6 यदि चेहरे पर काफी समय से फुंसी है और वो ठीक होने का नाम नही ले रही तो आप तुलसी का अर्क लगाये और उपरसे फिटकरी मल दें, जल्द ही आप की सारी फुंसीयां गायब हो जायेगी।
अवसाद नियंत्रक
7 डिप्रेशन अवसाद में यदि 15 से 20 तुलसी के पत्ते हर रोज़ दिए जाये तो बेहतरीन लाभ मिलता है.
निरंतर उपयोग से डिप्रेशन से निजात भी मिल जाती है।
एसिडिटी, पित्त निवारक
8 एसिडिटी, गैस जैसी रोज़ होने वाली बीमारी में तुलसी अदरक का काढ़ा बनाकर 1 उसमें नीम्बू मिला लें.
इसमें थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर पीने से एसिडिटी से तुरंत राहत मिलती है।
खूनी बवासीर, मलेरिया, टाइफाइड में लाभकारी
9 तुलसी के पत्तों को छाया में सुखाकर फिर पीसकर उसका चूर्ण बना लें. इसे खाने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।
10 तुलसी की 11 पत्ती और 4 काली मिर्च खाने से मलेरिया और टाइफाइड बुखार से बचाव मिल जाता है।
कामशक्ति वर्धक
11 महिला पुरुषों की यौन दुर्बलता, कामशक्ति की कमी में तुलसी एक एक सुलभ उपाय मानी जाती है.
दूध के साथ श्यामा तुलसी के 2से 3 ग्राम बीज का प्रयोग करने से दुर्बलता खत्म हो जाती है।
और कामवासना जाग उठती है.