पुनर्नवा केवल रोग निवारक औषधि ही नहीं, शक्तिदायक रसायन अथवा टॉनिक भी है। इस लेख में पुनर्नवा के 26 गुणकारी उपयोग दिए गये हैं जो आप के लिए उपयोगी हो सकते हैं.
शरीरं पुनर्नवं करोति, पुनः पुनर्नवा भवति।।
‘इसके सेवन से वृद्ध व्यक्ति पुनः जवान हो जाता है’ ऐसा आयुर्वेद का मत है.
जो रसायन एवं रक्तवर्धक होने से शरीर को पुनः नया बना दे, व जो प्रतिवर्ष नवीन हो जाए; उसे पुनर्नवा कहते हैं।
अतएव आप पुनर्नवा के उपयोग से अपने स्वास्थ्य के लिए और दीर्घजीवन लाभ ले सकते है।
वर्षा ऋतु आने पर पुनर्नवा के सूखे मृत पौधे पुन: जीवित हो जाते हैं
इनसे शाखाएँ पुनः फूट पड़ती हैं
और पौधा अपनी मृत जीर्ण-शीर्णावस्था से दुबारा नया जीवन प्राप्त कर लेता है.
इस विलक्षणता के कारण ही ऋषिगणों ने इसे पुनर्नवा नाम दिया है.
पुनर्नवा की पहचान, गुण- लाभ की विस्तृत जानकारी इस लिंक पर देखिये.
पुनर्नवा के 26 गुणकारी उपयोग
इस लेख में पुनर्नवा के 26 विशेष लाभ गुण, फायदे जानेंगे, जिन्हें पारम्परिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है.
बेहतरीन टॉनिक
1 अनेक पारम्परिक वैद्यगण पुनर्नवा मंडूर, पुनर्नवा गुग्गल, पुनर्नवारिष्ट, पुनर्नवा रसायन बनाते हैं.
और इन्हें देकर लोगों को दीर्घजीवन, उत्तम स्वास्थ्य, शरीर दर्द से निवृत्ति आदि के लिए प्रयोग करते है।
शोथहर, मूत्रल
1 इसके पत्तों का शाक शोथ (सूजन) नाशक, मूत्रल तथा स्वास्थ्यवर्धक है।
जैसे पालक की भाजी बनाते हैं, वैसे ही पुनर्नवा की शाक बनाकर खायी जा सकती है।
गाँवों देहातों में अभी भी इसका शाक खाया जाता है.
2 मूत्रावरोधः पुनर्नवा का 40 मि.ली. रस अथवा उतना ही काढ़ा पियें।
पुनर्नवा के पान बाफकर पेड़ू पर बाँधें।
पुनर्नवाक्षार 1 ग्राम (आयुर्वेदिक औषधियों की दुकान से मिलेगा) गरम पानी के साथ पीने से तुरंत फायदा होता है।
3 वृषण शोथः पुनर्नवा का मूल दूध में घिसकर लेप करने से वृषण की सूजन मिटती है।
यह योग हाड्रोसील रोग में भी फायदेमंद रहता है।
नेत्र हितकारी
1 नेत्रों की फूलीः पुनर्नवा की जड़ को घी में घिसकर आँखों में आँजें।
2 नेत्रों की खुजलीः पुनर्नवा की जड़ को शहद अथवा दूध में घिसकर आँजने से लाभ होता है।
3 नेत्रों से पानी गिरनाः पुनर्नवा की जड़ को शहद में घिसकर आँखों में आँजने से लाभ होता है।
4 रतौंधीः पुनर्नवा की जड़ को काँजी में घिसकर आँखों में आँजें।
बवासीर में
1 खूनी बवासीरः पुनर्नवा की जड़ और हल्दी के समभाग लेकर काढ़ा बनायें.
इस काढ़े को खूनी बवासीर में देने से लाभ होता है।
2 वादी बवासीरः पुनर्नवा के मूल को पीसकर फीकी छाछ (200 मि.ली.) या बकरी के दूध (200 मि.ली.) के साथ पियें।
लिवर रोग निवारक
1 पुनर्नवा के साथ कुटकी, चिरायता और सोंठ समान मात्रा में लेकर जौकुट करें.
इन सब का काढ़ा बनाकर 2-2 चम्मच सुबह-शाम पीने से लिवर की सूजन में बहुत लाभ होता है।
2 हीपेटाईटिस और लीवर की सूजन के लिए समभाग पुनर्नवा की जड़ और सहजन की छाल को पानी में उबाल कर देने से लाभ होता है.
3 पीलिया में पुनर्नवा के पंचांग (जड़, छाल, पत्ती, फूल और बीज) को शहद एवं मिश्री के साथ लें.
अथवा उसका रस या काढ़ा पियें।
ह्रदय हितकारी
हृदयरोग के कारण यदि सर्वांगसूजन हो गयी हो तो पुनर्नवा के मूल का 10 ग्राम चूर्ण और अर्जुन की छाल का 10 ग्राम चूर्ण लें.
इन्हें 200 मि.ली. पानी में काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पियें।
इसे लेने से ह्रदय रोगों से बचाव भी होता है.
एनीमिया
पुनर्नवा रस दो चम्मच के नित्य उपयोग से एनीमिया दूर होता है.
पुनर्नवा के मौसम में इसका सूप बनायें या साग भाजी बनाकर खायें, पूरे साल एनीमिया नहीं होगा.
आर्थराइटिस संधिवात में
13 संधिवातः पुनर्नवा के पत्तों की भाजी सोंठ डालकर खायें।
14 वायुप्रकोप से पैर की एड़ी में वेदना होती हो तो पुनर्नवा में सिद्ध किया हुआ तेल पैर की एड़ी पर लगाए एवं सेंक करें।
श्वास रोग
भारंगमूल चूर्ण 10 ग्राम और पुनर्नवा चूर्ण 10 ग्राम को 200 मि.ली. पानी में उबालकर काढ़ा बनायें।
जब 50 मि.ली. बचे तब उसमें आधा ग्राम श्रृंगभस्म डालकर सुबह-शाम पियें।
श्वास अवरोध (दमा) में लाभ मिलेगा.
विविध
1 प्रसव विलम्ब – पुनर्नवा के मूल के रस में थोड़ा तिल का तेल मिलाकर योनि में लगायें।
इससे रुका हुआ बच्चा तुरंत बाहर आ जाता है।
2 चूहे का विषः सफेद पुनर्नवामूल का 2-2 ग्राम चूर्ण 10 ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार दें।
3 पागल कुत्ते का विषः सफेद पुनर्नवा के मूल का रस 25 से 50 ग्राम, 20 ग्राम घी में मिलाकर रोज पियें।
4 पुनर्नवा के मूल का काढ़ा पीने से कच्चा फोड़ा-मूढ़ (दुष्ट) फोड़ा भी मिट जाता है।
5 मोटापा दूर करने के लिए पुनर्नवा के 5 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम लें।
पुनर्नवा की सब्जी बना कर खायें।
6 पेट के रोगः गोमूत्र एवं पुनर्नवा का रस समान मात्रा में मिलाकर पियें।
7 श्लीपद(हाथीरोग)- 50 मि.ली. पुनर्नवा का रस और उतना ही गोमूत्र मिलाकर सुबह शाम पियें।
8 प्रोस्टेट ग्रंथि में वृद्धि होने पर पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण का सेवन करें.
कैसे करें पुनर्नवा का उपयोग
1 रसायन प्रयोग
हमेशा उत्तम स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए रोज सुबह पुनर्नवा के पत्ते का 2 चम्मच (10 मि.ली.) रस पियें.
अथवा पुनर्नवा के मूल का चूर्ण 2 से 4 ग्राम की मात्रा में दूध या पानी से लें
या सप्ताह में 2 दिन पुनर्नवा की सब्जी बनाकर खायें।
2 दूसरा तरीका
1 पुनर्नवा में मूँग व चने की दाल मिलाकर बढ़िया सब्जी बनती है।
बीमार तो क्या स्वस्थ व्यक्ति भी अपना स्वास्थ्य अच्छा रखने के लिए इसकी सब्जी खा सकते हैं।
2 रोग हो ही नहीं, स्वास्थ्य बने रहें, इसलिए इसकी सब्जी या ताजे पत्तों का रस काली मिर्च व शहद मिलाकर पीना चाहिए।
यदि आप किसी नगर या शहर में रहते हैं तो पुनर्नवा ढूँढना एक कठिन काम हो सकता है.
लेकिन आपके लिए विकल्प भी उपलब्ध हैं.
शोधों द्वारा पुनर्नवा को एक उत्तम रसायन बताने के बाद इसके supplements भी खूब बिकने लगे हैं.
यह supplements आप Amazon जैसे ऑनलाइन स्टोर्स से घर बैठे मंगा सकते हैं.
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सारशब्द
पुनर्नवा एक ऐसी वनस्पति है जिसके औषधीय गुणों से कई लाभ लिये जा सकते हैं.
इसकी शाक भाजी या काढ़ा बनाकर इसके रसायन (टॉनिक) गुणों के फायदे लिये जा सकते हैं.
चित्र साभार: प्रोफेसर सुरेन्द्र सिंह
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