सब जानते हैं कि डायबिटीज कोई रोग नहीं किन्तु एक शारीरिक मेटाबोलिक विकृति है. आहार की डायबिटीज नियंत्रण में एक अहम भूमिका है. आईये जानते हैं, आहार की उस भूमिका के बारे में, जो diabetes में बेहद कारगर मानी जाती है. यह है डायबिटीज का इलाज – कसैले आहार.
प्रकृति के छ: रस
प्रकृति ने हमें छ: प्रकार के रस दिए है जिनका हमें रोज़ सेवन करना चाहिए.
1 मीठा,
2 खट्टा,
3 नमकीन,
4 तिक्त (जैसे मिर्च का स्वाद),
5 कड़वा, एवं
6 कसैला (जैसे जामुन का स्वाद).
इनमें से पहले चार तो हम खाते ही हैं.
लेकिन जीभ की गुलामी के चलते कड़वे व कसैले रस हमारे खानपान से ग़ायब हो चुके हैं.
ये सब पिछले 4-5 दशकों से हुआ है.
और तब से ही डायबिटीज की समस्या का ग्राफ दिनों दिन ऊपर जा रहा है.
यदि हम आहार की बात करें तो डायबिटीज का सीधा सम्बन्ध कसैले रस की कमी से उतना ही है जितना कि मीठे रस के अधिक सेवन से.
मीठा रस चीनी या मीठे फलों के साथ साथ हर उस आहार से मिलता है जिनका कुछ भाग पचने के बाद ग्लूकोस में परिवर्तित हो जाता हैं.
इसमें सब अनाज भी आ जाते हैं जिनमें ग्लूटेन नामक घटक एक मुख्य अंश होता है.
डायबिटीज का इलाज – कसैले आहार
कसैले (Astringent) रस वह होते हैं जिनसे हमें मुख व जीभ में जकड़न का आभास होता है, ठीक वैसा जैसा जामुन या कच्चा अमरुद खाने पर होता है.
कसैले रस दो काम करते हैं.
पहला, ये इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाने में सहायक होते हैं.
दूसरा, इनसे इन्सुलिन की संवेदनशीलता भी बढ़ती हैं; जिससे हमारी इन्सुलिन रक्त में शुगर का बेहतर विघटन कर उर्जा को कोशिकाओं तक पहुंचा देती है.
आप सोच रहे होंगे कि आजकल ऐसा क्या हो गया जो कसैले रस हमारे आहार से बाहर हो गए हैं.
दरअसल, ये सब हमारे शहरीकरण व आहार के प्रति संकीर्ण नज़रिए के कारण हुआ है.
आज से 3-4 दशक पहले तक, हमारे बुज़ुर्ग केले, आम, अमरुद, पपीते इत्यादि का उपयोग कच्चेपन से लेकर पकने तक का करते थे.
लेकिन आजकल अधिकतर फल पके ही खाए जाते है, जिनमे कसैलापन तो जीरो रह जाता है लेकिन शुगर पूरे चरम पर होती है.
पहले सेव, आम छिलके समेत खाए जाते थे, लेकिन आज ऐसा करेंगे तो हम सोचते हैं कि कहीं कोई हमें आदि मानव न समझ बैठे.
आहार शैली में बदलाव ज़रूरी
कसैले फल खाएं
जामुन, अनार, आंवला, हरड, बहेड़ा का उपयोग करें.
कच्चे फल खाएं
अमरुद, केला, खरबूज़, यदि कच्चे या अधपके खाए जाएँ तो कसैले रस का लाभ लिया जा सकता है.
साथ ही इनमें ग्लूकोस, फ्रकटोज़ (शुगर की किस्में) भी कम मिलेंगे जो इनके पकने पर ही बनते हैं.
फलों को छिलके समेत खाएं
केले, आम, संतरे, नीबू, अनार इत्यादि के छिलके कषाय रस से भरपूर होते है.
थोडा अजीब लगेगा लेकिन हजारों लाखों सालों से मानव ने इन्हें ऐसे ही खाया है.
फलों को छिलके समेत खाने की आदत डालें.
आपको डायबिटीज में ही नहीं कई अन्य रोगों से भी बचाव मिलेगा.
चटनी इत्यादि व्यंजन बना कर खाएं
कसैली सब्ज़ियां खाएं
लसोड़ा, करेला, कमल ककड़ी, परवल इत्यादि का अधिक सेवन करें.
सूखे कसैले फल व सब्ज़ियां
आंवला, करेला, कच्चा केला, जामुन, अमरुद इत्यादि सुखा कर भी उपयोग किये जा सकते हैं.
इनके मोटे चिप्स बनायें.
नीम्बू, कालीमिर्च, जीरा, सेंधा या काला नमक, इत्यादि लगा कर सुखा लें.
पूरे साल के स्नैकस बन जायेंगे.
छिलके वाली दालों का उपयोग करें
दालों के छिलके कसैले होते हैं; इसलिए साबुत चना, मूंग, मसूर इत्यादि खाएं, धुली दाल नहीं.
कसैले मसालों का उपयोग
कसैले मसाले जैसे मेथी, दालचीनी, सोया (कडवी सौंफ) इत्यादि का समावेश करें.
यदि आप ये बदलाव अपनी आहार शैली में लाते हैं तो निश्चित है कि आप डायबिटीज से बचे रहेंगे, कभी पीड़ित नहीं होंगे.
प्रकृति का विधान
जिस मौसम में प्रकृति अधिक मीठे फल देती है उसी मौसम में ये उनको पचाने का सामान भी प्रदान करती है.
गर्मियों में आम, चीकू, खरबूज़ा इत्यादि की सौगात देती है..
तो साथ ही खीरा, करेले, लसोड़ा, करोंदा, जामुन, अनार, कमल ककड़ी, परवल इत्यादि भी प्रदान करती है.
सर्दियों में संतरा, कीनू मिलते हैं..
तो उनके छिलके ही शुगर का विघटन करने के लिये पर्याप्त रहते हैं.