सहिंजन (Drumstick) जिसके अन्य नाम सहजन, सेंजना, शिग्रु, मुनगा इत्यादि हैं, एक बेमिसाल और उपयोगी वनस्पति है.
ये ऐसी वनस्पति है जिसकी पत्तियों एवं फलियों में 300 से अधिक रोगों की रोकथाम के गुण,
9 विटामिन्स समूह, 46 एंटी आक्सीडेंटस, 36 दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलने बताये जाते हैं.
सहिंजन( Drumsticks) जिसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा (Moringa oleifera) है, को अंग्रेजी में Horse-radish से जाना जाता है।
आईये जानते हैं मुनगा अथवा सहजन के बारे में कुछ और दिलचस्प जानकारी…
सहिंजन की लोकप्रियता में अप्रत्याशित दिलचस्पी तब से बढ़ी है जब से आधुनिक शोधों ने इसे कई रोगों के लिये बेहद प्रभावकारी बताया है.
फलस्वरूप, सहिंजन ने एक बड़े बाज़ार को खड़ा कर दिया जो इसे दुनिया के हर कोने में बेचने में लगा है.
प्रकृति का ये नायाब तोहफा बड़ी आसानी तथा बिना किसी विशेष देखभाल के सर्वत्र पनप जाता है.
शहरी उपभोक्ताओं की अनभिज्ञता के कारण उत्तर भारत में सहिंजन का उपयोग इतना प्रचलित नहीं
जबकि दक्षिण भारत व कई पूर्वी एशिया के देशों में सहिंजन कई व्यंजनों एवं घरेलु नुस्खों में उपयोग किया जाता है.
इसे सांबर, रसम में डाला जाता है, इसकी सब्जी व चटनी भी बनाई जाती है.
सहिंजन (Drumstick) के पौष्टिक गुणों की तुलना
इस नायाब वनस्पति में विटामिन सी- संतरे से सात गुना,
विटामिन ए- गाजर से चार गुना,
कैलशियम- दूध से चार गुना,
पोटेशियम– केले से तीन गुना,
प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना,
और, विटामिन E – बादाम से 3 गुना अधिक पाया जाता है.
सहिंजन में 50 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण पाये जाते हैं।
भारत के दक्षिणी राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में इसकी खेती भी होती है।
साथ ही इसकी फलियों और पत्तियों का कई तरह से प्रयोग भी।
चारे के रूप में इसकी पत्तियों का उपयोग किया जाता है.
शोधों के अनुसार इसके उपयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है।
यही नहीं, इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में 125 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होती है।
फिलीपीन्स, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया आदि देशों में सहिंजन का उपयोग बहुत किया जाता है।
दक्षिण भारत में व्यंजनों में भी इसका उपयोग खूब किया जाता है।
वैज्ञानिक मत
सहिंजन में उच्च मात्रा में ओलिक एसिड होता है जो एक मोनोसैच्युरेटेड फैट है. यह शरीर के लिये अति आवश्यक माना जाता है।
संजन में विटामिन सी की मात्रा भी बहुत होती है।
विटामिन सी एक उत्तम एंटी ऑक्सीडेंट है जो शरीर के रोगों से लड़ता है।
इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है।
इसमें प्रचुर मात्रा में आइरन, मैग्नीशियम और सेलेनियम भी होता है।
सहिंजन में विटामिन ए भी प्रचुरता में होता है जो नज़र एवं सौंदर्य के लिये लाभकारी माना जाता है।
इससे आंखों की रौशनी अच्छी बनी रहती है।
एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण, इसकी पत्तियों का शाक अथवा साग खाने से उम्र का बढ़ाव कम होता है।
शरीर का रक्त साफ होता है तथा मुहांसे, फोड़े, फुंसी इत्यादि जैसी समस्याएं नहीं होती।
सहिंजन (Drumstick) – उपयोग विधियाँ
सहिंजन की फलियों को दाल या रसेदार सब्जियों में मिलाया जाता है.
इसके पत्तों से साग व चटनी इत्यादि बनाये जाते हैं. पत्तों से स्वादिष्ट सूप भी तैयार किया जाता है.
नीचे के चित्रों में सहिंजन के कुछ पकवान हैं, जिन्हें देख इसकी लोक्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है.
सहिंजन (Drumstick) के 21 विशेष गुणों पर लेख इस लिंक पर देखिये.
Health Supplements के रूप में सहिंजन
इस के गुणों की बढ़ती लोक्रियता के चलते इसका उपयोग health supplement के रूप में खूब प्रचलित हो गया है.
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सारशब्द
सेजना के पत्तों का साग खाएं, सूप बनायें. ड्रम स्टिक की सब्जी बनायें,
अन्य सब्जियों, दालों के साथ मिलाकर खाएं पत्तों का जूस निकाल कर पियें.
निश्चय ही आप स्वाथ्य लाभ पाएंगे.