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छाछ लस्सी – जानिये क्या हैं 5 अदभुत गुण और उपयोग

छाछ लस्सी अथवा मठा के बारे में आयुर्वेद में एक सन्दर्भ है…

भोजनान्ते पिवेत तक्रं, वैद्यस्य किं प्रयोजनम?

अर्थात, भोजन के अंत में छाछ पियें तो वैद्य की क्या ज़रूरत है?

बिलकुल वैसे ही जैसे अंग्रेजी की कहावत कि An apple a day, keeps the doctor away.

मट्ठा अथवा छाछ एक लाभकारी बैक्टीरिया युक्त व एंजाइम तृप्त पेय है, जो हमारी पाचन क्रिया के लिये अति हितकारी जाना गया है.

आईये जानते हैं कितना लाभकारी है छाछ, मट्ठा, तक्र अथवा लस्सी (Buttermilk) का नियमित उपयोग…

छाछ (लस्सी) के आयुर्वेदीय गुण

छाछ (लस्सी) शरीर और ह्रदय को बल देने वाली तथा तृप्तिकर होती है.

यह पाचन शक्ति ठीक कर भूख बढाती है.

कफ़रोग, वायुविकृति एवं अग्निमंदय में इसका सेवन हितकर है.

छाछ का स्वभाव शीतल होता है.

ये अपने गुणधर्म से कसैली, मधुर और पचने में हल्की होने के कारण कफ़नाशक और वातनाशक होती है.

पचने के बाद इसका विपाक मधुर होने से ये पित्तप्रकोप भी नही करती.

छाछ (लस्सी) वायु नाशक है और पेट की अग्नि को प्रदीप्त करती है,

ताजा मट्ठा दिल के रोगियों विशेषकर अनियमित धड़कन के लिए अमृत है,

छाछ शरीर के विष द्रव्यों को बाहर निकालकर वीर्य बनाने का काम करता है, ये कफ़ नाशक भी है, ऐसा आयुर्वेद में विवरण है.

छाछ लस्सी या मट्ठा बनाने की विधि

दही में चार या पांच गुना पानी मिलाकर मथने पर मक्खन निकालने के बादजो द्रव्य बचता है उसे छाछ कहते है.

दूसरी अन्य विधि में, जब दही के ऊपर की मलाई निकालकर उसे पानी मिला मथा जाए वह छाछ कहलाती है.

छाछ लस्सी पीने का सही तरीका (How to take)

जैसा कि आरंभ में उल्लेख है, छाछ को हमेशा भोजन के अंत में या फिर बीच बीच में घूंट घूंट कर पीना चाहिये।

ऐसा करने से उपलब्ध बैक्टीरीया और एन्ज़ाइम भोजन को सुपाच्य बना देते हैं.

छाछ दही को कभी भी खाली पेट नहीं पीना चाहिये,

खाली पेट छाछ लेने से इसके बैक्टीरीया और एन्ज़ाइम पेट के तेजाब में नष्ट हो जाते हैं और फिर छाछ भी ऐसिड की तरह व्यवहार कर ऐसिडिटी को बढ़ा देती है।

व्यक्ति की प्रकृति व रोगानुसार छाछ लेने की विधि होनी चाहिए.

तभी इसके पूरे लाभ लिये जा सकते हैं.

तीन विकारों के लिये छाछ का अनुपान इस प्रकार से है.

वातजन्य विकारों में छाछ में पीपर (पिप्ली चूर्ण) व सेंधा नमक मिलाकर

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कफ़-विक्रति में आजवायन, सौंठ, काली मिर्च, पीपर व सेंधा नमक मिलाकर; तथा,

पित्तज विकारों में जीरा व मिश्री मिलाकर छाछ का सेवन करना लाभदायी है,

छाछ (लस्सी) से पाचन रोगों का उपचार

1. संग्रहणी (IBS) और अर्श ( Piles) में

सोंठ, काली मिर्च और पीपर समभाग लेकर बनाये गये 1 ग्राम चूर्ण को 200 मि.लि. छाछ लस्सी के साथ ले.

2. कमज़ोर पाचन में (Poor digestion)

यदि खाना ठीक से न पचने की शिकायत होती है, तो नित्य छाछ लस्सी में भुने जीरे का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर धीरे-धीरे पीना चाहिए.

इससे पाचक अग्रि तेज हो जाएगी.

3. दस्त, अतिसार के लिए छाछ (Dysentry)

गर्मी के कारण यदि  दस्त हो रही हो तो बरगद की जटा को पीसकर और छानकर छाछ में मिलाकर पीएं.

4. पित्त प्रकोप (Acidity)

छाछ लस्सी में मिश्री, काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर  पीने से एसीडिटी जड़ से साफ हो जाती है. ये केवल सामान्य एसिडिटी के बारे में है.

5. कब्ज (Constipation)

यदि कब्ज की शिकायत बनी रहती हो तो अजवाइन मिलाकर छाछ लस्सी पियें.

पेट की सफाई के लिए गर्मियों में पुदीना मिलाकर लस्सी बनाकर पियें.

सावधानियां

1 छाछ लस्सी को रखने के लिए पीतल, तांबे व कांसे के बर्तन का प्रयोग न करें.

इन धातु से बनने बर्तनों में रखने से मट्ठा जहर समान हो जाता है.

सदैव कांच, चीनी या मिट्टी के बर्तन का प्रयोग करें.

2 दही को जमाने में मिट्टी, चीनी या कांच से बने बर्तन का प्रयोग करना उत्तम रहता है.

3 वर्षा काल के  दो महीने (पहली वर्षा के दो माह बाद तक) में दही या मट्ठे का प्रयोग न करें.

ये वर्जित है.

4 भोजन के बाद आधा या एक गिलास मट्ठे का सेवन अवश्य करें. लेकिन अधिक नहीं.

5 तेज बुखार या बदन दर्द, जुकाम अथवा जोड़ों के दर्द में मट्ठा नहीं लेना चाहिए.

7 क्षय रोगी को मट्ठा नहीं लेना चाहिए.

8 यदि कोई व्यक्ति बाहर से ज्यादा थक कर आया हो, तो तुरंत दही या मट्ठा न लें.

9 मूर्छा, भ्रम, दाह, रक्तपित्त व उर:क्षत (छाती का घाव या पीडा) विकारों मे छाछ का प्रयोग नही करना चाहिये,

छाछ लस्सी पर लोक कहावतें

जो भोरहि माठा पियत है, जीरा नमक मिलाय!
बल बुद्धि तीसे बढत है, और रोग सबै जरि जाय !!

जो पिए छाछ लस्सी वो जिए अस्सी (80 साल)

सारशब्द

छाछ लस्सी एक लाभकारी बैक्टीरिया युक्त व एंजाइम तृप्त पेय है जो हमारे पाचन में अदभुत सुधार ला सकता है.

ये उत्तम प्रोटीन, कैल्शियम व अन्य पोषक तत्वों से भरपूर आहार भी है.





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4 thoughts on “छाछ लस्सी – जानिये क्या हैं 5 अदभुत गुण और उपयोग”

  1. Thank you!

    Here is the answer to your query, as given in the blog post:

    भोजनान्ते पिवेत तक्रं , वैद्यस्य किं प्रयोजनम?

    अर्थात, भोजन के अंत में छाछ पियें तो वैद्य की क्या ज़रूरत है?

    Hope this answers your question.

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