acidity एसिडिटी

एसिडिटी : किस्में, लक्षण, कारण और कारगर इलाज

एसिडिटी, अफ़ारा, पेट की जलन, अन्य गैस्ट्रिक इत्यादि ऐसे पाचन विकार हैं, जिनसे जनसंख्या का एक बहुत बड़ा वर्ग त्रस्त रहता है।

यदि आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो यह लेख आपके लिए है।

इस लेख में जानेंगे, इस समस्या के बारे में सब कुछ और साथ ही ऐसे इलाज उपाय, जो आप को स्थायी राहत देने का लक्ष्य रखते हैं। 

लेख के पहले भाग में रोग की किस्में, उनके संक्षिप्त लक्षण और कारण दिए गए हैं।

दूसरे भाग में ऐसे कारण दिए गए हैं जो रोग की सभी किस्मों पर लागू होते है।

तीसरे भाग में इलाज की जानकारी दी जा रही है।

एसिडिटी रोगों के कुछ लक्षण एक दूसरे से मिलते जुलते भी होते हैं, जिस कारण कई लोग इनका सही विश्लेषण नहीं कर पाते हैं।

एसिडिटी संबंधी रोगों पर कई अन्य लेख भी वेबसाईट पर उपलब्ध हैं, जिन्हें आप वेबसाईट में सर्च कर उपयोगी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।


क्या होते हैं एसिडिटी के विकार

एसिडिटी (Acidity) को मेडिकल भाषा में गैस्ट्राइटिस कहा जाता है।

गैस्ट्राइटिस एक ग्रुप का नाम है जिसमें कई प्रकार के रोग विशेष हो सकते हैं। 

आयुर्वेद में इसे पित्त दोष कहा जाता है जिसका अर्थ है शरीर में पित्त की मात्रा का बढ़ जाना। आयुर्वेद में भी पित्त दोषों को कई रोगों में विभाजित किया गया है।

इनमें सामान्य एसिडिटी, एंट्रल गैस्ट्राइटिस (Entral gastritis), गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD), एसिड रिफ्लक्स (Acid Reflux), फंक्शनल डिस्पेप्सिया (Dyspepsia), एनोरेक्सिया (Anorexia), गैस अफ़ारा  (Bloating, Flatulence), गैस और पाद (Gas and Farting), अमाशय के अल्सर,  हाईटस हर्निया इत्यादि मुख्य होते हैं।

सिरदर्द, माइग्रेन और हृदय क्षेत्र की जलन (Heartburn) जैसे लक्षण भी इनमें शामिल हो सकते हैं।


1. एसिडिटी (Acidity)

एसिडिटी को आयुर्वेद अम्लपित्त कहता है। बढ़ी हुई अथवा तीव्र एसिडिटी को हाइपरएसिडिटी कहा जाता है। 

यह तब होती है जब पेट में अम्ल अथवा एसिड का सामान्य से अधिक मात्रा में निर्माण होता है।

यह अम्ल आमाशय और पेट की भीतरी परत को नुकसान पहुंचाता है और जलन का कारण बनता है।

एसिडिटी के लक्षण

  • सीने में जलन
  • पेट में जलन
  • खट्टा डकार आना
  • मुंह में खट्टा या कड़वा स्वाद
  • पेट दर्द

एसिडिटी के कारण (Acidity Causes)

  • तैलीय और मसालेदार भोजन का सेवन
  • अत्यधिक चाय, कॉफी, या शराब पीना
  • धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन
  • तनाव और चिंता
  • देर रात भोजन करना
  • अनियमित, असमय खान-पान

2. एंट्रल गैस्ट्राइटिस (Antral Gastritis)

यह गैस्ट्राइटिस का एक विशेष प्रकार है, जिसमें पेट के निचले हिस्से, जिसे एंट्रम कहा जाता है, में सूजन होती है।

यह पेट की अम्लीयता के साथ जुड़ा हुआ विकार है और कई बार हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. Pylori) बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है।

ये जरूरी नहीं कि एंट्रल गैस्ट्राइटिस में केवल H. Pylori का संक्रमण ही होता हो।

एसिडिटी का लंबे समय तक अनियंत्रित बने रहना भी इसका कारण हो जाता है।

यह दर्द निवारक दवाओं, अन्य अंग्रेजी दवाओं (जैसे BP, नींद, हृदय, डाईबेटीज़, थाईरॉयड इत्यादि), तेज़ मिर्च, तम्बाकू, मदिरा के अत्यधिक सेवन से भी हो सकती है।

एंट्रल गैस्ट्राइटिस के लक्षण

  • पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
  • भूख न लगना
  • उल्टी या मतली की अनुभूति
  • हल्का बुखार भी हो सकता है

3. गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD)

जब पेट का एसिड खाने की नली एसोफेगस में वापस होता रहता है, तो उस रोग को GERD कहते हैं।

GERD से एसोफेगस में जलन होती है और कई बार तेजाब या भोजन के साथ खट्टापन मुहँ तक आ जाता है। 

यह एक दीर्घकालिक स्थिति हो सकती है, जिसमें एसोफेगस का मुहँ चौड़ा हो जाता है।

और पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियां (LES) कमजोर हो जाती हैं।

GERD के लक्षण (Gerd Symptoms)

  • सीने में जलन (हार्टबर्न)
  • एसिड के ऊपर आने से अकारण खांसी
  • खट्टी डकार
  • निगलने में कठिनाई
  • गले में खराश

GERD के कारण

  • अधिक भोजन करना
  • मसालेदार और अम्लीय खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन
  • मोटापा
  • गर्भावस्था
  • अत्यधिक धूम्रपान , तम्बाकू और शराब का सेवन

4. एसिड रिफ्लक्स (Acid Reflux)

एसिड रिफ्लक्स एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पेट का एसिड भोजन नली में ऊपर की ओर चला जाता है।

इससे जलन और असुविधा होती है।

यह GERD का प्रारंभिक रूप भी हो सकता है।

एसिड रिफ्लक्स के लक्षण

  • खट्टी डकार
  • बार बार डकार होना
  • पेट में जलन के साथ ऐसा अनुभान कि कहीं भोजन वापिस मुहँ में न आ जाये।
  • सीने में दर्द असहजता
  • गले और मुहँ में खट्टा स्वाद

एसिड रिफ्लक्स के कारण

  • अत्यधिक एसिडिक या तैलीय भोजन
  • भारी भोजन करना और तुरंत लेटना
  • धूम्रपान तम्बाकू और शराब का सेवन
  • ज्यादा वजन

5. अपच, डिस्पेप्सिया (Indigestion, Dyspepsia)

जब पेट अमाशय की क्रियात्मक क्षमता कमजोर हो जाती है तो इसे फंक्शनल डिस्पेप्सिया कहा जाता है।

फंक्शनल डिस्पेप्सिया से पेट में भारीपन, असुविधा और अपच जैसी समस्याएं होती हैं।

तनाव, चिंता और हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण इसके मुख्य कारक होते हैं।

हालांकि इसमें किसी स्पष्ट संरचनात्मक गड़बड़ी का पता नहीं चलता।

फंक्शनल डिस्पेप्सिया के लक्षण

  • भूख में कमी
  • खाने के बाद पेट में भारीपन
  • जी मिचलाना
  • अपच, खाने के बाद ऐसा अनुभान जैसे लंबे समय तक भोजन ऊपर ही अटक गया हो।
  • पेट में दर्द

फंक्शनल डिस्पेप्सिया के कारण

  • अनियमित भोजन इसका मुख्य कारक होता है।
  • अम्लीय खाद्य पदार्थों जैसे कि तंबाकू, अत्यधिक मदिरा, चाय कॉफी का सेवन
  • लंबे समय के मानसिक तनाव, घबराहट
  • तैलीय और मसालेदार भोजन

6. एनोरेक्सिया (Anorexia)

भूख की कमी को एनोरेक्सिया कहते हैं, जो पाचन समस्याओं से उत्पन्न हो सकती है।

यह किसी मानसिक तनाव और चिंता का भी संकेत हो सकता है, जहां व्यक्ति भूख की सहज प्रवृति में अवरोध आ जाता है।

एनोरेक्सिया के लक्षण

  • भूख न लगना
  • वजन में कमी
  • शरीर में कमजोरी
  • सुस्ती

एनोरेक्सिया के कारण

  • पेट में अम्लता का बढ़ना
  • फंक्शनल डिस्पेप्सिया
  • गलत आहार की आदतें जैसे कि भोजन के साथ या तुरंत बाद चाय कॉफी पीना
  • अत्यधिक चाय, कॉफी, तंबाकू का सेवन

7. अफ़ारा (Bloating) और वायुदोष (Flatulence)

ब्लोटिंग अथवा अफ़ारा पेट के फूलने की स्थिति है, जिसमें व्यक्ति पेट में भारीपन और असहजता महसूस करता है।

फ्लैटुलेन्स गैस बनने की प्रक्रिया है, जो गैस्ट्रिक परेशानियों का परिणाम हो सकती है।

अफ़ारा, वायुदोष के लक्षण

  • पेट में भारीपन और फुलाव
  • बार-बार डकार आना
  • पेट में गैस और असहजता
  • गैस रुकने के कारण पेट दर्द

अफ़ारा के कारण

  • पेट की खराब पाचन शक्ति
  • उच्च FODMAPs युक्त आहार पचाने की अक्षमता
  • अधिक हवा निगलना
  • तैलीय और मसालेदार भोजन का सेवन
  • कब्ज का बने रहना

8. गैस और फार्टिंग (Gas and Farting)

फ्लैटुलेन्स के कारण जब गैस पेट या आंतों में जमा होती है और शरीर इसे बाहर निकालता है, तो पाद अथवा फार्टिंग होती है।  

यह भी आमतौर पर खराब पाचन के कारण होता है।

गैस, फार्टिंग के लक्षण

  • पेट में गैस
  • बार-बार पाद अथवा फार्ट आना
  • पेट फूलना लेकिन पाद के बाद राहत का अनुभव

गैस, फार्टिंग के कारण

  • अत्यधिक तली-भुनी चीजें
  • खराब पाचन शक्ति
  • हरी सब्जियां, जैसे गोभी, फूलगोभी का अधिक सेवन
  • दूध या लैक्टोज से एलर्जी

9. सिरदर्द (Headache) और हार्टबर्न (Heartburn)

सिरदर्द, माइग्रेन और हार्टबर्न गैस्ट्राइटिस के कारण हो सकते हैं, जब पेट में अत्यधिक एसिड का उत्पादन होता है।

हार्टबर्न में सीने में जलन होती है, जबकि सिरदर्द तनाव या गैस्ट्रिक परेशानी के कारण उत्पन्न हो सकता है।

सिरदर्द और हार्टबर्न के लक्षण

  • सीने में जलन
  • पेट में अम्लता
  • गैस की वजह से सिरदर्द
  • सीने में दर्द और असुविधा

सिरदर्द और हार्टबर्न के कारण

  • पेट में एसिड का बढ़ना
  • तनाव और अनियमित जीवनशैली
  • तैलीय भोजन का सेवन
  • अत्यधिक कॉफी या चाय

एसिडिटी गैस्ट्राइटिस के विशेष कारण

एलोपैथिक दवाएं

आजकल की एलोपैथिक दवाओं के सेवन से भी एसिडिटी की समस्या रहने लगती है।

कुछ रोगों (जैसे डायबिटीज, हृदयरोग, ब्लड प्रेशर, थायरॉयड, आर्थराइटिस जोड़ों के दर्द) के लिये एलोपैथिक दवाईयां लंबे समय या पूरी उम्र के लिये लेनी पड़ती हैं। 

यदि आप ऐसी औषधियाँ ले रहे हैं तो संभवत: आपको एसिडिटी की दवाएं भी साथ में दी जाती हैं.

ये दवाएं एसिडिटी उत्पन्न करती हैं जिससे बचने के लिये आपको एसिडिटी गैस्ट्राइटिस की दवाओं का सेवन करना जरूरी हो जाता है।

पेट के लाभकारी बैक्टीरीया का असंतुलन और कमी

हमारे पेट की बड़ी आंत में लाखों लाभकारी बैक्टीरिया (गट माइक्रोबायोटा) होते हैं, जो हमारे पाचन तंत्र और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

ये बैक्टीरिया भोजन को पचाने, पोषक तत्वों को अवशोषित करने और कई बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।

इनकी कमी या असंतुलन से हमारा पाचन बिगड़ जाता है और पेट का भोजन पचने की बजाय सड़ने लगता है जिस कारण एसिडिटी गैस का प्रकोप रहने लगता है।

पाचक एन्ज़ाइम्स की कमी

हमारा पाचन तंत्र कई प्रकार के एन्ज़ाइम्स का निर्माण करता है जो आहार को तोड़कर उसे ग्लूकोस में बदलने का काम करते हैं।

जब उनमें कमी आ जाती है तो हम कुछ प्रकार के आहार सही से पचा नहीं पाते हैं।

और हमें गैस, एसिडिटी, दस्त, कब्ज इत्यादि का प्रकोप झेलना पड़ता है।

जैसे यदि हमें दूध नहीं पचता तो ये लैकटेज़ नामक एन्ज़ाइम की कमी के कारण होता जिसका स्राव छोटी आंत में होता है।

उच्च FODMAPs युक्त आहारों का सेवन

FODMAPs (Fermentable Oligosaccharides, Disaccharides, Monosaccharides, and Polyols) एक प्रकार के छोटे कार्बोहाइड्रेट और शुगर एल्कोहॉल होते हैं, जो छोटी आंत में सही तरीके से अवशोषित नहीं हो पाते।

ये पाचन समस्याओं को बढ़ा सकते हैं, खासकर उन लोगों में जिन्हें इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) या अन्य पेट संबंधी विकार होते हैं।

ज्यादातर लोगों के लिए FODMAPs हानिकारक नहीं होते, लेकिन संवेदनशील पाचन तंत्र वाले लोगों में ये बड़ी आंत में जाकर किण्वित (Ferment) होने लगते हैं, जिससे गैस, एसिडिटी, पेट दर्द, डायरिया या कब्ज जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं

पेट के अन्य रोगों के कारण

एसिडिटी और गैस की समस्या कई पेट संबंधी रोगों के कारण हो सकती है।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS): यह एक पाचन संबंधी विकार है, जिसमें कब्ज, दस्त, गैस और सूजन जैसी समस्याएं होती हैं।

हाइटल हर्निया: जब पेट का ऊपरी हिस्सा इसोफेगस के पास चला जाता है, तो यह एसिडिटी और गैस की समस्या पैदा करता है।

डुओडेनिटिस (छोटी आंत की सूजन): छोटी आंत (डुओडेनम) की परत में सूजन आने से पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे गैस और एसिडिटी बढ़ जाती है।

लिवर और गॉलब्लैडर समस्याएं (फैटी लीवर, पित्ताशय की पथरी): यदि  लिवर ठीक से पित्त (Bile) का उत्पादन नहीं करता, तो पाचन बिगड़ जाता है, जिससे गैस और एसिडिटी की समस्या होती है।

पैंक्रिएटाइटिस (अग्न्याशय की सूजन) अग्न्याशय (Pancreas) से निकलने वाले पाचक एंजाइम सही मात्रा में न बनने पर पाचन खराब हो जाता है, जिससे गैस और एसिडिटी बढ़ जाती है।

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. Pylori) संक्रमण यह एक बैक्टीरिया है, जो पेट की परत में सूजन और अल्सर पैदा कर सकता है।


गैस्ट्राइटिस का इलाज 

एलोपैथी के इलाज

एसिडिटी और गैस की समस्या के लिए एलोपैथी में दी जाने वाली औषधियाँ निम्न प्रकार की होती है:

प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स (PPIs): ओमेप्राज़ोल (Omeprazole), पैंटोप्राज़ोल (Pantoprazole), रेबेप्राज़ोल (Rabeprazole), लैंसोप्राज़ोल (Lansoprazole) और एसोमेप्राज़ोल (Esomeprazole), इत्यादि।

H2 रीसैप्टर ब्लॉकर्स: रैनिटिडिन (Ranitidine) – हालांकि, यह कई देशों में अब प्रतिबंधित है। फैमोटिडिन (Famotidine),  सिमेटिडिन (Cimetidine) इत्यादि।

एंटासिड्स: कैल्शियम कार्बोनेट (Calcium Carbonate), मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (Magnesium Hydroxide), एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड (Aluminum Hydroxide) इत्यादि।

प्रोकाईनेटिक्स  डोमपेरिडोन (Domperidone), मेटोक्लोप्रामाइड (Metoclopramide), इटोप्राइड (Itopride) इत्यादि।

सुक्रालफेट: यह दवा एल्यूमिनियम आधारित होती है, लंबे समय तक उपयोग से एल्यूमिनियम विषाक्तता का खतरा हो सकता है, खासकर उन लोगों में जिनकी किडनी की कार्यक्षमता कमजोर हो।

ये सब दवायें फौरी राहत तो देती हैं लेकिन कई गंभीर दुष्प्रभावों का कारण बन सकती हैं।

इनके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव (Side Effects) इस प्रकार के होते हैं:

  1. हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है,
  2. अध्ययनों ने लंबे समय तक PPI के उपयोग को याददाश्त की कमी और डिमेंशिया जैसी समस्याओं से जोड़ा है।
  3. किडनी में सूजन (नेफ्राइटिस) और किडनी फेल्योर का कारण बन सकता है।
  4. लंबे समय तक लेने पर विटामिन B12, D3, आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम के अवशोषण को कम कर सकती हैं।
  5. शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे हृदय और मांसपेशियों की समस्याएं हो सकती हैं।
  6. अनैच्छिक शारीरिक मूवमेंट्स (टारडिव डिस्किनेशिया) हो सकते हैं,

इसलिये, इनके लंबे उपयोग से हमेशा बचना चाहिये।

खासकर तब, जब आप रोज रोज इन औषधियों को लेते हों। (देखिये विस्तृत लेख)

आयुर्वेदिक इलाज – सटीक और दुष्प्रभाव रहित

पित्त एसिडिटी के स्थायी और दुष्प्रभाव रहित इलाज के लक्ष्य से आयुर्वेदिक वनौषधियों पर कई शोध हुए हैं। 

सभी शोध एकमत हैं कि स्थायी उपचार के लिए आयुर्वेद में ही समग्र समाधान सम्भव है।

वनौषधियों से निर्मित एसिरेम (Acirem) एक ऐसा आयुर्वेदिक उत्पाद है, जिसके कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होते हैं।

शोध बताते हैं कि एसिरेम (Acirem) के घटक लंबे समय के उपयोग के लिये सर्वोत्तम हैं,

साथ ही एसिडिटी की गंभीर बीमारियों जैसे GERD, अल्सर, एसिड रिफ्लक्स और hiatal hernia के लिए कारगर भी। (देखिये शोधपत्र 1, 2, 3, 4, 5)

अधिक जानकारी और खरीद के लिये यहाँ क्लिक कीजिये।

ACIREM- Relief From Gastric Disorders

तत्वसार में, एसिरेम (Acirem) एक उत्तम आयुर्वेदिक उपचार है, जिसे आप बिना किसी दुष्प्रभाव के, हमेशा उपयोग कर सकते हैं। 

अन्य उपयोगी उपाय

गैस्ट्राइटिस के उपचार के लिए पचने में आसान भोजन का सेवन, आहार में बदलाव की भी आवश्यकता होती है।

सही समय पर और शांतभाव से भोजन करना गैस्ट्राइटिस को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

जल्दी सोना, जल्दी उठना, टीवी सोशल मीडिया से दूरी, इत्यादि जीवनशैली अपनाने से सुधार होता है और गैस एसिडिटी से भी राहत मिलती है। 

तनाव को कम करने के उपाय जैसे योग, ध्यान, आत्मचिंतन ऐसे लाभ देते हैं, जो दवाओं से भी मुक्ति दिलाने की क्षमता रखते हैं।

अध्यात्म से व्यग्रता, अकारण चिंता, भय का उत्तम निवारण हो जाता है।

आध्यात्मिक संगीत, मधुर मंत्रों को नित्य सुनने से आत्मा, मन और शरीर को शांति, सुख और ऊर्जा मिलती है।

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सार शब्द

एसिडिटी गैस्ट्राइटिस एक ऐसा विकार है जिसे नजरअंदाज करने से गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

इस विकार के लिए एलोपैथी औषधियाँ दुष्प्रभाव देती हैं, इसलिये उनके अत्यधिक उपयोग से बचना चाहिये।

आयुर्वेद एक बेहतर, दुष्प्रभावरहित विकल्प है।

समय पर उपचार और सही आहार, विहार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

यदि लक्षण लगातार बने रहते हैं, तो चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।




4 thoughts on “एसिडिटी : किस्में, लक्षण, कारण और कारगर इलाज”

  1. Jaswinder Kaur Shergill

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