हडजोड़ या ‘अस्थिसंधानक‘ (वानस्पतिक नाम : Cissus quadrangularis) को आयुर्वेद में हड्डियों के स्वास्थ्य के लिये रामबाण बताया गया है. इसिलए हडजोड़ – बढ़ती उम्र में हड्डियों का रक्षक माना जाता है.
हड्डियों के लिये हडजोड की उपयोगिता इसमें उपलब्ध एनाबोलिक होर्मोंस (Anabolic hormones) के कारण होती है.
क्योकि, ये होर्मोंस ही रक्त के कैल्शियम को हड्डियों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं.
एनाबोलिक होर्मोंस हमारे शरीर में ही बनते हैं लेकिन उम्र के बढ़ाव के साथ इनकी उत्पत्ति कम होती जाती है.
परिणामस्वरूप, कैल्शियम भी ठीक प्रकार से हड्डियों में नहीं पहुँच पाता.
और हमारी हड्डियाँ पोली, झरझरी और कमज़ोर होने लगती हैं.
इस विसंगति को ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) रोग कहा जाता है.
Osteoporosis के चलते अकारण फ्रैक्चर होने लगते हैं, जिन्हें ठीक होने में सामान्य से बहुत अधिक समय लगने लगता है.
ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या पुरुषों की अपेक्षा प्रौड़ महिलाओं में अधिक पाई जाती है.
ये इस कारण, क्योंकि बढ़ती आयु में Menopause अथवा मासिक धर्म बंद होने के कारण कई hormonal बदलाव आते हैं.
जिनके कारण कैल्शियम का अवशोषण कम हो जाता है.
ये अलग बात है कि जब तक महिलाओं की मासिक धर्म क्रिया चलती रहती है,
उनकी कैल्शियम अवशोषण प्रणाली पुरुषों से लगभग डेढ़ गुना अधिक रहती है.
हडजोड की पहचान
हड़जोड़ को अस्थि श्रृंखला के नाम से भी जाना जाता है।
हडजोड का पौधा एक बेल है जिसमें हर चार से छह इंच के खंडाकार (Blocks) बाद एक जोड़ वाली गांठ रहती है.
नाम अनुरूप ये मानव की बाँहों या जांघों की हड्डियों का भान कराती है।
हर गांठ से एक अलग पौधा पनप सकता है।
चतुष्कोणीय (Quadrangular) तने में हृदय (Heart)के आकार वाली पत्तियां होती है।
छोटे फूल लगते हैं।
पत्तियां छोटी-छोटी होती है और लाल रंग के मटर के दाने के बराबर फल लगते हैं।
यह बरसात में फूलती है और जाड़े में फल आते हैं.
कैसे करें उपयोग
औषधीय गुणों के लिए हडजोड उपयोग करने का सबसे अच्छा तरीका है इसका काढ़ा (decoction).
काढ़ा क्वाथ (Decoction) बनायें
250 ग्राम हडजोड के काण्ड लेकर’ दो लीटर पानी में आधा घंटा उबाल लें.
स्वाद के लिए कालीमिर्च, अदरक मिला लें.
इसमें चीनी या नमक भी मिला लें.
काढ़ा बनाने के बाद ठंडा कर छान लें.
इस काढ़े की 50ml मात्रा दिन में दो या तीन बार लें.
शाक और चटनी बनायें
दक्षिण भारत और श्रीलंका में इसके तने की कोमल कोंपलों को साग व चटनी के रूप में प्रयोग करते हैं।
इसकी सब्जी भी बनाई जाती है.
अन्य उपयोग विधियाँ
मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल हिस्सों में इसको पीस कर उड़द या मूग मिलाकर बड़ियाँ भी बनाई जाती हैं.
हडजोड को अन्य long fried या long pressure cooked व्यंजनों जैसे, राजमाह, चना या करेले, कटहल, जिमीकंद इत्यादि में भी मिलाया जा सकता है.
सावधानी बरतें
कृपया ध्यान रखें, हडजोड को कभी भी कच्चा न खाएं. कच्चे हडजोड का स्वाद कच्ची अरबी या कटहल जैसा तेज़ होता है.
जिससे मुहं में जलन, छाले हो सकते हैं.
हडजोड का उपयोग हमेशा उबालकर, पकाकर या तलकर ही करें.
हडजोड के सप्लीमेंट्स
हडजोर का सायसस नामक Health Supplement काफी लोकप्रिय है.
एकतरफ इसे खिलाडी, और gym के शौक़ीन अपने mussles और सेहत बनाने के लिए उपयोग करते हैं,
वहीं कई अन्य, इसका उपयोग बढती उम्र के कई रोगों से बचने के लिए करते हैं.
जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस, arthritis, कोलेस्ट्रॉल, ब्लडप्रेशर, डायबिटीज
और जोड़ों की कार्यकुशलता इत्यादि को सामान्य रखने में.
आप भी उपयोग कीजिये, आप पूरी उम्र इन गम्भीर रोगों से बचे रहेंगे.
आप इन्हें घर बैठे मंगा कर सीधे उपयोग कर सकते हैं जिससे आप हडजोड को ढूँढकर लाने और व्यंजन तैयार करने से बच जाते हैं.
वैसे भी हडजोड के व्यंजन रोज़ रोज़ तैयार नहीं किये जा सकते, और सायसस नामक Health Supplement एक बेहतरीन विकल्प है.
साईसस (Cissus) का एक पैक 30 से 90 दिन तक चल जाता है, यानि औषधि के रूप में 30 दिन से 45 दिन और सप्लीमेंट के रूप में 90 दिन.
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सारशब्द
हडजोड बढ़ती उम्र के रोगों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, आर्थराइटिस, उच्च रक्तचाप, जोड़ों व शरीर के दर्द व कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में लाभकारी है.
इसका नियमित उपयोग हमें महगी चिकित्सा से बचा सकता है.
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कृपया इस लिंक पर अपनी समस्या का विवरण दीजिये
https://ayurvedcentral.com/health-advice/
Kripya aapki problem clear likhen. Samajh nahi aa rahi. Thank you.