यदि आप ने एक भी बार कोई सिरका बना लिया तो यकीन मानिये, आप हमेशा सिरका घर पर ही तैयार करेंगे. पोषक सिरका बनाने की विधि बड़ी ही आसान है, जिसमें न तो कोई परिश्रम करना है न ही कोई विशेष खर्चा.
सिरका का मतलब है फलों इत्यादि का खमीरीकरण अथवा संधान कर खाने योग्य पेय बनाना.
सेव, अंगूर, जामुन, अमरुद, खजूर, अंजीर, चेरी के सिरके आसानी से बनाये जा सकते है.
अंगूर का सिरका, सेब का सिरका, गन्ने का सिरका इत्यादि
जो सेहत कारक तो हैं ही, साथ ही काफी पसंद भी किये जाते हैं.
दुनिया भर की सभ्यताएं अपने यहाँ उपलब्ध फलों से सिरका बनाती है.
जापान में चावल से, तुर्की में अंगूर व खजूर से, अमेरिका में सेव, चेरी व जामुन से, मलेशिया में नारियल से,
यूरोप में अंजीर, जामुन से, जर्मनी में बियर से बने सिरके हर घर की शान माने जाते हैं.
सेव के सिरके के गुणों पर सबसे अधिक शोध भी हुए हैं जो इसे एक उत्तम टॉनिक प्रमाणित करते हैं.
इस लिंक पर देखिये सेव के सिरके के स्वास्थ्य लाभ
सिरका बनाने का तरीका बड़ा ही आसान होता है. आईये, बनाते हैं घर पर ही बेहतरीन पोषक सिरका…
सिरका बनाने की विधि
यदि आप सोचते हैं कि सिरका कैसे बनाये. क्या है बनाने की विधि तो बस
बताये गए फलों में से किसी एक फल का सिरका बना कर बस शुरुआत करिए.
आपको चाहिए एक खुले चौड़े मुहं वाला मर्तबान या जार जो कांच या चीनी का हो.
आपको महंगे व बड़े फल लेने की आवशयकता नहीं.
छोटे सस्ते फल लीजिये क्योंकि हमें सिरका बनाना है, उन्हें सजा कर नहीं खाना है.
वैसे भी जो फल आकार में सामान्य से छोटे रह जाते हैं इनमें मिठास अधिक रहती है जिससे आपका सिरका अधिक सुगन्धित और तेज़ बनेगा.
आपको जान कर आश्चर्य होगा कि फलों वाले बाजारू सिरके सड़े गले फलों से बनाए जाते हैं, फिर भी महंगे बिकते हैं.
जब आप सिरका घर पर बनायेंगे तो आपको यकीन रहेगा कि वह अच्छे ताज़े फलों का है.
शुरूआती चरण
1 जिस भी फल का सिरका बनाना हो उसे धो लें.
2 सेव, खजूर या अमरुद के फल हों तो उन्हें छिलके समेत काट कर छोटे छोटे टुकड़े या हिस्से बना दें.
3 गुठली, बीज अलग कर दें.
जामुन की गुठली भी सिरके में डाली जा सकती है जिस से सिरका बनने में कुछ अधिक समय तो लगता है,
लेकिन ये डायबिटीज के लिये अधिक लाभकारी हो जाता है.
4 अंजीर, अंगूर या चेरी के फलों को काट लें या हल्का मसल लें.
बीज भी बीच में ही रहने दें.
5 काटने मसलने के बाद काटे या मसले हुए फलों को कम से कम 6 से 8 घंटे किसी खुली प्लेट में कपडे से ढक कर पड़ा रहने दें.
इस से ऑक्सीडेशन क्रिया आरंभ हो जाती है.
आपने देखा होगा, जब सेव को काट कर खुले में रखते हैं तो कटे हुए हिस्से का रंग भूरा हो जाता है.
यही ऑक्सीडेशन क्रिया है.
इस क्रिया के दौरान वातावरण के बैक्टीरिया मसले हुए फलों पर पनपना आरम्भ कर देते हैं, और एक विशेष प्रकार की गंध आने लगती है.
यही समय है अगले चरण का.
(सर्दियों के मौसम में हमें कुछ अधिक देर तक इंतजार करना पड़ता है.)
सिरका बनाने की तैयारी
6 मसले या काटे हुए फलों को मर्तबान या जार में डाल दीजिये.
ऊपर से इतना पानी डालें कि फल डूबने के बाद एक इंच अधिक पानी रहे.
वैसे आरंभ में फल डूबते नहीं तो तले को देख कर एक डेढ़ इंच अधिक पानी डालें.
7 अब एक या दो चम्मच गुड या चीनी डाल दें.
ये इसलिए डालते हैं जिससे कि बैक्टीरिया को शुरुआती समय में उर्जा मिले और वे अपनी जनसँख्या आसानी से और जल्दी से बढाये.
एक या दो चम्मच सिरका के भी डालें जिससे वातावरण के एसिटिक एसिड बैक्टीरिया भी आकर्षित हों.
8 चम्मच या कड़छी से थोडा हिला दें जिससे कि चीनी पूरी घुल जाये.
9 जार के मुंह को किसी साफ़ कपडे से ढक दें ताकि सिरके के घोल को हवा तो मिले लेकिन कोई कीट पतंगे अन्दर न जा पाएँ.
10 जार को किसी कम रौशनी वाली जगह रख दें जहाँ इसे अगले एक सप्ताह तक हिलाना नहीं है.
अगली प्रक्रिया
11 एक सप्ताह बाद आप पाएंगे कि जार के ऊपर एक झागनुमा, मलाई सी बन गयी है, और तरल से अलग विशेष महक आ रही है.
ये संकेत है कि शुरुआती यीस्ट बैक्टीरिया अपना काम कर रहा है.
इस घोल को एक बार आप कड़छी से हिला दें जिससे झाग पुन: घोल में समा जाए.
और ऊपर के फल नीचे चले जाएँ; और नीचे वाले ऊपर आ जाएँ.
झागनुमा ये मलाई ही असली कारगर यीस्ट है जिसे जामन या Mother के नाम से जाना जाता है.
कड़छी से हिलाने की यह प्रक्रिया आपको हर सप्ताह करनी है.
गर्मियों के मौसम में यह क्रिया सप्ताह में दो या तीन बार भी की जा सकती है.
12 तीन से चार सप्ताह (मौसम के अनुसार) बाद आप देखेंगे कि झाग बननी बंद हो गयी है तथा महक भी अच्छी आने लगी है.
यह संकेत है, कि अब सिरके के एंजाइम व एसिटिक एसिड यीस्ट बनने लग गए हैं.
लेकिन अभी सिरका तैयार नहीं हुआ है.
13 डेढ़ दो माह या थोडा अधिक समय बाद,
जब आपको लगे कि तरल की महक तेज़ सिरके जैसी हो गयी है,
और फलों के टुकड़े नीचे बैठ गये हैं…
इसे छान कर फलों के अवशेष अलग कर दें…
और सिरके को बोतलों में भर लें.
यह तरल मटमैला होगा जो धीरे धीरे साफ़ होता जायेगा तथा अवशेष तले पर बैठ जायेंगे.
14 आप चाहें तो इसे निथार लें अन्यथा अवशेष बीच में ही रहने दें.
ये अवशेष आपको अगली बार के सिरके में काम आयेगा जिससे अगला सिरका और अधिक लाभकारी और स्वादिष्ट बनेगा.
ये लीजिये, तैयार है जामुन का सिरका.
सिरका पीने की विधि
सिरका के अनेक लाभ होते हैं.
सिरके को किसी भी आहार में मिलाईये, या फिर अकेले लीजिये; दोनों ही लाभकर होते हैं.
हाँ, अकेले जब लेना हो तो इसमें हमेशा पानी मिला कर ही लेना चाहिये.
Excellent post, थँक्स
बहुत बढ़िया जानकारी
कई लोग पानी को उबालकर उसमें फल के टुकड़े डालने की सलाह देते हैं । क्या यह सही है? कोई धूप में रखने की सलाह देते हैं तो कोई बिना धूप के ठंडे और कम रौशनी वाली जगह में रखने की सलाह देते हैं । इसी तरह से कोई बोतल को ढक्कन से टाईट से बंद करने की सलाह देते हैं तो कोई बोतल के मुंह को पतले सूती कपड़े से बंद करने की सलाह देते हैं । आख़िर इनमें कोन सी विधी सही है ? कृपया बताने का कष्ट करें ।
Suhael Ahmedd जी, आपकी सभी जिज्ञासाओं का निवारण लेख में किया हुआ है. कृपया पढ़ लीजिये. धन्यवाद.
सर जी मुझे केवल जामुन का सिरका बनाना है कृपया उचित विधि बताने का कष्ट करेंःः
धन्यवाद
विधि एक जैसी ही है जी। पके जामुन को थोड़ा मसल लीजिये और पानी मिला कर किण्वित कर लीजिये।