जो भजे हरी को सदा, सो परम पद पायेगा
राम
जो भजे हरी को सदा, सो परम पद पायेगा
देह के माला, तिलक और भस्म नहीं कुछ काम के
प्रेम भक्ति के बिना, कहीं हाथ के मन आयेगा?
दिल के दर्पण को सफा कर, भूल कर अभिमान को
खाक हो गुरु के चरण की, तो प्रभु मिल जायेगा
छोड़ दुनिया के मज़े सब, बैठ कर एकांत में
ध्यान धर हरी के चरण का, फिर जन्म नहीं आएगा
दृढ़ भरोसा मन में कर के, जो जपे हरी नाम को
कहत ब्रह्मानन्द, ब्रह्मानंद बीच समायेगा
यह गायन परम आदरणीय विशंभर नाथ श्रीवास्तव जी (अब USA निवासी) व आदरणीया अंजना भट्टाचार्य के स्वर में है जो उनके अनुसार, सन 1987 में कानपुर में रिकॉर्ड किया गया था.
अनुमति के लिए अतिशय धन्यवाद.
Bahut hi sunder. Dhanyvad.
Beautiful