खानपान में पेस्टिसाइडस की विषाक्तता, पर्यावरण में प्रदूषण, मानसिक तनाव आजकल के जीवन के अभिन्न अंग बन गए हैं.
रोज़मर्रा की इन विसंगतियों को झेलने में रोगप्रतिरोधक क्षमता क्षीण होती जाती है
और हम जल्दी ही बुढापे की ओर बढ़ने लगते हैं.
इस विषमय माहौल के कारण आर्थराइटिस, थाइरॉइड, IBD, IBS, गाउट, डायबिटीज, एलर्जी, इन्फेक्शन जैसे रोग इस ज़माने के अभिन्न अंग बन गए हैं.
अमृतयोग (Amrit Yog) है उन्नत रसायन (Tonic)
अमृतयोग चुनिन्दा वनस्पतियों और रसायनों का उत्कृष्ट समावेश है.
इसमें डाले गए कुल घटकों में से चार तिब्बतन चिकित्सा पद्धति में भी उपयोग किये जाते हैं.
तिब्बतन चिकत्साशास्त्र का मत है कि इन वनस्पतियों के नित्य उपयोग से सौ साल तक जवान रहा जा सकता है.
वैज्ञानिक शोध भी एकमत हैं कि
इन घटकों के नित्य उपयोग से बेहतरीन उर्जा और रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई जा सकती है,
और लम्बे समय तक जवान रहा जा सकता है.
अमृतयोग है बहुपयोगी टॉनिक
अमृतयोग अनंत रूप से लाभकारी टॉनिक है.
इसके नित्य उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है.
शारीरिक शक्ति, मानसिक शक्ति और कामशक्ति, सभी का उच्च स्तर बना रहता है.
आत्मघाती रोगप्रतिरोध (auto immune disorders) में लाभ मिलता है.
शरीर में उर्जा का संचार होता है.
जल्दी थकान महसूस नहीं होती. काम करने में मन लगा रहता है.
मानसिक शक्ति में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. (1)
अकारण भय, चिंता, व्यग्रता से मुक्ति मिलती है, सकारात्मकता का विकास होकर व्यर्थ के तनाव और डर से राहत मिलती है.
आयु बढ़ने के साथ साथ हमारी चयापचय क्रियाएँ (metabolism) कमज़ोर होने लगती हैं जिससे खाया पिया सही तरीके से शरीर को नहीं लग पाता.
अमृतयोग के सेवन से metabolism में आश्चर्यजनक सुधार होता पाया गया है.
बेहतरीन रोग प्रतिरोधी
यदि एलर्जी इत्यादि हो तो निवारण होता है.
इसके लगातार सेवन से कई प्रकार की एलर्जी में अभूतपूर्व लाभ देखने को मिले हैं.
बार बार बीमारी (जैसे कि नज़ला, टाइफॉइड) नहीं घेरती,
बार बार के बालतोड़ होने से राहत मिलती है.
साइनस और एलर्जिक छींके, खांसी जुकाम से निजात मिलती है.
फंगल इन्फेक्शन से होने वाले फोड़े, फुंसियों से आराम मिलता है.
निरंतर उपयोग से शरीर के मस्से लुप्त हो जाते हैं.
इसके उपयोग से Lipoma में भी लाभ मिलता पाया गया है, हालांकि सब lipoma रोगियों को एक जैसा लाभ नहीं मिलता है.
अमृतयोग उन विकारों में भी लाभकारी है जो वायरस या फंगस के कारण होते हैं.
जैसे मस्से, नाखूनों की फंगस, सिर की इन्फेक्शन, हठी खुजली जो बार बार होती हो, त्वचा की एलर्जी वाले रोग जैसे urticaria इत्यादि.
उम्र के बढाव के कारण होने वाले फंगल इन्फेक्शन की भी रोकथाम होती है.
यह शरीर के विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने का काम करता है
जिस कारण धीरे धीरे पनपने वाले रोग जैसे आर्थराइटिस, डायबिटीज, थाइरोइड विकार, पेट के रोग पनपने नहीं पाते.
बुढ़ापे में होने वाले विकारों जैसे स्मरणशक्ति में कमी, भुलक्कड़पन, सही सोचने की कमी (dementia),
हाथों का कम्पन (Parkinson’s decease, Alzhiemer), नसों की कमजोरी (Verico veins) इत्यादि से बचाव मिलता है.
यदि सार में कहा जाए तो अमृतयोग में वे सब खूबियाँ हैं जो आपको रोगमुक्त रख लम्बे समय तक जवान रख सकती हैं.
जब आप इसका निरंतर उपयोग करते हैं तो एक एक कर इसके लाभ सामने आने लगते हैं.
अमृतयोग (Amrit Yog) के संयोजक तत्व
अमृत योग के मुख्य घटक ऐसे है जिन्हें आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही स्वास्थ्य के लिए सिद्ध और बेहद उपयोगी मानते हैं।
प्रति कैप्स्यूल मुख्य संयोजक तत्व इस प्रकार हैं
High potency organic extracts of
Withania somnifera, अश्वगंधा 80mg
Tribulus terrestris, गोक्षुर 80mg
Tinospora cordifolia, अमृता 80mg
Emblica officinalis, आमलकी 80mg
Mucuna pruriens (केवाँच) 80mg
Shilajit Extract (शिलाजीत घनसत्व) 50 mg,
Yashad Bhasm, Mukta Bhasm 30mg ea,
Trikatu ext 25mg, Excipients QS
पैकिंग
मात्रा 90 Capsules in HDPE jar.
सेवन विधि
दो कैपस्यूल दिन में एक या दो बार (सुबह शाम) खाली पेट. दूध या पानी के साथ, या चिकित्सक के विशेष निर्देशानुसार।