केले - पके या कच्चे kacche kele ke fayde faide labh gun unripe raw banana health benefits uses in hindi

केले – पके या कच्चे : कौन से अच्छे

केले सबके पसंदीदा, बेहद स्वादिष्ट व आसानी से खाये जाने वाले फल हैं. इतना ही नहीं, फलों में केले विटामिन्स, मिनरल्स व पोषण के बेहतरीन भण्डार हैं. केले – पके या कच्चे, कौन से अधिक लाभकारी होते हैं, यह एक सवाल ज़रूर मन में रहता है.

अधिकतर लोग इन्हें तब खाना पसंद करते हैं जब ये बिलकुल पक जाएँ;

लेकिन कच्चे केले का भी सेहत के लिये विशेष महत्व है.

यह अलग है कि स्वाद व कोमलता की कमी के कारण कच्चे केले कम ही पसंद किये जाते हैं.

आईये जानते हैं क्यों कच्चे केले उपयोगी व स्वास्थ्यवर्धक होते हैं, व किनके लिये ये अधिक हितकारी हैं…

केले के पोषक तत्व

केले फाइबर व एंटीऑक्सीडेंटस का सर्वोत्तम संतुलित स्रोत हैं.

न एक ग्राम कम न एक ग्राम अधिक.

एक सामान्य आकार के केले (118 grams) में हमें ये अन्य पोषक तत्व भी मिलते हैं (1, 2, 3):

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  • Potassium: 9% of the RDI.
  • Vitamin B6: 33% of the RDI.
  • Vitamin C: 11% of the RDI.
  • Magnesium: 8% of the RDI.
  • Copper: 10% of the RDI.
  • Manganese: 14% of the RDI.
  • Net carbs: 24 grams.
  • Fiber: 3.1 grams.
  • Protein: 1.3 grams.
  • Fat: 0.4 grams.

RDI का मतलब है, हमारी रोज़मर्रा की ज़रूरत का प्रतिशत.

केले – पके या कच्चे -क्या है फर्क 

केले हमेशा कच्चे ही तोड़े जाते हैं.

यह इस कारण ताकि इनके आगे ले जाने अथवा परिवहन में कोई नुक्सान न हो.

कई दिन के सफ़र के बाद या तो ये पक जाते हैं या फिर इन्हें कुछ विधियों द्वारा पका दिया जाता है.

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बाज़ार में भी कभी आप केले कुछ अधपके देखते हैं या फिर पके हुए. ये केले के पकने की सामान्य स्थितियां हैं जो ये दर्शाती हैं कि केला कितने दिन पहले तोडा गया है.

इस कारण कभी आप केले के हरे पीले रूप देखते हैं और कभी चितकबरे पूरे पके केले.

कच्चे व पके केले रंग से भिन्न तो होते ही हैं उनके गुण भी अलग अलग होते हैं:

स्वाद: हरे केले लगभग फीके होते हैं. ये कसैले भी होते हैं.

स्वाद का भान: हरे केले सख्त मोम जैसे होते हैं जबकि पके केले मुलायम व आसानी से निगलने योग्य

पोषक तत्व रचना: हरे केलों में स्टार्च अधिक होता है जबकि पके केलों में शुगर

उपयोग सुगमता: कच्चे केले छिलने में कठिन होते हैं जबकि पके केले बिलकुल आसान

केले – पके या कच्चे; मुख्य अंतर

जैसे ही केले पकने लगते हैं इनके स्टार्च और कार्बोहायड्रेट भी बदलते हैं

कच्चे केलों में मुख्यत: स्टार्च होती है जो लगभग उनके  70–80% का हिस्सा होती है  (1).

ये स्टार्च हमारी छोटी आंत द्वारा पचाई नहीं जाती.

बल्कि ये बड़ी आंत में पहुँच कर हमारे बैक्टीरिया का आहार बनती है.

इसी  कारण इसे आहारीय फाइबर की श्रेणी में रखा गया है.

जैसे ही केले पकने लगते हैं,  ये स्टार्च शुगर के विभिन्न रूपों में बदल जाते हैं जैसे कि स्क्रोस, ग्लूकोस और फ्रक्टोस (sucrose, glucose and fructose) में.

पकने पर केले में स्टार्च केवल 1% रह जाता है.

कच्चे केले पेक्टिन (Pectin) नामक फाइबर का भी एक उत्तम स्रोत होते हैं,

जिसे पेट के रोगों जैसे IBS संग्रहणी के लिये उपयोगी माना जाता है.

कच्चे केले के लाभ फायदे

मोटापे में लाभकारी

फाइबर की अधिक मात्रा के कारण कच्चे केले अधिक भरपेट का आभास देते हैं.

भूख नहीं लगती.

जिस कारण ये मोटापे के नियंत्रण में लाभकारी होते हैं. (5, 6, 8, 9).

डायबिटीज की रोकथाम

स्टार्च और पेक्टिन डायबिटीज और IBS अथवा संग्रहणी के रोगियों के लिये एक रामबाण उपाय है.  (4, 7, 10).

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IBS संग्रहणी, बवासीर में उपयोगी

इस प्रकार के फाइबर कब्ज़ रोग में भी लाभकारी होते हैं.

इसी कारण कच्चे केलों के उपयोग IBS अथवा संग्रहणी,  कब्ज़ रोग और बवासीर इत्यादि में सुझाये जाते हैं.  (10, 11).

पाचन क्रिया सुधारक

कच्चे केलों में उपलब्ध फाइबर का विघटन आंत के बैक्टीरिया करते हैं.

जिससे हमें पाचन शक्ति में कई प्रकार के लाभ मिलते हैं  (12, 13, 14, 15, 16).

कैंसर रोधी

कच्चे केले के फाइबर कैंसर की रोकथाम करने में भी सहायक होते हैं  (17, 18).

एक सावधानी

कच्चे केलों में  विशेष प्रकार के प्रोटीन भी पाए जाते हैं जिनकी रचना पौधों से निकलने वाले गोंद्नुमा दूध (latex) जैसे तत्व की होती है.

बहुत ही कम लोग जिन्हें इस प्रकार के तत्व से एलर्जी हो उन्हें कच्चे केले से एलर्जी हो सकती है

इस प्रकार की एलर्जी को latex-fruit syndrome कहते हैं (19).

कुछ लोगों को कच्चा केला खाने से कब्ज़ भी हो जाती है.

कैसे करें उपयोग

बिलकुल कच्चे केले फल का स्वाद कम और सब्जी का अधिक देते हैं.

यह कुछ कसैले व खाने में अटपटे लगते है.

कच्चे केले का उपयोग इसकी सब्जी, भुरता व टिक्कियाँ इत्यादि  बना कर किया जाता है.

इसके चिप्स भी बनाते हैं और आचार चटनी भी.

वास्तव  में कच्चे केले का उपयोग बिलकुल वैसे ही किया जाता है जैसे कि आलू का.

कच्चे केले के विभिन्न व्यंजन नेट पर देखे जा सकते हैं.

यदि केले का फल के रूप में उपयोग करना हो तो बिलकुल कच्चा न लेके थोडा हल्का सा, पका फल उपयोग करें.

लाभकारी भी रहेगा और स्वाद भी लगेगा.

फल का लाभ भी मिलेगा और सब्जी का भी.

सारशब्द

कच्चे व पके केले के दोनों रूप, उपयोगी होते हैं.

कच्चे केले डायबिटीज, IBS संग्रहणी इत्यादि में लाभकारी होते हैं, साथ ही मोटापा घटाने में सहायक.

जबकि पके केले में अधिक शुगर होने के कारण उत्तम नित्य आहार हैं.


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