पौराणिक मान्यता है – जिसने अपने जीवन में बरगद का एक पेड़ लगा दिया, उसे मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती है.
बड़ा होने पर बरगद का पेड़, जिसका English name: Banyan tree है, कई परिदों को भरपेट आहार देता है साथ ही रहने का स्थान भी.
बरगद के फल का नाम वटफल होता है जो अंजीर जैसा स्वाद देता है लेकिन छोटा होता है.
आयुर्वेद में बरगद के फल का चूर्ण कई योगों में उपयोग किया जाता है.
गिलहरी, हिरण, चींटियाँ तथा कई अन्य जीव जन्तु भी इसकी छाया व फलों का आनंद उठाते हैं.
जब बरगद अन्य जीवों के लिये इतनी उपयोगी है तो इंसान के लिये भी बरगद के पेड़ का महत्व गुण और उपयोंग कहीं कम नहीं.
बरगद का पेड़ (botanical name: Ficus benghalensis) आयुर्वेद में एक दैवीय उपहार बताया गया है.
बरगद का पेड़ के फायदे अनन्त हैं.
जितना विशाल ये वृक्ष है उतने ही वृहत इसके गुण भी हैं.
1 बरगद है पुरुषों के लिये लाभकारी
1 बरगद के फल का चूर्ण पुरुषों की कई यौन समस्याओं का निवारण कर सकता है.
इसके पेड़ के फल को सुखाकर उसका बारीक चूर्ण बना मिश्री के बारीक पाउडर में मिला लें।
रोजाना सुबह इस चूर्ण की 6 ग्राम मात्रा को दूध के साथ सेवन से वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन आदि रोग दूर होते हैं।
2 सूर्योदय से पहले बरगद़ के पत्ते तोड़कर टपकने वाले दूध को एक बताशे में 3-4 बूंद टपकाकर खा लें।
एक बार में ऐसा प्रयोग 2-3 बताशे खाकर पूरा करें।
हर हफ्ते 2-2 बूंद की मात्रा बढ़ाते हुए 5-6 हफ्ते तक यह प्रयोग जारी रखें।
इसके नियमित सेवन से शीघ्रपतन , वीर्य का पतलापन, स्वप्नदोष, प्रमेह, खूनी बवासीर, रक्त प्रदर आदि रोग ठीक हो जाते हैं
यह प्रयोग बलवीर्य वृद्धि के लिए भी बहुत लाभकारी है।
3 बताशे में बरगद के दूध की 5-10 बूंदे डालकर रोजाना सुबह-शाम खाने से नपुंसकता दूर होती है।
4 बरगद के पके फल को छाया में सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें।
चूर्ण को बराबर मात्रा की मिश्री के साथ मिलाकर पीस लें।
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2 यौनशक्ति वर्धक
1 फल की एक चम्मच मात्रा सुबह खाली पेट और सोने से पहले एक कप दूध से नियमित रूप से सेवन कीजिये.
कुछ हफ्तों में यौन शक्ति में बहुत लाभ मिलता है।
2 बरगद के पेड़ की कोंपले (मुलायम पत्तियां) और गूलर के पेड़ की छाल 3-3 ग्राम और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर लुगदी सी बना लें.
फिर इसे मुंह में रखकर चबा लें और ऊपर से 250 ग्राम दूध पी लें।
इसे 40 दिन तक खाने से वीर्य बढ़ता है और संभोग से समाप्त हुई शक्ति लौट आती है।
3 यौन शक्ति के लिये बरगद के दूध के फायदे अनेक बताये जाते हैं.
बरगद का दूध की पहले दिन 1 बूंद 1 बतासे में डालकर खायें,
दूसरे दिन 2 बूंदे, तीसरे दिन 3 बूंद
ऐसे 21 दिनों तक बढ़ाते हुए फिर घटाना शुरू करें।
इससे प्रमेह और स्वप्न दोष दूर होकर वीर्य बढ़ने लगता है।
4 बरगद के फल छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें।
गाय के दूध के साथ यह 1 चम्मच चूर्ण खाने से वीर्य गाढ़ा व बलवान बनता है।
5 बरगद की कोपलें 25 ग्राम (मुलायम पत्तियां) लेकर 250 मिलीलीटर पानी में पकायें।
जब एक चौथाई पानी बचे तो इसे छानकर आधा किलो दूध में डालकर पकायें।
इसमें 6 ग्राम ईसबगोल की भूसी और 6 ग्राम चीनी मिलाकर सिर्फ 7 दिन तक पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
6 बरगद के दूध की 5-7 बूंदे बताशे में भरकर खाने से वीर्य के शुक्राणु बढ़ते है।
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3 बालों और गंजेपन के लिये
बरगद के पत्ते का उपयोग बालों और गंजेपन के लिये लाभकारी रहता है;
1 बरगद के पत्तों की 20 ग्राम राख को 100 मिलीलीटर अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करते रहने से सिर के बाल उग आते हैं।
2 बरगद के साफ कोमल पत्तों के रस में, बराबर मात्रा में सरसों के तेल को मिलाकर आग पर पकाकर गर्म कर लें.
इस तेल को बालों में लगाने से बालों के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
3 बरगद की जटा और जटामांसी का चूर्ण 25-25 ग्राम,
400 मिलीलीटर तिल का तेल तथा
2 लीटर गिलोय का रस को एकसाथ मिलाकर धूप में रख दें.
इसमें से पानी सूख जाने पर तेल को छान लें।
इस तेल की मालिश से गंजापन दूर होकर बाल आ जाते हैं और बाल झड़ना बंद हो जाते हैं।
4 बरगद की जटा और काले तिल को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर सिर पर लगायें।
इसके आधा घंटे बाद कंघी से बालों को साफ कर लें.
ऊपर से भांगरा और नारियल की गिरी दोनों को पीसकर लगाते रहने से बाल कुछ दिन में ही घने और लंबे हो जाते हैं।
4 महिला स्वास्थ्य के लिये
1 बरगद की जड़ के फायदे अनेक होते हैं.
बरगद की जटाओं के बारीक रेशों को पीसकर लेप बनायें.
इसको रोजाना सोते समय स्तनों पर मालिश करके लगाते रहने से कुछ हफ्तों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है।
2 बरगद की जटा के बारीक अग्रभाग के पीले व लाल तन्तुओं को पीसकर लेप करने से स्तनों के ढीलेपन में फायदा होता है।
3 बरगद की कोपलों के रस में रुई का फाया भिगोकर योनि में रोज 15-20 मिनट तक रखें.
इस प्रयोग को 30 दिन तक रखने से योनि का ढीलापन दूर होकर योनि कस जाती है।
4 बड़ की जटा के अंकुर को घोटकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से सभी प्रकार की उल्टी बंद हो जाती है।
5 बरगद के 20 ग्राम कोमल पत्तों को 100 से 200 मिलीलीटर पानी में घोट लें.
इसे रक्तप्रदर वाली स्त्री को सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है।
स्त्री या पुरुष के पेशाब में खून आता हो तो वह भी बंद हो जाता है।
6 बरगद की जटा के अंकुर 10 ग्राम को पीस छानकर 100 मिलीलीटर गाय के दूध में मिलायें.
इसे दिन में 3 बार स्त्री को पिलाने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
7 बरगद के दूध की 5-7 बूंदे बताशे में भरकर खाने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
5 गर्भ स्थापक
1 बरगद की छाया में सुखाई हुई 4 ग्राम छाल के चूर्ण को दूध की लस्सी के साथ खाने से गर्भपात नहीं होता है।
2 बरगद की छाल के काढ़े में 3 से 5 ग्राम लोध्र की लुगदी और थोड़ा सा शहद मिला लें.
इसे दिन में 2 बार सेवन करने से गर्भपात में जल्द ही लाभ होता है।
योनि से रक्त का स्राव यदि अधिक हो तो बरगद की छाल के काढ़ा में छोटे कपड़े को भिगोकर योनि में रखें।
इन दोनों प्रयोग से श्वेत प्रदर में भी फायदा होता है।
3 बरगद के पत्ते का उपयोग भी नायाब होता है.
पुष्य नक्षत्र और शुक्ल पक्ष में लाये हुए बरगद के ताज़े पत्तों अथवा कोपलों का चूर्ण बना लें.
इसकी 6 ग्राम की मात्रा में मासिक-स्राव काल के4-6 दिन प्रात: पानी के साथ खाने से स्त्री अवश्य गर्भधारण करती है.
4 बरगद की कोंपलों को पीसकर बेर के जितनी 21 गोलियां बनाकर रख लें.
इसकी 3 गोली रोज घी के साथ खाने से भी गर्भधारण करने में आसानी होती है।
6 जलने का उपचार
1 दही के साथ बड़ की कोंपल को पीसकर बने लेप को जले हुए अंग पर लगाने से जलन दूर होती है।
2 जले हुए स्थान पर बरगद की कोपल या कोमल पत्तों को गाय के दही में पीसकर लगाने से जलन कम हो जाती है।
7 आलस्य निवारक
बरगद के कड़े हरे शुष्क पत्तों के 10 ग्राम दरदरे चूर्ण को 1 लीटर पानी में पकायें.
चौथाई बच जाने पर इसमें 1 ग्राम नमक मिलाकर रख लें.
इसे सुबह-शाम पीने से हर समय आलस्य और नींद का आना कम हो जाता है।
8 पैरों की बिवाई
बिवाई की फटी हुई दरारों पर बरगद का दूध भरकर मालिश करते रहने से कुछ ही दिनों में वह ठीक हो जाती है।
9 नज़ला, जुकाम
बरगद के लाल रंग के कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर पीसकर रख लें।
फिर आधा किलो पानी में इस पाउडर को 1 या आधा चम्मच डालकर पकायें.
पकने के बाद थोड़ा सा बचने पर इसमें 3 चम्मच शक्कर मिला लें.
इसे सुबह-शाम चाय की तरह पीने से जुकाम और नजला आदि रोग दूर होते हैं,
और सिर की कमजोरी ठीक हो जाती है।
10 ह्रदय रोग
1 बरगद के 10 ग्राम कोमल पत्तों की पीस छानकर 150 मिलीलीटर पानी में मिल्यें.
उसमें थोड़ी मिश्री भी मिला लें.
इसको सुबह-शाम 15 दिन तक सेवन करने से दिल की घड़कन सामान्य हो जाती है।
2 बरगद के दूध की 4-5 बूंदे बताशे में डालकर लगभग 40 दिन तक सेवन करने से दिल के रोग में लाभ मिलता है।
11 कमर दर्द
कमर दर्द में बरगद़ के दूध की मालिश दिन में 3 बार कुछ दिन करने से कमर दर्द में आराम आता है।
बरगद का दूध अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करने से कमर दर्द से छुटकरा मिलता है।
कमर दर्द में बरगद के पेड़ का दूध लगाने से लाभ होता है।
12 मूत्र दाह
बरगद के पत्तों से बना काढ़ा 50 मिलीलीटर की मात्रा में 2-3 बार सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।
यह काढ़ा सिर के भारीपन, नजला, जुकाम आदि में भी फायदा करता है।
13 भगंदर, बवासीर
1 बरगद के पत्ते, सौंठ, पुरानी ईंट के पाउडर, गिलोय तथा पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण समान मात्रा में लें.
इसे पानी के साथ पीसकर लेप करने से भगन्दर के रोग में फायदा होता है।
2 बरगद की छाल 20 ग्राम को 400 मिलीलीटर पानी में पकायें.
पकने पर आधा पानी रहने पर छानकर उसमें 10-10 ग्राम गाय का घी और चीनी मिला लें.
इसे गर्म ही खाने से कुछ ही दिनों में बादी बवासीर में लाभ होता है।
3 बरगद के 25 ग्राम कोमल पत्तों को 200 मिलीलीटर पानी में घोट लें.
इसे खूनी बवासीर के रोगी को पिलाने से 2-3 दिन में ही खून बहना बंद होता है।
4 बरगद के पीले पत्तों की राख को बराबर मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर लेप तैयार करें.
इसका बवासीर के मस्सों पर लेप करते रहने से कुछ ही समय में बवासीर ठीक हो जाती है।
5 बरगद की सूखी लकड़ी को जलाकर इसके कोयलों को बारीक पीसकर चूर्ण बनायें.
सुबह-शाम 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ रोगी को देते रहने से खूनी बवासीर में फायदा होता है।
बट के कोयलों के पाउडर को 21 बार धोये हुए मक्खन में मिलाकर मरहम बना लें.
इसे बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से बिना किसी दर्द के दूर हो जाते हैं।
14 अतिसार, दस्त, उल्टी
1 खून दस्त रोकने के लिए 20 ग्राम बरगद की कोपलें लेकर पीस लें और रात को पानी में भिगोंकर सुबह छान लें.
फिर इसमें 100 ग्राम घी मिलाकर पकायें.
पकने पर घी बचने पर 20-25 ग्राम तक घी में शहद व शक्कर मिलाकर खाने से खूनी दस्त में लाभ होता है।
2 बरगद के दूध को नाभि के छेद में भरने और उसके आसपास लगाने से अतिसार (दस्त) में लाभ होता है।
6 ग्राम बरगद की कोंपलों को 100 मिलीलीटर पानी में घोटकर और छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिला लें.
इसे रोगी को पिलाने से और ऊपर से मट्ठा पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
3 बरगद की छाया मे सुखाई गई 3 ग्राम छाल को लेकर पाउड़र बना लें.
और दिन मे 3 बार चावलों के पानी के साथ या ताजे पानी के साथ लेने से दस्त में फायदा मिलता है।
4 बरगद की 8-10 कोंपलों को दही के साथ खाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
5 लगभग 5 ग्राम की मात्रा में बड़ के दूध को सुबह-सुबह पीने से आंव का दस्त समाप्त हो जाता है।
6 लगभग 3 ग्राम से 6 ग्राम बरगद की जटा का सेवन करने से उल्टी आने का रोग दूर हो जाता है।
15 डायबिटीज़ मधुमेह के लिये बरगद
1 बरगद की छाल और इसकी जटा 20 ग्राम को बारीक पीसकर बनाये गये चूर्ण को आधा किलो पानी में पकायें.
पकने पर अष्टमांश से भी कम बचे रहने पर इसे उतारकर ठंडा होने पर छानकर खाने से मधुमेह के रोग में लाभ होता है।
2 लगभग 24 ग्राम बरगद के पेड़ की छाल लेकर जौकुट करें और उसे आधा लीटर पानी के साथ काढ़ा बना लें।
जब चौथाई पानी शेष रह जाए तब उसे आग से उतारकर छाने और ठंडा होने पर पियें.
रोजाना 4-5 दिन तक सेवन से मधुमेह रोग कम हो जाता है।
इसका प्रयोग सुबह-शाम करें।
16 गांठ, फोड़ा
1 कूठ व सेंधानमक को बरगद के दूध में मिलाकर लेप करें, तथा ऊपर से छाल का पतला टुकड़ा बांध दें.
इसे 7 दिन तक 2 बार उपचार करने से बढ़ी हुई गांठ ठीक हो जाती है।
2 गठिया, चोट व मोच पर बरगद का दूध लगाने से दर्द जल्दी कम होता है।
3 बरगद के पेड़ के दूध को फोड़े पर लगाने से फोड़ा पककर फूट जाता है।
17 मुंह के छाले
30 ग्राम वट की छाल को 1 लीटर पानी में उबालकर गरारे करने से मुंह के #छाले खत्म हो जाते हैं।
18 घाव, नासूर, खुजली
1 घाव में कीड़े हो गये हो, बदबू आती हो तो बरगद की छाल के काढ़े से घाव को रोज धोएं.
इसके दूध की कुछ बूंदे दिन में 3-4 बार डालने से भी कीड़े खत्म होकर घाव भर जाते हैं।
2 बरगद के दूध में सांप की केंचुली की राख मिलाकर और उसमें रूई भिगोकर नासूर पर रखें।
दस दिन तक इसी प्रकार करने से नासूर में लाभ मिलता है।
3 फोड़े-फुन्सियों पर इसके पत्तों को गर्मकर बांधने से वे शीघ्र ही पककर फूट जाते हैं।
4 बरगद के आधा किलो पत्तों को पीसकर, 4 किलो पानी में रात के समय भिगोकर सुबह ही पका लें।
5 एक किलो पानी बचने पर इसमें आधा किलो सरसों का तेल डालकर दोबारा पकायें.
तेल बचने पर छानकर रख लें.
इस तेल की मालिश करने से गीली और खुश्क दोनों प्रकार की खुजली दूर होती है।
19 दांत एवं मुख के रोग
1 बरगद की पेड़ की टहनी या इसकी शाखाओं से निकलने वाली जड़ की दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं।
2 कीड़े लगे या सड़े हुए दांतों में बरगद का दूध लगाने से कीड़े तथा पीड़ा दूर हो जाती है।
3 बरगद की छाल 10 ग्राम , कत्था और 2 ग्राम कालीमिर्च इन तीनों को खूब बारीक पाउडर बना लें.
इसका मंजन करने से दांतों का हिलना, मैल, बदबू आदि रोग दूर होकर दांत साफ हो जाते हैं।
4 दांत के दर्द बट का दूध लगाने से दूर हो जाता है।
इसके दूध में एक रूई की फुरेरी भिगोकर दांत के छेद में रख देने से दांत की बदबू बंद होकर दांत ठीक हो जाते हैं.
तथा दांत की इन्फेक्शन भी सही हो जाती है।
20 नकसीर के लिये
1 नाक में बरगद के दूध की 2 बूंदें डालने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।
2 बरगद की जटा का बारीक पाउडर बनायें.
इसकी 3 ग्राम मात्रा दूध की लस्सी के साथ पिलाने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है।
21 उपदंश निवारक
1 वटजटा के साथ अर्जुन की छाल, हरड़, लोध्र व हल्दी को समान मात्रा में लें.
इन सबको पानी में पीसकर लेप लगाने से उपदंश के घाव भर जाते हैं।
2 वट का दूध उपदंश के फोड़े पर लगा देने से वह बैठ जाती है।
बड़ के पत्तों की भस्म (राख) को पान में डालकर खाने से उपदंश रोग में लाभ होता है।
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अति उत्तम जानकारी. साधुवाद
भारत की आयुर्वेद सम्पदा को आज के सन्दर्भ में सामने लाना आपका एक प्रशंसनीय योगदान है. अतिशय धन्यवाद
आपके हर लेख को मैने सर्वोत्तम पाया है. कोई गप्प नहीं होती जैसा कि अन्य वेबसाइटस में होता है. आपका यह कर्म अति प्रशंसनीय है. धन्यवाद, नमस्कार