पिछले चार दशकों से मोटापा न केवल अमरीका, जापान जैसे विकसित देशों में, बल्कि भारत जैसे विकासशील देशों की भी एक जटिल समस्या बन गया है.
शहरी आबादी का 45% हिस्सा अब इस रोग से जूझ रहा है.
मोटापा घटाने के आयुर्वेदीय निर्देश उन शास्त्रोक्त विधियों के अनुरूप हैं जो आयुर्वेद में वर्णित हैं.
2007 में हुए National Family Health Survey के अनुसार भारत में मोटापे ने एक महामारी के रूप में जगह बना ली है,
जो अब डायबिटीज के बाद नंबर दो पर है.
मोटापे में शरीर के भीतर बहुत अधिक वसा जमा हो जाती है, जिससे सामान्य क्रियाकलाप बिगड़ने लगते हैं
और स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ते चला जाता है.
परिणामस्वरूप, मोटे लोग जानलेवा बीमारियों जैसे डायबिटीज, ह्रदय रोग, हाइपरटेंशन व किडनी रोग से ग्रस्त हो कर कम आयु में ही जीवन खो रहे हैं.
आयुर्वेद में मोटापा
आयुर्वेद में मोटापे को मेदोरोग व स्थौल्य रोग के नाम से जाना जाता है, जिस पर सभी ग्रंथो में पूरा विवरण और उपाय उपलब्ध है.
ग्रंथों में उपलब्ध मोटापा घटाने के आयुर्वेदीय नुस्खे, औषधियों के अतिरिक्त दिनचर्या, विचार और आहार में बदलाव की सलाह भी देते हैं.
भैषज्यरत्नावली में भी औषधि उपयोग के साथ साथ पथ्य और अपथ्य सम्बन्धी सूत्र दिए गए हैं जो इस प्रकार से है:
मोटापा घटाने के आयुर्वेदीय निर्देश
निम्न कर्म और आहार मोटापा घटाने में लाभकारी हैं..
शारीरिक श्रम, रात्रि जागरण, मैथुन, उबटन, लंघन (उपवास), चिंता करना
धूप सेवन, घूमना. हाथी घोड़े की सवारी करना, अपतर्पण करना,
पुराने बांस का यव (बीज), कोंदो, जौ, क्षुद्र धान्य (ज्वार, बाजरा इत्यादि) का सेवन
कुल्थी, चना, मसूर, मूंग, अरहर की दाल का उपयोग
मधु (शहद) के साथ धान की खील
सभी तरह के कटु, तिक्त एवं कषाय रस (जैसे करेला, मिर्ची, मेथी इत्यादि) का सेवन
तक्र (मठा या घी निकली लस्सी) मदिरा (अल्कोहल)
मछली, बैंगन का भुर्ता, पत्तों के साग,
त्रिफला, गुग्गुलु, लोहभस्म, त्रिकटु (अदरक, काली मिर्च व पिप्पली समभाग)
सरसों का तेल, तिल का तेल,
छोटी इलायची, सभी प्रकार के रुक्ष पदार्थों का सेवन,
अगरु का लेप, शिलाजीत व
उष्ण (Lukewarm) जल, भोजन से पहले पानी पीना
मोटापे में इनसे ज़रूर बचें
शीतल जल से स्नान,
रसायन औषधों का सेवन,
नया शाली चावल, गेहूं,
हमेशा बैठे या लेटे रहना,
दिन में सोना;
दूध एवं इक्षु (गन्ना, मीठा) विकार ( खोया, गुड, चीनी, मिठाई इत्यादि)
उड़द, राजमाह इत्यादि की दाल,
स्नेहन क्रिया (अभ्यंग व तैलादी पान)
मांस खाना, पुष्पमाला, चन्दन, इत्र इत्यादि लगाना;
भोजन के बाद पुन: अधिक जल पीना –
ये सभी कर्म अति स्थूली को छोड़ देने चाहिए.
सारशब्द
आख्यान से स्पष्ट है कि मोटापा कम करने के सारे आधुनिक उपाय, प्राचीन आयुर्वेद पर ही आधारित हैं.
यदि आप औषधि सेवन के साथ साथ इन आसान नियमों को भी अपनाते हैं तो कायाकल्प होना निश्चित है.