IBS उपचार में खानपान नियम – जानिये, स्वस्थ रहिये

यदि आप IBS संग्रहणी के लिए कोई डाइट चार्ट ( ibs diet chart in hindi ) चाहते हैं तो जान लीजिये,

इस रोग में खान पान के नियमों की अधिक अहमियत होती है न कि क्या खायें या क्या नहीं खायें.

हर रोग के उपचार में खानपान और परहेज़ का अहम स्थान रहता है.

दवाइयां आपको एक बार ठीक कर सकती है लेकिन परहेज़ और नियम आपको हमेशा स्वस्थ रख सकते हैं.

यदि आप IBS का उपचार ले रहे हैं  तो जानिये ये खानपान नियम जो इस रोग में अवश्य ही कारगर रहते हैं.

IBS उपचार में खानपान नियम

ठीक होने तक भर पेट खाना न खाएं, और भूख से अधिक तो कभी भी नहीं खाएं (No over-eating).

यदि तीन रोटी की भूख है तो अढाई रोटी ही खायें.

यह इसलिए क्योंकि इस रोग में पाचन शक्ति मंद रहती है.

जब आप कम खायेंगे तो पाचन तंत्र प्रभावी तरीके से काम कर पायेगा.

क्या खायें (ibs me kya khaye)

एक समय के आहार में केवल एक अनाज और एक दाल या सब्जी ही लें.

रोटी और चावल दोनों को इक्कठे खाने की कोई आवश्यकता नहीं.

एक आहार में या तो चावल खाईये या फिर केवल रोटी.

जब आप ऐसा करेंगे तो पाचन तंत्र पर अधिक दवाब नहीं पड़ेगा.

भांति भांति के व्यंजन पचाने के लिये आपके तंत्र को भांति भांति के एंजाइम बनाने पड़ते हैं.

और जब एंजाइम बनने में कमी रह जाएगी तो आपका भोजन भी सही से नहीं पचेगा.

ब्याह शादियों या अन्य दावतों में भी इस नियम का पालन करें.

चुन लें, कि आपको कौन से एक अनाज और एक दाल सब्जी या अन्य व्यंजन लेना है.

दही या मठा का उपयोग

इनका उपयोग भोजन के अंत में ही करें.

पहले कभी नहीं.

खाली पेट दही या मठा का उपयोग करने से एसिडिटी और अफारा बढ़ जाया करते हैं.

क्योंकि हमारे अमाशय का तेज़ाब दही के लाभकारी बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है और खाली पेट लिया दही या मठा केवल एसिडिक आहार बनकर आपके कष्ट को बढ़ा देता है.

दही या मठा में PBF मिला कर लेंगे तो लाभकारी बैक्टीरिया जल्दी बढ़ेगा और राहत भी जल्दी मिलेगी.

मसाले मिर्च

मसालों में जीरा, काली मिर्च, अदरक, धनिया के बीज, धनिया की पत्तियां, लचीनी, सौंफ, मेथी, जावित्री, लोंग, जायफल, अजवायन इत्यादि सभी;

आपके लिए लाभकारी हैं.

केवल लाल और हरी मिर्च से बचें या कम खाएं.

लाल और हरी मिर्च को छोड़कर सभी प्रकार के मसाले आपके लिए लाभकारी हैं.

कितनी बार खाना चाहिए

रोग ठीक होने तक रोज़ाना केवल दो या तीन बार ही आहार लें.

प्रातराश (Breakfast), दोपहर का भोजन (lunch) और रात्रि का भोजन (Dinner),

दो आहारों के बीच कम से कम चार घंटे का अंतराल रखें.

बार बार के खाने से बचें.

दो आहारों के अंतराल में स्नैक्स (snacks) जैसे बिस्कुट, नमकीन इत्यादि से भी बचें.

खाने के समय का अनुशासन कड़ाई से पालें.

यह नहीं होना चाहिये कि किसी दिन नाश्ता 8 बजे किया और कभी सुबह 10 बजे.

खाने के दैनिक समय में 15 मिनट से आधे घंटे से अधिक हेरफेर नहीं होना चाहिये.

8/16 नियम

आठ घंटे के भीतर दो भोजन करना और 16 घंटे का आराम देने को 8/16 के नियम (8/16 fasting ) से जाना जाता है.

जब आप दोपहर बारह से एक बजे के बीच और रात को 8 से 9 बजे तक दो भरपेट भोजन लेते हैं

और 16 घंटे के लिए अपने पाचन तंत्र को आराम देते हैं तो चमत्कारिक लाभ मिलते हैं.

कोशिश कीजिये कि सप्ताह में कम से कम दो दिन आप इस नियम को ज़रूर पालें.

आपको इन दो दिनों में केवल अपना सुबह का नाश्ता नहीं लेना है.

केवल दोपहर और रात के भोजन ही लेने हैं.

सुबह से दोपहर तक जब भी आपको भूख का आभास हो तो पानी या नीम्बू पानी पी लिया करें.

यह पेट के तंत्र को मज़बूत भी करेगा और आराम भी देगा.

लेकिन यह नियम तभी पालें जब आपको केवल IBS की शिकायत हो.

यदि IBS के साथ एसिड सम्बन्धी कोई रोग हों जैसे कि gastritis, GERD, पेप्टिक अलसर, एसिडिटी इत्यादि;

तो आपको तीन या चार बार हलके सुपाच्य आहार लेने चाहिए.

आंत्रशोथ (Ulcerative colitis) में भी तीन या चार हलके आहार लेना  लाभकारी रहता है.

इस 16 घंटे की उपवास अवधि में पानी, बिना दूध की चाय या नीम्बू पानी ले सकते हैं.

एक आहारीय उपवास

हो सके, तो उपचार अवधि में कभी कभार दिन भर में केवल एक ही भोजन ही लें, रात के समय.

इसे एक आहारीय उपवास कहा जाता है.

इसे आप माह में एक या दो दिन भी करेंगे तो लाभ मिलेगा.

बिना गेहूं का आहार

आजकल की गेहूं उन्नत किस्में भी  कुछेक के पाचन में बाधा पहुंचती है.

क्या आपको गेहूं सही से हजम हो जाते हैं; इसे जानने का एक आसान उपाय है.

लगातार तीन से पांच दिन तक केवल दाल, सब्ज़ी और दही का ही सेवन करें.

यदि आपको लाभ अनुभव हो तो पेट के पूरी तरह ठीक होने तक गेहूं का उपयोग बंद कर दें.

आपको बहुत जल्द लाभ मिलेगा.

यदि आपको गेहूं तंग न भी करते हैं, तो भी सप्ताह में एक या दो दिन केवल सब्जियां, दाल और फल का ही सेवन करना चाहिए.

आराम से भोजन करें

भोजन को हमेशा धीरे धीरे खाएं; जल्दबाज़ी कभी न करें.

मुहं की लार में salivary amylase नामक एंजाइम होता है जो कष्टकारी स्टार्च को maltose में बदल देता है.

मन लगा कर, ध्यानपूर्वक, पूरे आराम से भोजन  करने की आदत डालिये.

भोजन के हर कौर को आनंद पूर्वक इतना चबाइये, कि ये निगलने की बजाये पानी की तरह गटकने योग्य हो जाये.

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इसीलिए कहा जाता है कि भोजन को 32 बार चबाना चाहिये;

हालाँकि आपको गिनती करने और इस वहम में पड़ने की कोई ज़रूरत नहीं.

सूखी रोटी को तो 32 बार चबाया जा सकता है लेकिन चावल दाल को नहीं.

सीधे सीधे ध्यान रखिये कि आप भोजन को इतना चबायें कि यह एकसार होकर निगलने की बजाये पीने योग्य बन जाये.

FODMAPs

IBS रोग में उच्च FODMAPs आहारों से ज़रूर बचना चाहिये.

जिन आहारों में FODMAPs की मात्रा अधिक हो उनसे बचना चाहिए.

या फिर इनके fodmap कम करने के बाद ही खायें.

FODMAPs पर अधिक जानकारी इस लिंक पर देखिये.

क्या होते हैं FODMAPs और क्या हैं इनके पाचन तंत्र पर प्रभाव

सलाद, सब्जियां

यदि आपको ताज़े सलाद पच जाते हैं तो लीजिये, अन्यथा इनका उपयोग बिलकुल बंद कर दें.

कच्चा प्याज़ भी नहीं खाएं.

जीरा करता है वज़न कम ibs me kya nahi khana chahiye

यदि सलाद लेना ही हो तो दो या तीन दिन पहले से सिरका मिला कर बनाया गया सलाद ही लें.

सिरका मिले दो या तीन दिन पुराने सलाद के FODMAPs विघटित हो जाते हैं और सलाद में प्रचुर एंजाइम्स भी तैयार हो जाते हैं

जो आपको काफी राहत देंगे.

सब्जी दाल इत्यादि में सेव के सिरके (apple cider vinegar) का नियमित उपयोग करें.

इसे यहाँ क्लिक कर Amazon जैसे ऑनलाइन स्टोर से घर बैठे मंगाया जा सकता है.

दूध के उत्पाद

अधिकतर के साथ यह होता है कि दूध तो नहीं पचता लेकिन दही, छाछ, पनीर जैसे दूध के उत्पाद सहन हो जाते हैं.

यदि आपके साथ भी ऐसा है तो यदि आपको दूध लेने से तकलीफ (milk sensitivity) हो तो कुछ दिनों के लिए इसका उपयोग बंद कर दें.

लेकिन दही, पनीर इत्यादि का सेवन अवश्य करते रहें.

इसका उपाय मुख्य सुधार आने के बाद में आपको बता दिया जायेगा.

फलों का उपभोग

फलों में केला, अनार, जामुन, संतरा, मौसमी, कीनू, चीकू, पपीता, अमरुद इत्यादि आपके लिए लाभकारी हैं.

लेकिन खुमानी, पल्म, खरबूजा, तरबूज़, इत्यादि high FODMAP फलों से ज़रूर बचें.

कोशिश करें कि फलों को भोजन के अंत में ही लिया करें.

अकेले कभी नहीं.

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Eating fruit salad, and figs

याद रखिये, रोग ठीक होने तक आपको केवल दो या तीन आहार ही लेने हैं,

इसलिए फलों का समावेश भी मुख्य भोजन के अंत में ही करना ठीक रहता है.

खाने पीने का तरीका परहेज (ibs me parhej)

गर्मागरम भोजन से बचें.

भोजन का तापमान सामान्य या सामान्य से कुछ अधिक (कुनकुना) ही होना चाहिए.

चाय कॉफ़ी या अन्य गर्म पेय भी थोडा तापमान कम होने पर ही लें.

कोई भी पेय जैसे दूध, लस्सी, सूप, जूस इत्यादि एकदम से न गटककर घूंट घूंट कर पियें.

मुंह की लार (saliva) का पेय में मिलना लाभकारी रहता है.

इसी प्रकार, चपाती, सब्ज़ी दाल इत्यादि के कौर भी इतनी देर ज़रूर मुहं में चबाएं या घुमाएँ कि मुहं की लार इन्हें एकसार कर तरल कर दे और आप इनके कौर को निगलने की बजाये गटक जाएँ.

सूखे आहार के लिए निगलने शब्द का उपयोग होता है जबकि तरल आहारों के लिए गटकने शब्द का उपयोग होता है.

अंग्रेजी में एक कहावत भी है; Drink the solids, eat the liquids.

मतलब एक ही है कि कभी भी भोजन को बिना पर्याप्त लार मिलाये निगलना या गटकना नहीं चाहिये.

खाते समय शांत चित्त हो कर पूरा ध्यान भोजन में ही रखें, टीवी, मोबाइल इत्यादि से दूर रहें.

खमीरीकृत आहार

रोटी बनाने से पहले गूंधे आटे को कुछ घंटे तक खमिरिकृत कर लिया जाये अथवा फुला लिया जाये तो इसकी रोटियां सुपाच्य हो जाती हैं.

यदि आप रात को बनायीं रोटी का उपयोग अगले दिन करेंगे (12 से 24 घंटे बाद) तो भी इसमें खमीर उत्पन्न हो जाता है

जिससे आपको लाभ मिलेगा.

दक्षिण भारत में दही चावल को रात में मिला कर रख देते हैं और फिर अगले दिन इसे दल सब्जी, सांभर मिला कर खाते हैं.

इस प्रकार के दही चावल बिलकुल हलके हो जाते हैं और आपको इन्हें खाने के बाद कभी भी पेट में भारीपन महसूस नहीं होता है.

खमीरिकृत आहारों (Fermented foods) जैसे इडली, डोसा, ढोकला, खमीरी कुलचा,

किमची (Kimchi), सौअरक्रौउट(sauerkraut) केफ़िर (Kefir) इत्यादि का नियमित सेवन करें.

मिठाइयों में भी केवल खमीरयुक्त पकवान जैसे रसगुल्ला, छेना, जलेबी, रसमलाई, केक का बहुत थोडा उपयोग करें.

बर्फी, काजूकतली, मिल्ककेक जैसी मिठाईयां पाचन तंत्र पर भारी रहती हैं.

इनसे बचें.

खमीरयुक्त आहार को प्राथमिकता दीजिये, जिससे हमें प्रचुर मात्रा में लाभकारी बैक्टीरिया मिल जाते हैं.

साथ ही FODMAPs भी विघटित हो जाते हैं, और खाना सुपाच्य हो जाता है.

अनाज, दालें

लाभकारी अनाज जैसे चावल, बाजरा, ज्वार, मक्का का अधिक सेवन करें.

चोकरयुक्त गेहूं (Whole wheat) जौ, ओट्स का कम सेवन करें.

इन अनाजों के छिलके में पाए जाने वाले फाइबर में काफी अधिक phytates होते हैं जो पाचन में बाधा पहुंचा सकते हैं.

Phytates के कारण ही IBS रोग में आयरन, जिन्क, कैल्शियम और अन्य खनिजों की कमी आने लगती है.

आपके लिए मसूर, अरहर अथवा तुअर दाल सर्वोत्तम हैं;

बटला (छोटा मटर), मूंग, चना दाल मध्यम लाभकारी रहती हैं.

लेकिन रोग ठीक होने तक उड़द दाल, लोबिया, राजमाह का सेवन न करें या फिर उनका उपयोग पकाने के 24 घंटे बाद करें जिससे कि इनके FODMAPs कम हो जाएँ.

सब्जियां

सब्जियों में भिन्डी, करेला, लौकी, टिंडा, परवल, ड्रमस्टिक, बैंगन, मटर इत्यादि लाभकारी हैं.

पत्तागोभी, गोभी, अरबी, इत्यादि से बचें या कम खायें क्योकि इनमें अधिक FODMAPs होते हैं.

ऐसी सब्ज़ियों से भी बचें जिनमें अधिक पेस्टिसाइड उपयोग किये जाते हैं.

सारशब्द

बार बार, हर छोटे अंतराल में भोजन नहीं करना चाहिये.

गरमा गर्म आहार और पेय IBS में नुक्सान पहुंचाते हैं.

हमेशा आराम से, शांत चित्त होकर ही भोजन करना चाहिये.

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