सन्दर्भ है कि सहिंजन, शीग्रू, मुनगा खाने से अथवा इसके अन्य उपयोग से 300 से अधिक रोगों का निवारण किया जा सकता है.
सहजन, सहिंजन, शीग्रू, मुनगा, सेंजन अथवा शिग्रू, एक ऐसी वनौषधि है जिसके गुणों पर व्यापक वैज्ञानिक शोध भी हुए हैं.
अंग्रेजी में इसे Drumstick और horse-radish कहा जाता है और इसका बोटैनिकल नाम Moringa oleifera है.
इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में,
फली वात व उदरशूल में,
पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका, गठिया आदि में
जड़ दमा, जलोदर, पथरी, लिवर, प्लीहा रोग आदि के लिए; व
छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है.
आयुर्वेद में सहिंजन अथवा सहजन (drumsticks) को मधुर, वातघ्न, रुचिकारक, वेदनाशक, पाचक आदि गुणों का बताया गया है.
आईये जानते हैं, सहिंजन के आयुर्वेद में वर्णित 21 योगों को, जो कई रोगों व स्वास्थ्य में लाभकारी हैं…
सहिंजन, शीग्रू – फायदे और स्वास्थ्य लाभ
1 सहिंजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है
2 इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका , पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचाता है.
3 शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तुरंत चमत्कारी प्रभाव दिखता है,
4 मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं.
मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है
5 सहिंजन को अस्सी प्रकार के दर्द व 72 प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है
6 इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया , यूरिक एसिड, जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है.
7 सहिंजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है.
8 सहिंजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है.
9 इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हींग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है.
10 इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है.
11 इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है.
12 इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है.
13 इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है.
14 इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है.
मुनगा की जड़, पत्ते, छाल, फल – सभी लाभकारी
15 इसकी जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है.
16 इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सूजन ठीक होते है.
17 सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे.
18 सहिंजन के सेवन से टूटी हड्डियों में लाभ मिलता है.
अस्थिभंग शीघ्र ठीक होता है.
क्योकि दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन इसमें पाया जाता है।
19 सहिंजन के बीज से पानी को शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है।
पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल शुद्धिकरण एजेंट बन जाता है।
यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
20 कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहिंजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है।
यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है।
21 सहिंजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
सहिंजन, शीग्रू, मुनगा – क्या हैं लोक मान्यताएँ
ऐसी मान्यता है कि सहिंजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है।
इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है
और डिलवरी के बाद भी मां को कोई तकलीफ नहीं होती।
सहिंजन के Health Supplements
सहिंजन के गुणों की बढ़ती लोक्रियता के चलते इसका उपयोग health supplement के रूप में खूब प्रचलित हो गया है.
सेहत के प्रति सजग लोग Moringa के कैप्सूल्स, गोलियां व herbal पाउडर online स्टोर्स से मंगा कर नित्य सेवन करते हैं.
इसके सप्लीमेंट्स ऑनलाइन स्टोर्स से घर बैठे मंगाए जा सकते हैं.
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सारशब्द
सहजन का उपयोग हमें सेहतमंद रख कर कई रोगों से बचा सकता है।
सेंजना के पत्तों का साग , सूप, चटनी, व फलियों अथवा ड्रम स्टिक की सब्जी बना कर या इन्हें अन्य सब्जियों, दालों के साथ मिलाकर खाने से कई लाभ मिल सकते हैं।
हमें सहिंजन जैसी वनस्पतियों को अपनी जीवन शैली में अवश्य अपनाना चाहिए।