Vitamin C sources

Vitamin C – कितना ज़रूरी, कितना नहीं; भ्रांतियां और सच्चाई

Vitamin C एक महत्पूर्ण एंटीऑक्सीडेंट है.

लेकिन इसका तथ्यहीन गुणगान भी आपको आजकल लगभग हर लेख में मिल जाएगा.

बताया जायेगा कि इसे लेने से सामान्य जुकाम से लेकर कैंसर तक से बचाव हो जाता है.

बुढ़ापा नहीं आता वगैरह वगैरह.

कितना वज़न है इन सब दावों में?

कितना ज़रूरी है विटामिन C और क्या हैं इसके फायदे, नुक्सान, और क्या हैं इसके स्रोत, आईये जानते हैं।

Vitamin C – संक्षिप्त परिचय

विटामिन C को एस्कॉर्बिक एसिड (Ascorbic acid) और L-Ascorbic Acid भी कहा जाता है.

कभी कभी इसे ascorbate से भी संबोधित करते हैं.

इसकी खोज 1912 में की गयी, 1928 में इसे खाद्यानों से अलग किया गया और सबसे पहले सन 1933 से इसका निर्माण आरम्भ किया गया.

Vitamin C एक अहम पोषक तत्व है जिसका मुख्य कार्य कोशिकाओं की मरम्मत का है.

इसी कारण इसे एक उत्तम एंटीऑक्सीडेंट कहा जाता है जो कोशिकाओं की मुरम्मत कर उन्हें अकारण कालग्रस्त होने से बचाता है.

नतीजतन, यह हमारी शारीरिक क्रियाओं को चुस्त दुरुस्त रखने में सहायता करता है.

यह पानी में घुलनशील विटामिन है.

कितनी मात्रा रोज़ चाहिए

इस विटामिन की रोजाना मात्रा 90mg मात्रा व्यस्क पुरुषों के लिए और 75mg मात्रा महिलाओं के लिए निर्धारित मानी गयी है.

2000mg से अधिक की मात्रा हानिकारक मानी गयी है, हालाँकि बहुत सारे लोग इससे भी अधिक मात्रा को आराम से पचा लेते हैं.

सामान्य भारतीय शाकाहारी भोजन में यह मात्रा आसानी से प्राप्त हो जाती है.

धूम्रपान, मदिरापान करने वालो और तनावग्रस्त हालात में इसकी मात्रा दोगुनी लेनी चाहिए.

Vitamin C के प्रमुख स्रोत

विटामिन C लगभग हर शाक सब्जी में प्रचुरता में और अन्य कई आहारों में कमोबेश उपलब्ध रहता है.

आंवला (445mg),

अमरुद (228mg),

संतरा (138mg),

नीम्बू (129mg),

सब्जियों में शिमला मिर्च (1900mg),

सहिंजन (141mg),

सरसों का साग (130mg),

बथुआ (80mg),

टमाटर (18.9mg), 

हरे मसाले जैसे हरा धनिया (567mg),

हरी मिर्च (242mg), इत्यादि इसके प्रमुख स्रोत हैं.

फलों सब्जियों में Vitamin C- रोचक तथ्य

अमरुद में संतरे नीम्बू से अधिक Vitamin C पाया जाता है.

एक अमरुद लगभग दो संतरे या तीन नीम्बू के बराबर विटामिन C दे सकता है.

शिमला मिर्च की एक कटोरी सब्जी लगभग हफ्ते भर का Vitamin C दे देती है.

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टमाटर में इतना Vitamin C नहीं होता.

80mg पाने के लिए आपको लगभग 400 ग्राम टमाटर खाने पड़ेंगे.

हरी मिर्च में निसंदेह अधिक विटामिन C होता है लेकिन 80 mg पाने के लिए आपको इसकी लगभग 40 ग्राम मात्रा खानी पड़ेगी,

जो इसके तीखेपन के कारण असंभव हो सकता है.

क्या विटामिन C शरीर में रुक नहीं पाता?

घुलनशील होने के कारण Vitamin C शरीर में अधिक देर तक टिक नहीं पाता.

यह शरीर की सब कोशिकाओं को मिलने के बात मूत्र प्रणाली द्वारा त्याग दिया जाता है.

रक्त में उपलब्ध कुछ मात्रा को किडनियां बचा कर रख भी लेती हैं इमरजेंसी के लिए.

जब कुछ अवधि तक हमें यह आहार से न मिल पाए तो किडनी अपने भण्डार में से इसका वितरण करती रहती है,

और दोबारा मिलने पर फिर जमा कर लेती है.

कुछ अंगों विशेषकर ग्रंथियों को सही कार्यकुशलता के लिए, Vitamin C अधिकता में और हर समय चाहिए होता है.

इसलिए शरीर के अन्य भागों के विपरीत ये अंग विटामिन C का खूब सारा (सामान्य से 100 गुणा अधिक तक) भंडारण कर लेते हैं

और फिर धीरे धीरे उपयोग करते हैं.

ये अंग हैं Adrenal glands, Pituitary, Thymus, Corpus luteum, और Retina.

मस्तिष्क (Brain), स्प्लीन (Spleen), फेफड़े (Lungs), लिवर (Liver), थायरॉयड (Thyroid), पैंक्रियास (Pancreas), किडनी (Kidney) और  मुहं की लार ग्रंथियां (Salivary glands) इत्यादि कुछ ऐसे अन्य अंग हैं

जो 10 से 50 गुणा अधिक Vitamin C का भंडार अपने पास रख लेते हैं.

सामान्यत: विटामिन C को हमारा शरीर 70 से 95% तक अवशोषित कर लेता है.

अवशोषण की मात्रा इसकी आहारीय उपलब्धता पर निर्भर करती है.

यदि आपके आहार में इसकी अधिकता (1250mg या ज्यादा) हो जाए

तो अवशोषण घट कर 33% तक रह जाता है और ज़रूरत से अधिक मात्रा मूत्र द्वारा बाहर निकल जाती है.

यदि आहार से इसकी मात्रा कम मिले (200mg से कम) तो इसका अवशोषण 98% तक बढ़ जाता है.

तो फ़िक्र मत करिए कि आपके स्वास्थ्य को इसकी कम या अधिक मात्रा से कोई विशेष फर्क पड़ने वाला है.

विटामिन C की भ्रांतियां और तथ्य

ऐसा नहीं है कि अकेले vitamin C आपको हर रोग से निजात दे पाने में समर्थ हो.

आईये जानते हैं, विटामिन C सम्बंधित कुछ ऐसी ही भ्रांतियों और उनकी सच्चाई को.

कैंसर से बचाव? संदेहास्पद

कोकरेन रिव्यू (Cochrane review) जिसे दुनिया भर के शोध विज्ञान का स्टैण्डर्ड माना जाता है,

अपने 2013 के आकलन में लिखा है कि vitamin C  के फेफड़ों के कैंसर में उपयोगी होने के कोई पुख्ता सबूत नहीं पाए गए हैं. (1)

एक दूसरे बड़े शोध ने पाया कि Vitamin C की प्रोस्टेट कैंसर रोकने में कोई भूमिका नहीं मिली. (2)

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विटामिन C के गुदा कैंसर (Colorectal Adenoma) रोकने के प्रभाव पर दो शोध हैं जिनके परिणाम एक दूसरे से काफी मिलते हैं.

फर्क यह रहा कि एक नें इसे बिलकुल प्रभावकारी नहीं पाया, जबकि दूसरे ने बिलकुल कमज़ोर सबूत पाए.(3, 4)

2011 के एक शोध ने विटामिन C के breast कैंसर पर प्रभाव जांचे और पाया की विटामिन C इसे रोकने में प्रभावकारी नहीं था.

लेकिन एक इसी पर हुए एक अन्य शोध ने पाया कि विटामिन C ब्रैस्ट कैंसर के मरीजों का जीवन बढाने में लाभकारी हो सकता है. (5, 6)

सामान्य जुकाम से बचाव? नहीं

एक सामान्य अवधारणा है कि Vitamin C लेने से जुकाम नहीं होता.

पिछले 70 सालों से विटामिन C के इस गुण को जांचने के लिए बहुत सारे शोध भी हुए हैं,

जिन सब में ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला कि इसे लेने से जुकाम नहीं होता.

2012 में 11306 प्रतिभागियों पर अलग अलग 29 शोध हुए और लगभग सभी के परिणाम एक जैसे थे,

कि विटामिन C लेने से जुकाम को नहीं रोका जा सकता.

हाँ यदि जुकाम हो जाये और फिर यदि विटामिन C की उच्च मात्रा (1000mg प्रतिदिन) दी जाये तो जुकाम की अवधि थोड़ी घट ज़रुर जाती है. (7, 8)

ह्रदय रोग से बचाव? संदेहास्पद

2013 की एक वृहद् शोध विवेचना (Meta analysis of controlled trials) ने विटामिन C लेने पर

ह्रदय रोग (Myocardial Infarction) स्ट्रोक, Cardiovascular Mortality अथवा सब प्रकार के अन्य  ह्रदय रोग से बचाव के कोई भी सबूत नहीं पाए  (9)

लेकिन एक अन्य शोध विवेचना ने निष्कर्ष निकाला कि अधिक विटामिन C लेने से केवल स्ट्रोक की दर में कमी आ सकती है.(10)

44 शोधों की एक अन्य वृहद् शोध विवेचना ने परिणाम निकाला कि रोजाना 500mg की मात्रा लेने पर ह्रदय रोग का खतरा कम हो सकता है.(11)

आयु सम्बन्धी विकार? नहीं

सामान्य अवधारणा है कि विटामिन C आर्थराइटिस, स्मृतिभ्रंश (Dementia), मोतिया बिन्द, हाथों की कंपकपी (Alzheimer’s disease) जैसे आयु सम्बन्धी विकारों से बचाता है.

लेकिन सभी शोध एकमत हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं, कि विटामिन C लेने से इन रोगों से बचाव हो सके. (12, 13, 14, 15)

एक विशेष बात

बताये गए सभी शोधों के परिणाम का आधार Vitamin C के सप्लिमेट्स हैं.

शोध विज्ञानियों का एक बड़ा तबका अब इस बात से सहमत हो रहा है कि अलग अलग विटामिन्स के सप्लीमेंट्स लेने से कोई विशेष लाभ नहीं मिलता.

उनका ये मानना है कि एंटीऑक्सीडेंट विटामिन एक टीम में काम करते हैं न कि अकेले अकेले.

इसीलिये पूरे लाभ लेने के लिये,

विटामिन C के साथ साथ अन्य एंटीऑक्सीडेंट विटामिन्स जैसे A, D, E, K का होना भी ज़रूरी है

तभी हमें पूरा लाभ मिल सकता है.

ठीक वैसे ही है, जैसे फुटबॉल मैच के लिए पूरी टीम चाहिए होती है,

अकेले एक फिट खिलाड़ी से यह काम नहीं हो सकता.(16)

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