महिलाओं का एक बड़ा वर्ग मासिक धर्म विकृतियां, खून की कमी व प्रदर रोग इत्यादि गुप्त रोगों से ग्रसित रहता है.
आइये जानते हैं क्या हैं महिला रोगों के विशेष आयुर्वेदिक उपचार.
अज्ञानवश या लज्जावश वे अपनी पीड़ा को दर्शाने में संकोच करती हैं.
महिला रोगों के विशेष आयुर्वेदिक उपचार इन्हीं रोगों के लिए बने हैं, और यह लेख भी इन्ही पर केन्द्रित है.
ये शास्त्रोक्त योग आपको बाज़ार से उपलब्ध हो जायेंगे तथा दो नुस्खे आप घर पर ही बना सकती हैं.
आशा है बहनें इससे लाभ उठाएंगी.
महिला रोगों के विशेष आयुर्वेदिक उपचार
1 वैक्रांत योग
वैक्रान्त योग स्त्रियों का परम मित्र माना जाता है.
सौभाग्यवती स्त्रियों व कुमारिकाओं के लिये तो आशीर्वाद रूप ही है.
प्रजनन संस्थान (Reproductive System) एवं पूरी देह के लिये वैक्रान्त योग पौष्टिक, रसायन, शीतवीर्य, वात्पत्ति शामक तथा विषघ्न योग है.
इस योग के सेवन से गर्भाशय व बीजाशय के रोग और निर्बलता एकाध मास में ही दूर हो जाती है.
प्रेगनेंसी, lactation, बंध्या व प्रदरपीडिता, सबों के लिये सौम्य और निर्भय प्रयोग है.
मात्रा: 1-1 गोली दिन में दो बार दूध के साथ.
वैक्रांत योग में महंगी भस्मों का उपयोग किया जाता है, इसलिए यह महंगा भी होता है.
सामान्यतया वैक्रान्त योग के साथ रोग विशेष के अन्य योग भी दिए जाते हैं, जिससे लाभ अतिशीघ्र मिल जाता है.
जैसे प्रदर रोग (Leucorrhoea) में इसे प्रदर रोग की औषधि जैसे पत्रांगासव या अशोकारिष्ट इत्यादि के साथ देते हैं.
2 लक्ष्मणा लौह
यह योग स्त्रियों की गर्भाशय विकृति को नष्ट करता है.
गर्भाशय प्रदाह, मासिक धर्म समय पर ना आना, मासिक धर्म आने के समय कष्ट होना, मासिक धर्म बहुत कम आना, मासिक धर्म में नीला, काला, पीला या दुर्गन्धयुक्त रक्त आना, गर्भाशय में शूल चलना, गर्भाशय में भारीपन बने रहना इत्यादि विकार दूर होकर गर्भाशय शुद्ध बन जाता है.
गर्भाशय विकार से उत्पन्न पांडुता (Anemia), सिर दर्द, कटिपीड़ा (Uterine pain and cramps) आदि भी निवृत होकर शरीर सबल और सुंदर बन जाता है.
ये योग संतानोत्पत्ति कारक भी माना गया है.
मात्रा: 1 से 2 गोली जल, अशोकारिष्ट, या दूध के साथ दिन में दो बार.
3 पत्रांगासव
यह आसव वेदनायुक्त, उग्र श्वेत व रक्त प्रदर का नाश करता है एवं प्रदर के साथ उपद्रव के रूप में उत्पन्न बुखार, पांडु (Anemia), शोथ (wounds) अग्निमांद्य और अरुचि (Indigestion and Loss of appetite) को भी दूर करता है.
प्रदर में पतला और उष्ण स्राव अधिक होकर गर्भाशय शिथिल एवं फूला हुआ सा प्रतीत हो और शूल भी चलता हो, उसके लिये ये आसव अति हितकारक है.
इस असाव के साथ चन्द्रकला रस का सेवन करने से जल्दी लाभ मिलता है.
मात्रा: 30 मिलीलीटर, समान या दुगने पानी की मात्रा के साथ, दिन में दो बार.
महिला रोगों के विशेष आयुर्वेदिक उपचार – अन्य हितकारी घरेलू नुस्खे
4 रीठे (Soapnut or soapberry) की गिरी
इसके चूर्ण में समभाग गुड मिला कर जामुन जैसी वर्ती बना कर धारण करने से रुका हुआ मासिक धर्म आने लगता है.
पहले पीला लाल जल गिरता है, फिर रजस्राव होता है.
ये नुस्खा अनुभूत है, और आसान भी.
5 छोटी कटेली (Solanum xanthocarpum)
इसके बीजों का चूर्ण 6 माशे ( लगभग 700 mg) दिन में एक बार सुबह निवाये जल से तीन दिन देने से मासिक धर्म खुलकर साफ़ आ जाता है.
Contributed by: Dr. Rekha Gupta
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