दुनिया भर की सभ्यताओं में अंकुरित आहार का सेवन करना सदियों से चला आ रहा है. लगता है हमारे पूर्वज अंकुरित आहार के गुणों से पूरे वाकिफ थे.
सब्जियों पर अंधाधुन्ध कीटनाशकों (pesticides) के उपयोग से उत्पन्न घातक परिणाम जग जाहिर हैं.
एक सवाल उठता है कि यदि पालक, टमाटर, गोभी इत्यादि सभी साब्जियां विषों से भरी हैं…
तो फिर किन आहारों से फाइबर, पोषक विटामिंस, एंटीऑक्सीडेंटस व पाचन उपयोगी enzymes पाए जाएँ?
अंकुरित आहार ही एक ऐसा विकल्प है जो हमें विषाक्तता से तो बचाता ही है, साथ ही सुलभ और सस्ता भी है.
आईये जानते हैं, क्यों अंकुरित आहारों को शक्ति का भंडार (Powerhouse) कहा जाता है, व क्या हैं इनके लाभ….
अंकुरण – क्या है विशेष
हर बीज के भीतर पेड़ या पौधे का जीवन समाया रहता है.
इसमें वे सभी तत्व समाहित रहते हैं जो आगे चल कर पौधे का जीवन चलाने वाले होते हैं.
अंकुरण की क्रिया में एंजाइमस गतिविधि के कारण बीजों में जीवत्व आ जाता है जो हमारे शरीर के लिए भी लाभकारी बन जाता है.
इसी कारण अंकुरित बीजों को जीवित आहार (Living food) भी कहा जाता है.
अंकुरित आहार कई प्रकार के रोगों में लाभकारी होने के साथ−साथ शरीर को उचित पोषण भी देता है.
अंकुरण से बढ़ती है पौष्टिकता
अंकुरण क्रिया में बीज के सभी तत्व सक्रिय हो जाते हैं.
बीज में अनेक रासायनिक परिवर्तन आते हैं.
विटामिन्स की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है, साथ ही enzymes नए प्रकार के विटामिन्स का भी निर्माण करते हैं.
कुछ enzymes बीज में उपलब्ध मिनरल्स को प्रोटीन कोशिकाओं से जोड़ देते हैं जिससे ये हमारे शरीर में बड़ी आसानी से समाहित हो जाते हैं.
अंकुरण क्रिया में कुछ ऐसे तत्वों की मात्रा में भी कमी आती है जो शरीर के लिए हानिकारक या गरिष्ठ रहते हैं, जैसे कि ओलिगोसैकराइड्स.
इस लेख में देखिये क्यों कुछ आहार पाचन तंत्र के लिए भारी होते हैं.
अंकुरण क्रिया में बीजों में पाया जाने वाला स्टार्च, ग्लूकोज में; तथा फ्रक्टोज़, माल्टोज में बदल जाता है.
इससे इनका स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही एंजाइमस उत्पन्न होने के कारण वे सुपाच्य भी हो जाते हैं.
अंकुरित आहार से हमारा इक्यून सिस्टम भी मजबूत होता है.
उच्चत्तम पोषण की स्थिति (Best stage)
अलग अलग बीजों की अंकुरण प्रकृति व ऋतु प्रभाव से अंकुरण क्रिया 12 घंटे से 48 घंटे में आरंभ हो जाती है.
सब से पहले जड़ का अंकुरण होता है, जो इस बात का संकेत है कि बीज में एंजाइम क्रियाशील हो गए हैं.
अंकुरण आरम्भ होने से 5-7 दिन बाद अंकुरित आहार में सर्वोच्चतम पौष्टिकता उत्पन्न हो जाती है जब विटामिन्स, विशेषकर E व K अपने अधिकतम स्तर पर पहुँच जाते हैं.
साथ ही बीज तब बिलकुल नरम भी हो जाते हैं.
अधिकतम पौष्टिकता के लिये, अंकुरण आरम्भ होने के 5-7 दिन बाद ही अंकुरित आहार का उपयोग करना चाहिए.
उपयोगी बीज सामग्री (Seeds used)
अंकुरण के लिये अनाज, दालें, फलियों, सब्जियों व तिलहन के बीज उपयोग किये जा सकते हैं.
अनाज में गेहूं, जौ व ओट मुख्यत: उपयोग किये जाते हैं.
दालों में मूंग, मसूर, मोठ व उड़द का उपयोग किया जाता है.
फलियों में सोयाबीन, चना, मटर, लोबिया व राजमाह मुख्य हैं.
शाक सब्जिओं में मेथी, गोभी, मूली के अंकुरण इत्यादि का प्रचलन हैं
तिलहन में सरसों, सूरजमुखी व अलसी लिये जा सकते हैं.
विदेशों में अल्फ़ा अल्फ़ा, ब्रुस्सेल स्प्राउट्स, ब्रोक्कोली, प्याज़ इत्यादि के अंकुरण भी काफी लोकप्रिय हैं.
अंकुरण की विधि (How to make sprouts)
अंकुरण के लिए बीजों को अच्छी तरह धोकर किसी अन्य बर्तन में 10 से 12 घंटों के लिए भिगो दीजिये.
भिगोने के लिए इतना पानी जरूर डालें कि बीज पूरी तरह डूब जाएं.
10-12 घंटे बाद, डुबोये, भीगे हुए बीजों को साफ पानी से दोबारा धोकर सूती कपड़े की एक ढीली पोटली में टांग दें.
इस प्रकार से भीगे हुए बीजों का अंकुरण लगभग 24 घंटे में आरम्भ हो जाता है.
गर्मियों में ध्यान रखना जरूरी है कि लटकाई गई पोटली में नमी बनी रहे.
इसलिए बीच बीच उस पर पानी का छिड़काव करते रहें.
अंकुरण आरम्भ होने पर बीजों को पोटली से निकालकर किसी खुले बर्तन में रख कर फ्रिज के सबसे निचले हिस्से में रख दें; जहाँ तापमान अधिक ठंडा न हो.
चार या पांच दिन के बाद उपयोग में लायें.
अंकुरित आहार – उपयोग विकल्प (How to use ankurit sprouts)
अंकुरित बीजों को कच्चा खाना ही बेहतर है.
पकाने से उनके पोषक तत्व कम या नष्ट हो जाते हैं.
स्वाद के लिये, इनमें नमक, कालीमिर्च, धनिया, सिरका या नींबू आदि डाला जा सकता है.
इसे सलाद के रूप में भी ले सकते हैं.
Sprouts को हल्का मैश या स्टीम कर, दही मिलाकर, रायता बनाने का भी प्रचलन है.
यदि पकाना ही हो तो हल्की छोंक व भाप देकर उपयोग कर लेना चाहिए.
इस प्रकार की प्रक्रिया अंकुरण के नाश्ते के उपयोग के लिये की जाती है.
सारशब्द
शाक सब्जियों में pesticides की विषाक्तता से बचने के लिये अंकुरित बीज एक उपयोगी विकल्प है.