शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी (Vitamin D) एक बेहद महत्वपूर्ण विटामिन है
जिसका आपके शरीर की कई प्रणालियों पर बहुत बड़ा असर पड़ता है (1).
दूसरे विटामिनों की तरह काम करने की बजाए, विटामिन डी एक हार्मोन की तरह काम करता है
जिसके लिये आपके शरीर की प्रत्येक कोशिका में एक रिसेप्टर होता है, जो vitamin D को ग्रहण करने का कार्य करता है.
इस विटामिन को आपका शरीर खुद ही कोलेस्ट्रॉल से बनाता है, जब त्वचा पर सूरज की रोशनी पड़ती है
ये विटामिन कई खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है जैसे कि वसायुक्त मछली
और विटामिन D से संतृप्त किये गए घी तेल इत्यादि, जिनमें कृत्रिम रूप से इसे मिलाया जाता है.
लेकिन केवल आहार से ही विटामिन डी की जरूरत पूरी होना मुश्किल होता है.
इसकी रोज की निर्धारित मानक खुराक (RDI) आमतौर पर 400-800 आईयू के आसपास रखी गयी है,
लेकिन कई शोधों और विशेषज्ञों का मानना है कि हमारे शरीर को उससे भी ज्यादा जरूरत होती है,
उनके अनुसार हमें रोज़ 1000–4000 IU (25–100 micrograms) विटामिन D लेना चाहिए ताकि रक्त में इसकी उचित मात्रा बनी रहे.
कितनी व्यापक है यह समस्या
विटामिन डी की कमी आजकल बहुत व्यापक हो गयी है.
ऐसा समझा जाता है कि दुनिया भर में लगभग 100 करोड़ लोगों के रक्त में विटामिन डी का स्तर जरूरी मात्रा से कम है (2).
2011 के एक अध्ययन के अनुसार, अमेरिका के 41.6% वयस्कों में इस विटामिन की कमी पाई गयी थी.
यह संख्या स्पेनिश और भारतीय लोगों में 69.2% तक और अफ्रीकी-अमेरिकियों में और भी अधिक, 82.1% तक है (3).
यदि दुनिया के कुछ देश इसकी कमी से बचे हुए हैं तो वे हैं…
जिनके यहाँ मछली का भरपूर उपयोग किया जाता है
जैसे कि जापान, कोरिया, चीन, और झीलों समुद्र तट से लगे यूरोपीय, एशियाई देश वगैरह.
भारत में भी विटामिन डी की कमी एक बड़े स्तर पर कहर बरपा रही है,
विशेषकर शहरी और शाकाहारी जनसँख्या पर.
किन्हें हो सकती है विटामिन डी की कमी
ये हैं, विटामिन डी की कमी के लिए 7 सबसे बड़े कारक:
1 त्वचा का सांवलापन
सांवले लोगों की अपेक्षा गोरे लोगों की त्वचा सूर्य की रौशनी का बेहतर अवशोषण कर लेती है.
लेकिन यह इतना बड़ा कारक नहीं है क्योंकि
सांवले, काले लोग वहां पाये जाते हैं जहाँ सूर्य की रौशनी भरपूर मिलती है.
जैसे कि दक्षिण भारत, अफ्रीका इत्यादि के लोग.
2 बढ़ी हुई उम्र
जैसे जैसे हमारी उम्र बढती जाती है, वैसे वैसे हमारी विटामिन डी की अवशोषण क्षमता घटती जाती है.
3 अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होना
आपने देखा होगा, मोटे लोग धूप नहीं सह पाते हैं क्योंकि मोटापा होने से धूप के सेवन की क्षमता क्षीण हो जाती है.
परिणामस्वरूप, शरीर में विटामिन डी की कमी भी आ जाती है.
4 मछली या डेयरी उत्पाद ना खाना
मछली प्रजाति vitamin D का सर्वोत्तम स्रोत होता है.
जिनके आहार में मछली का समावेश रहता है, उन्हें सामान्यत: इस विटामिन की कमी नहीं होती.
इसलिए समुद्र और नदियों के आसपास रहने वाले लोगों, जो मछली का नियमित सेवन करते हों, में विटामिन D की कमी नहीं मिलती.
शाकाहारी आहार में केवल दूध, माखन, पनीर से ही यह विटामिन मिल पाता है,
और वह भी बड़ी ही कम मात्रा में.
5 सूरज की कम रौशनी वाले इलाके
जो लोग भूमध्य, कर्क और मकर रेखा के पास रहते हैं, उन्हें लगातार सूरज की रौशनी से भरपूर विटामिन डी मिलती रहती है,
जिससे उनके शरीर में इसकी कमी होने की संभावना कम होती है,
बशर्ते वे पर्याप्त धूप का अवशोषण करें.
6 सनस्क्रीन क्रीम का उपयोग
गोरे बने रहने के लिए आजकल सनस्क्रीन क्रीमों का उपयोग भी धड़ल्ले से हो रहा है.
इन क्रीमों के उपयोग से कई दूरगामी खतरे पैदा हो रहे हैं
जिनमें से vitamin d की कमी भी एक बड़ा कारण बन रही है.
7 ज्यादातर घर, दफ्तर के अंदर रहना
यदि आप दिन भर घर या कार्यालय से बाहर नहीं निकलते हैं.
सूर्य की धूप नहीं ले पाते हैं,
तो भी विटामिन डी की कमी हो सकती है.
Vitamin D की कमी के लक्षण
अधिकतर लोगों को इसकी कमी का पता ही नहीं चलता,
क्योंकि इनके लक्षण धीरे धीरे पनपते हैं जिन पर अक्सर लोगों का ध्यान नहीं जाता.
और आप इन्हें आसानी से नहीं पहचान पाते हैं,
भले ही इस विटामिन की कमी से हमारे जीवन पर बड़ा खराब और नकारात्मक असर पड़ रहा हो.
ये हैं, विटामिन डी की कमी की पहचान के 8 सबसे बड़े लक्षण:
1 बार बार बीमार होना या संक्रमण का शिकार होना
विटामिन डी की सबसे जरूरी भूमिकाओं में से एक है, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखना.
ताकि आपका शरीर वायरस और बैक्टीरिया से लड़ सके जो बीमारियों के बड़े कारण होते हैं.
विटामिन डी उन कोशिकाओं से सीधे संपर्क करता है जो संक्रमण से लड़ने के लिए जिम्मेदार होती हैं (4).
यदि आप बार बार सर्दी, खांसी या फ्लू के शिकार होते हैं तो हो सकता है विटामिन डी की कमी एक मुख्य कारण हो.
कई बड़े शोध अध्ययनों ने सर्दी लगने, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और निमोनिया जैसी
सांस की नली के संक्रमण वाली बीमारियों और विटामिन डी की कमी के बीच एक सीधा सम्बन्ध पाया है (5, 6).
अध्ययनों से पता चला है कि 4,000 आईयू तक विटामिन डी की खुराक लेने से सांस की नली के संक्रमण का खतरा कम हो सकता है (7, 8, 9).
एक शोध में फेफड़ों की जीर्ण बीमारी सीओपीडी (Chronic obstructive pulmonary disease) से त्रस्त लोगों का एक अध्ययन किया गया,
जिनमें विटामिन डी की बहुत ज्यादा कमी थी.
पाया गया कि एक साल तक विटामिन डी की उच्च मात्रा की खुराक दिए जाने पर उन्होंने काफी अच्छा महसूस किया (10).
2 थकान और सुस्ती महसूस करना
यदि आप थका हुआ महसूस करते रहते हैं तो उसके कई कारण हो सकते हैं.
जिनमें से एक बड़ा कारण विटामिन डी की कमी भी हो सकती है.
दुर्भाग्यवश, लोग इस कमी के कारण को अक्सर अनदेखा कर देते हैं.
कई अध्ययनों से पता चला है कि रक्त में vitamin d की कमी भी हमारे थकने का कारण बन जाती है
जिसकी वजह से जीवन में हमें नकरात्मक प्रभाव मिलते हैं. (11, 12).
एक केस स्टडी में, एक महिला जिसे लम्बे समय से दिन में थकान और सिरदर्द की बीमारी के लक्षण थे,
उनके खून में विटामिन डी का स्तर केवल 5.9 एनजी प्रति मिलीलीटर पाया गया था.
यह बहुत ही कम है, क्योंकि 20 एनजी / एमएल से कम का स्तर का मतलब है, शरीर में विटामिन की अत्यंत कमी.
जब उस महिला को विटामिन डी सप्लीमेंट (supplement) दिया गया,
तो उसका स्तर 39 एनजी / मिलीलीटर तक बढ़ गया और वह ठीक हो गयी. (12)
हालांकि, खून का स्तर (haemoglobin) जो बहुत कम नहीं हो पर सामान्य से नीचे हो,
वह भी हमारी ऊर्जा के स्तर को कम कर सकता है.
एक बड़े शोध अध्ययन ने युवा महिलाओं में विटामिन डी और थकान के बीच संबंध को समझने की कोशिश की.
उस अध्ययन में पाया गया कि 20 ng/ml या 21-29 ng/ml से कम खून के स्तर वाली महिलाओं ने
30ng/ml से अधिक खून के स्तर वाली महिलाओं की तुलना में थकान की अधिक शिकायतें की थीं.
और तो और, शोधकर्ताओं ने पाया कि 89% नर्सों में भी इस प्रकार की कमी दर्ज की गई (14).
3 हड्डी और पीठ का दर्द
विटामिन डी कई तरीकों से आपकी हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है.
यह आपके शरीर को कैल्शियम अवशोषित करने में मदद करता है.
हड्डियों और पीठ के निचले हिस्से का दर्द हमारे रक्त में विटामिन डी के कम होने का एक लक्षण हो सकता है.
कई बड़े शोध अध्ययनों में विटामिन डी की कमी और पुरानी पीठ के दर्द का आपस में जुड़ा हुआ पाया गया है (15, 16, 17).
एक अध्ययन ने अधिक उम्र की 9,000 महिलाओं में विटामिन डी के स्तर और पीठ दर्द के बीच संबंध की जांच की.
शोधकर्ताओं ने पाया कि इस विटामिन की कमी वाले लोगों को गंभीर पीठ दर्द होने की अधिक संभावना थी,
जो उनके रोज के कामों को करने की उनकी क्षमताओं को सीमित कर रहा था (17).
एक नियंत्रित अध्ययन में पाया गया कि खून के सामान्य स्तर वाले लोगों की तुलना में
विटामिन डी की कमी वाले लोगों को उनके पैरों, पसलियों या जोड़ों की हड्डी का दर्द होने की संभावना लगभग दोगुणा हो जाती है. (18).
4 अवसाद या डिप्रेशन (Depression)
लगातार का डिप्रेशन भी विटामिन डी की कमी का संकेत हो सकता है.
अध्ययनों में, शोधकर्ताओं ने खास तौर पर बड़ी उम्र के लोगों में अवसाद के लिए विटामिन डी की कमी को जिम्मेदार पाया है.
एक विश्लेषण में, 65% शोध अध्ययनों ने कम खून के स्तर और अवसाद के बीच संबंध पाया.(19, 20).
कुछ नियंत्रित अध्ययनों से पता चला है कि कमजोर लोगों को विटामिन डी देना अवसाद में सुधार करने में मदद करता है,
जिसमें जाड़े और बरसात के महीनों के दौरान होने वाली मौसमी अवसाद की स्थिति भी शामिल है (21, 22).
5 घाव चोटों का जल्दी ठीक ना होना
यदि सर्जरी या चोट के बाद घाव बहुत धीमा भरता है तो ये एक संकेत हो सकता है कि आपके विटामिन डी का स्तर बहुत कम है.
एक टेस्ट ट्यूब (test tube) अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि विटामिन D उन यौगिकों के उत्पादन को बढ़ाता है
जो घाव के ठीक होने के लिए नई त्वचा बनाने के लिए जरूरी हैं (23).
ऐसे लोगों पर एक अध्ययन किया गया जिनकी दांतों की सर्जरी हुई थी
और पाया गया कि इलाज के दौरान कई बार विटामिन डी की कमी से घाव जल्दी नहीं भरे थे(24).
विटामिन डी की भूमिका को सूजन को कम करने और इन्फेक्शन (infection) को रोकने के लिए अच्छे इलाज का एक जरूरी हिस्सा माना गया है.
एक विश्लेषण में ऐसे रोगियों को देखा गया जिनको मधुमेह की वजह से पैरों में इन्फेक्शन (infection) हो गया था.
पाया गया की जिन रोगियों में विटामिन डी की कमी थी उनको सूजन होने की संभावना अधिक थी(25).
दुर्भाग्यवश, घाव के ठीक होने में विटामिन डी की खुराक के प्रभावों के बारे में बहुत कम शोध उपलब्ध हैं.
फिर भी, एक केस स्टडी (case study) में पाया गया कि जब जांघों में अल्सर वाले ऐसे रोगी जिनमे विटामिन डी कम था,
का इलाज विटामिन डी की मात्रा बढ़ा कर किया तो अल्सर का आकार औसतन 28% कम हो गया था (26).
6 हड्डियों का क्षरण
विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण और हड्डी के उपापचय में एक बड़ी जरूरी भूमिका निभाता है.
हड्डी के जल्दी टूटने या गलने से बचने के लिए बहुत से पुराने लोग मानते हैं कि हमें अधिक कैल्शियम लेना चाहिए.
लेकिन, ये कमी विटामिन डी की भी हो सकती है.
कम हड्डी खनिज घनत्व (Low bone mineral density) एक संकेत होता है कि हमारी हड्डियों ने कैल्शियम और अन्य खनिजों को खो दिया है.
इस तरीके से फ्रैक्चर का खतरा बड़ी उम्र के लोगों, खास तौर पर महिलाओं को ज्यादा होता है.
रजोनिवृत्ति या पोस्टमेनोपोज वाली 1,100 से अधिक मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं के एक शोध अध्ययन में,
शोधकर्ताओं को विटामिन डी के कम स्तर और हड्डियों के कम घनत्व (Low bone mineral density) के बीच एक मजबूत संबंध मिला (27).
लेकिन, एक नियंत्रित अध्ययन में पाया गया कि विटामिन डी की कमी वाले महिलाओं को ज्यादा विटामिन डी देने से भले ही उनके रक्त स्तर में सुधार हुआ
परन्तु उनकी बोन मिनरल डेंसिटी (bone mineral density) में कोई सुधार नहीं हुआ (28).
ये अध्ययन कुछ भी कहें, पर्याप्त विटामिन डी का सेवन और खून का स्तर एक सही मात्रा में बनाये रखना,
हड्डी के भार को सुरक्षित रखने और को फ्रैक्चर के खतरे से बचने के लिये एक सही कदम हो सकता है.
इस लेख में पढ़िये क्यों हो जाती हैं हड्डियाँ कमज़ोर
7 बालों का झड़ना
बालों के झड़ने के लिए अक्सर तनाव को जिम्मेदार ठहराया जाता है, जो निश्चित रूप से एक आम कारण है.
लेकिन, जब बाल बहुत ज्यादा झड़ते हैं, तो यह बीमारी या पोषक तत्वों की कमी के कारण भी हो सकता है.
महिलाओं में बालों के झड़ने को कम विटामिन डी के स्तर से जोड़ा गया है, हालांकि आज तक इस पर बहुत ही कम शोध हुए हैं (29).
एलोपेसिया एरिएटा (Alopecia areata) एक ऑटोम्यून्यून बीमारी है जिसमें सिर और शरीर के अन्य हिस्सों से बाल बहुत ज्यादा झड़ने लगते है (30).
कम विटामिन डी के स्तर अलोपेसिया एरियाटा (alopecia areata) जुड़े होते हैं और यह रोग को बढ़ावा देने वाले बड़े कारण हो सकते हैं (31, 32, 33).
अलोपेसिया वाले लोगों में एक अध्ययन से पता चला है कि विटामिन डी के कम स्तर को और बालों के बहुत ज्यादा झड़ने से जोड़ा जा सकता है (33).
एक केस स्टडी में, एक युवा लड़के को जिसके विटामिन डी रिसेप्टर में दोष था, सिंथेटिक रूप में विटामिन डी लगाए जाने पर बालों के झड़ने का सफलतापूर्वक इलाज किया गया (34).
अगर आपके बाल ज्यादा झड़ते हैं तो पढ़िये ये लेख
8 मांसपेशियों में दर्द
अक्सर ये बताना बहुत कठिन होता है की मांसपेशियों में दर्द का कारण क्या हो सकता है.
इस बात के बहुत से उदाहरण हैं कि विटामिन डी की कमी बच्चों और बड़ों में मांसपेशी के दर्द का कारण हो जाती है (35, 36, 37).
एक अध्ययन में, पुराने दर्द वाले 71% लोगों में विटामिन डी की कमी पाई गयी थी (37).
विटामिन डी रिसेप्टर (receptor) तंत्रिका कोशिकाओं में मौजूद होते हैं जिन्हें नोसिसेप्टर्स (nociceptors) कहा जाता है,
ये दर्द भी महसूस करने का काम भी करते हैं.
चूहों पर किये गए एक अध्ययन से पता चला कि मांसपेशियों में नोसिसेप्टर्स में उत्तेजना की कमी के कारण दर्द और संवेदनशीलता बढ़ जाती है (38).
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि विटामिन डी की भरपूर खुराक लेने से कमजोर लोगों में कई प्रकार के दर्द कम हो सकते हैं (39, 40).
विटामिन डी की कमी वाले ऐसे 120 बच्चों का एक अध्ययन किया गया जिनका दर्द बढ़ रहा था,
पाया गया कि विटामिन की एक खुराक में औसतन 57%दर्द कम हुआ था (40).
सारशब्द
विटामिन डी की कमी आश्चर्यजनक रूप से बहुत ज्यादा लोगो को होती है,
पर फिर भी अधिकांश लोग इससे अनजान रहते हैं.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अगर किसी बीमारी के लक्षण अक्सर हलके या सामान्य से अलग होते हैं,
तो यह जानना मुश्किल है कि वो बीमारी कम विटामिन डी कारण है या उसका कुछ और कारण है.
अगर आपको कभी लगे कि आपको विटामिन डी की कमी हो सकती है,
तो यह जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर से बात करें और रक्त में विटामिन डी के स्तर की जांच करा लें.
अच्छी बात यह है कि, विटामिन डी की कमी आमतौर पर आसानी से ठीक की जा सकती है.
कुछ आसान तरीके जिनसे आप भरपूर विटामिन-डी ले सकते हैं,
वो हैं –
सूर्यदेव की रौशनी का नियमित सेवन,
अधिक विटामिन-डी वाले आहार जैसे फैटी मछली, D विटामिन संतृप्त डेयरी और वसा उत्पाद.
या फिर विटामिन d के supplement लेना.
सही आहार और इलाज से इस विटामिन की कमी को ठीक करना आसान है, जिससे आपके स्वास्थ्य को कई लाभ अवश्य मिलते हैं.
Great article
Nice information, thanks
50 years ke bad vitamin d ki problem jyada hoti hai. Good to read.
सुंदर ज्ञानवर्धक लेख है. जानकारी के लिए धन्यवाद.
You are doing a great job in Hindi. Keep it up. Thanks