कितना नमक खाना चाहिये नमक के फायदे और नुकसान namak ke fayde nuksan

कितना नमक खाना चाहिये? जानिये शोध प्रमाणित पूरी सच्चाई

आजकल स्वास्थ्य और खानपान सम्बन्धी सलाह लगभग हर किसी से मिल जाती है. कितना नमक खाना चाहिये, इस पर भी खूब भ्रामक प्रचार आपको सोशल मीडिया में मिल जायेगा.

रिश्तेदार हों, मित्र हों या फिर सोशल मीडिया फेसबुक इत्यादि पर अजनबी,

सभी कहते मिल जायेंगे…..कि नमक ज़हर है.

नमक मत खाओ या बहुत कम खाओ.

नमक खाने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, और आपको हार्ट अटैक हो सकता है.

इत्यादि, इत्यादि.

आईये जानते हैं कितना भ्रामक है यह सब, हमें कितना नमक खाना चाहिये.

इस लेख में जानेंगे, क्या हैं कम नमक खाने के शोध प्रमाणित 5 नुकसान.

यह भी जानेंगे कि नमक नहीं खाने के परिणाम कितने घातक हो सकते हैं.

और कैसे नमक सूजन, हड्डियों का टूटना और मृत्यु तक से हमें बचाता है.

कम नमक खाने के खतरे – दूरगामी परिणाम

तीन दशकों से जहाँ एक तरफ कहा जाता रहा कि अधिक नमक से ब्लड प्रेशर बढ़ता है जो दिल के रोगों का एक मुख्य कारण है.

तो दूसरी तरफ कई शोधों ने पाया कि अधिक नमक से नहीं, कम नमक खाने से दिल के दौरे अधिक पड़ते हैं.

Journal of the American Medical Association  के एक अध्यन ने 2011 में साबित किया

कि कम नमक खाने वालों में स्ट्रोक, हार्टअटैक और मृत्यु की अधिक सम्भावना रहती है.

इस शोध ने पाया कि जो लोग नमक नहीं खाते थे या 5.99 ग्राम से कम सोडियम (लगभग दो छोटे चम्मच) खाते थे,

उन्हें अधिक गंभीर और जानलेवा परिणाम भुगतने पड़ते हैं.

बजाये उनके जो 12 ग्राम सोडियम (लगभग चार चम्मच) रोज़ लेते थे (1)

कम नमक खाने के नुकसान kam namak khane ke fayde nuksan in hindi namak kitna khana chahiye namak kitna khaye

एक ग्राम नमक में 387.6 mg सोडियम होता है.

इस हिसाब से 5.99 ग्राम सोडियम पाने के लिए आपको 15.45 ग्राम (चाय के दो चम्मच से थोडा अधिक) नमक तो खाना ही चाहिए.

और 12 ग्राम सोडियम का मतलब है चार पांच चम्मच के बीच की मात्रा.

कम नमक खाने के शोध प्रमाणित 5 नुकसान

जब हम नमक नहीं खाते हैं या रोज़ दो चम्मच से कम खाते हैं तो शरीर में सोडियम की कमी हो जाती है, जिसे hyponatremia कहते हैं.

Hyponatremia हानिकारक होता है और कई बार जानलेवा भी बन जाता है.

1 कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाती है कम नमक से

कम नमक से रक्त में होर्मोन्स और लिपिड बढ़ने लगते हैं.

2012 में American Journal of Hypertension में प्रकाशित एक अध्ययन ने पाया कि कम नमक खाने वाले लोगों में रेनिन (renin), कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर सामान्य से अधिक पाए जाते हैं. (2)

शोधकर्ताओं ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि आबादी के व्यापक स्तर पर कम नमक खाने के फायदे कम और नुक्सान बहुत अधिक हो जाते हैं.

2 नमक की कमी है डायबिटीज के लिए घातक

कम सोडियम लेने का टाइप 2 डायबिटीज के घातक परिणामों से सीधा सम्बन्ध पाया गया है.

2011 के एक अन्य शोध ने दिखाया कि कम नमक लेने वाले डायबिटीज मरीजों की ह्रदय सम्बन्धी रोगों से जल्दी मृत्यु हो जाती है.  (3)

एक अन्य हार्वर्ड के 2010 के अध्ययन ने नमक की कमी और इन्सुलिन संवेदनशीलता में सीधा सम्बन्ध पाया.

मतलब यह कि कम नमक इन्सुलिन संवेदनशीलता घटाता है जबकि अधिक नमक इसकी कार्यकुशलता बढ़ा देता है.

इन्सुलिन संवेदनशीलता की कमी को डायबिटीज होने से पहले का चरण माना जाता है. (4)

3 कम नमक है शारीरिक श्रम के लिए खतरा

शारीरिक श्रम करने वालों के लिए कम नमक लेना बेहद हानिकारक हो सकता है.

CJASN (Clinical Journal of the American Society of Nephrology) के जनवरी 2007 अंक में प्रकाशित एक अध्ययन ने पाया कि Boston Marathon के 488 में से 13% एथलीट hyponatremia से ग्रस्त पाए गए.

यह वे एथलीट थे जो कम नमक खाते थे.(5)

अन्य कई शोधों ने यह संख्या 29% तक भी पायी. (6789)

सोडियम की कमी वाले इन लोगों ने सुस्ती, मन कच्चा होने, उलटी करने जैसा लगने के लक्षण बताये थे.

ये वे लक्षण हैं जो दिमाग की सूजन, ह्रदय की सूजन को इंगित करते थे.

और यह लक्षण अचानक मृत्यु के मुख्य कारण भी माने जाते हैं.(10)

इसलिए कम नमक खाने से परिश्रम करने वालों को जान के लाले भी पड़ सकते हैं.

यह इसलिए होता है क्योंकि परिश्रम से पसीना निकलता है और पसीने के रास्ते सोडियम भी अधिक मात्रा में शरीर से बाहर निकल जाता है.

4 नमक की कमी – बुजुर्गों के लिए खतरनाक

खाने में  नमक की कमी बुजुर्गों के लिए विशेष हानिकारक होती है.

उन्हें hyponatremia के कारण अपना संतुलन बनाने में कठिनाई होती है.

जिस कारण वे डगमगा कर अधिक गिरने लगते हैं और उनकी पहले से ही कमज़ोर हो चुके कूल्हे और हड्डियाँ टूट जाती हैं.

नमक की कमी से उनकी संज्ञानात्मक (cognitive) बुद्धि भी कमज़ोर हो जाती है,

और वे अन्य व्यक्तियों और वस्तुओं को पहचानने में कमज़ोर हो जाते हैं.  (1112)

हमारे बुज़ुर्ग जनसँख्या का ऐसा वर्ग हैं जिन्हें कभी भी नमक की कमी नहीं होने देनी चाहिए.(13)

5 कम नमक – ब्लड प्रेशर में भी लाभ नहीं

2011 के एक अन्य शोध ने एक और बड़ा खुलासा किया.

पाया गया कि बेसलाइन (15.45 ग्राम) से कम नमक लेने पर हाइपरटेंशन, systolic pressure में ऐसा कोई फर्क नहीं आता

जिससे यह कहा जाए कि कम नमक से मृत्युदर कम हो जाती है या इन रोगों से बचने की सम्भावना बेहतर जाती हो (14).

कैसे फैली नमक कम खाने की अफवाह

1970 के दशक में Lewis Dahl ने अपना एक अध्ययन पेश किया.

उन्होंने दावा किया कि अधिक नमक खाने से रक्तचाप बढ़ जाता है (15)

Lewis Dahl ने यह भी कहा था कि दुनियाभर की वे सभ्यताएं जो नमक कम खाती हैं उन्हें high BP नहीं होता और जो सभ्यताएं अधिक खाती हैं उनमें हाई BP का रोग भी अधिक होता है(16).

उस समय किसी ने बारीकी से उनके शोध के तौर तरीके पर ध्यान नहीं दिया.

और एक भेडचाल सी चल पड़ी कि नमक कम खाओ नहीं तो BP बढ़ जायेगा.

दुनिया भर के डॉक्टरों ने अपने मरीजों को यह बताना चालू कर दिया कि नमक में कमी करो नहीं तो BP बढ़ जायेगा.

यह सब अब गलत साबित हो गया है.

और आपको कोई ज़रूरत नहीं है कम नमक खाने की.

कैसे खुली पोल – Gary Taubes का योगदान

1998 में, प्रसिद्द विज्ञानी Gary Taubes ने प्रतिष्ठित Science Magazine में एक लेख लिखा था.

लेख में उन्होंने नमक कम खाने के विवादास्पद शोध के कारण बदली गयी स्वास्थ्य जननीति की आलोचना की थी. (17)

उन्होंने लिखा था कि कैसे Dahl की विवादास्पद खोज कई सारे अन्य शोधों पर भारी पड़ रही थी, और डॉक्टर लोग बिना किसी सत्यापन के अपने मरीजों को कम नमक की सलाह देकर लोगों को अकाल मृत्यु का ग्रास बना रहे थे.

लेख में उन्होंने सरकारों को सलाह दी थी कि सामान्य जन मानस को इस अफवाह से बाहर लाना चाहिए.

नहीं तो नमक की कमी के कारण आम जनसँख्या का नुक्सान होता रहेगा.

उन्होंने यह लेख 1988 की Intersalt Study नामक समूह के परिणाम आने के बाद लिखा था.

क्योकि Intersalt Study समूह ने ही यह पाया था कि नमक खाने की मात्रा का ब्लड प्रेशर से कोई सम्बन्ध नहीं होता है.

Lewis Dahl के शोध की असलियत

Intersalt Study की पड़ताल में यह सामने आया था कि Lewis Dahl के शोध का निष्कर्ष तर्कहीन मानकों पर आधारित था.

उनके शोध में चूहों को इतना अधिक नमक खिलाया गया था जिसकी मानव शरीर मात्रा 500 ग्राम (अथवा आधा किलो) प्रतिदिन बनती थी.

यानि हमारी सामान्य नमक खाने की मात्रा से 50 गुणा ज्यादा (1819, 20).

अब आप ही सोचिये,

यदि आपको रोज़ आधा किलो नमक खिलाया जाए तो आपकी क्या हालत बनेगी.

यह तो गनीमत थी कि चूहों का BP ही बढ़ा; इतनी अधिक मात्रा से मृत्यु भी हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं.

Lewis Dahl का दूसरा तर्क भी ढेर हो गया जिसमें उन्होंने अफ्रीका के जंगल में रहने वाले आदिवासियों का हवाला देकर कहा था, कि उन्हें BP इसलिए नहीं होता क्योंकि वे नमक नहीं खाते थे.

हकीकत यह थी ये आदिवासी शिकार करते थे और अपने नमक की खुराक की भरपाई मारे गए जानवरों के मांस और रक्त से ही पूरी कर लेते थे.

एक तथ्य ये भी सामने आया कि दुनिया में सबसे अधिक नमक एस्किमो खाते हैं.

क्योकि वे हर चीज़ को, जिसे उन्हें कई दिनों तक बचा कर रखना पड़ता है, नमक में दबा देते हैं या फिर नमक के तेज़ घोल में डुबा कर रख देते हैं.

हम भी जब सब्जियों फलों को लम्बे समय तक बचा कर उपयोग करना चाहते हैं तो हम उनका आचार या मुरब्बा बना देते हैं.

एस्किमो जनजाति के लोगों की जलवायु अत्यंत ठंडी और बर्फीली रहती है,

इसलिए वहां ठण्ड के कारण आचार मुरब्बे नहीं बनाये सकते.

इसलिये वे अपने आहार को तेज़ नमक के घोल, जिसे Brine कहा जाता है, में रख कर परिसंचित करते हैं.

नमक खाने से क्या होता है, नमक न खाने के नुकसान, नमक खाने के फायदे और नुकसान

यूरोप में भी सब्जियों, फलों के डिब्बाबंद अचार  नमक के ब्राइन में ही मिलते हैं.

आज का परिदृश्य

आज 2017 में जब नमक के शोध के इतने परिणाम सामने आ चुके हैं,

ज़रुरत से कम नमक खाने का मतलब है – अपनी सेहत से खिलवाड़ करना.

यदि 1988 की Intersalt Study दबी रहती और 1998 में Gary Taubes सरकारों को फटकार नहीं लगाते तो आज भी नमक की कमी से लाखों लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त हो रहे होते.

यह लेख मैंने इसलिए लिखा है क्योकि आज भी फेसबुक, WhatsAppजैसे सोशल मीडिया मंचों पर कई लोग नमक को सफ़ेद ज़हर जैसे नाम से लिखते हैं.

पढ़कर पता चलता है कि यह लोग सच्चाई से कितने दूर हैं.

और अभी भी वही लिख रहे हैं जिसे पूरी दुनिया नकार चुकी है.

एक विशेष बात और, आयुर्वेद में नमक को अमृत जैसी उपाधियाँ दी गयी हैं.

इसे कई औषधीय गुणोंयुक्त माना गया है.

बहुत ही कम परिस्थितियों में नमक का सेवन नियंत्रित करने की ज़रूरत होती है, जैसे कि ह्रदय, फेफड़ों में पानी भर जाने के रोग, किडनी अक्षमता इत्यादि.

एक दिन में कितना नमक खाना चाहिए

नमक खाने की मात्रा की उचित सीमा हमारी सहज प्रवृति अपने आप निर्धारित कर लेती है.

जब हम खाना खाते हैं तो सामान्य तौर पर आपका सहज भाव ये बता देता है कि नमक कम है या तेज़.

यदि खाने में नमक तेज़ लगे तो आप दाल कम और चपाती चावल अधिक खायेंगे, और कम लगे तो इसके विपरीत करेंगे.

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हमारे रक्त में सोडियम की मात्रा 135 mmol/L तक सामान्य मानी जाती है.

यदि अधिक हो जाए तो किडनियां अपने आप इसे बाहर कर देती है.

लगभग तीन सदियों से; दुनिया भर में, प्रतिदिन नमक खाने की मात्रा डेढ़ से तीन चम्मच ही रही है.

जो स्वस्थ्य व्यक्ति और किसी भी रोग के लिए बिलकुल उचित मात्रा है.(21)

सारशब्द

हमारे शरीर को नमक की भूख प्राकृतिक रूप से लगती है.

इसलिए जितना मन करे उतना नमक खाईये.

दूसरे शब्दों में, आपको नमक से वंचित रहने की कोई ज़रूरत नहीं है;

न ही नमक की भूख को कभी दबाना चाहिए !!!





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5 thoughts on “कितना नमक खाना चाहिये? जानिये शोध प्रमाणित पूरी सच्चाई”

  1. धन्यवाद मान्यवर, आपके लेख में दिए सभी शोधपत्र मैंने पढ़े.

    पढने के बाद पता चला कि कैसे कुछ लोग केवल तर्कहीन अफवाहें फैला कर जनता को पिछले कुछ दशकों से बेफकूफ बना रहे थे, और हम सब भी बिना सोचे समझे उनकी बातें मान रहे थे.

    हमारे भारत में भी राजीव दीक्षित जैसे लोगों ने भी भारी भ्रमजाल फ़ैलाने का काम किया और लोग बिना सोचे समझे उनकी बातें मानने लगे.

    आयुर्वेद में नमक को जीवनदाई रसायन बताया गया है जिसके बिना हमें कई रोग हो सकते हैं.

    कम नमक खाने के कारण मेरे कई बुज़ुर्ग मरीजों को चक्कर, बेहोशी आने के कारण अस्पताल में भरती होना पड़ा, जहाँ उन्हें नमक (Sodium chloride) की ड्रिप लगाने के बाद ही राहत मिलती पाई गई.

    आपसे 100% सहमत हूँ कि नमक की कम मात्रा खाने के नुक्सान अधिक हैं और फायदे कम.

    आपके इस ज्ञानवर्धक लेख के लिए बधाई, धन्यवाद

  2. I think we shouldn’t eat more of common salt it should be rock salt popularly known as saindha namak. Common salt is really dangerous.

  3. Thank you Rana ji, for your comment.

    There is no scientific evidence or research to prove that Sendha salt is better than sea salt.

    “Sendha is better than sea salt” logic has been forwarded by statements made by a few public figures, without their giving any logic or evidence. We blindly followed them and got swayed by believing in whatever they said.

    Sea salt has more minerals in it than Sendha salt, due a their vast availability in the oceans.

    In Northern Indian Ayurveda, we do find a mention of Sendha salt, which seems to have evolved from its easy availability in northern India in olden times when means of transport were limited.

    In southern Indian Ayurveda, which evolved in the coastal regions, only sea salt is recommended.

    So I personally, do not find any great difference in it.

    Hope, I have tried to explain.

    Thanks.

  4. Thank you sharma ji I believe so because sendha namak is used in Ayurvedic medicines, not common salt. Iodised sea salt is chemical mixed.

आपके सुझाव और कमेंट दीजिये

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