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ऑस्टियोपोरोसिस – लक्षण, कारण और आयुर्वेदिक इलाज

पहले ये समझा जाता था कि अस्थिक्षरण अथवा ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) केवल महिलाओं को होने वाला बढ़ती उम्र का रोग है.

लेकिन अब शोध बताते हैं कि आधुनिक रहन सहन के चलते, 50 वर्ष या अधिक की आयु होने पर,

2 में से 1 महिला और 4 में से 1 पुरुष ऑस्टियोपोरोसिस के कारण अपनी हड्डियाँ तुडवा सकते है.

यह रोग दुनिया भर में एक चिंता का कारण है.

एशियाई सभ्यताएं विशेषकर भारतीय, अपने जीन्स के कारण इस रोग से अधिक ग्रसित होते हैं.

इसका परिणाम तब और भी डरावना हो जाता है जब बढ़ी हुई आयु के कारण ऑपरेशन या सर्जरी  के विकल्प असंभव हो जाते हैं;

और व्यक्ति चारपाई पकड़ कर अपने अंत का बेसब्री से इंतजार करने लगता है.

बात कडवी है, लेकिन हकीकत भी है.

आईये जानते हैं, कैसे होता है यह रोग और कैसे इससे बचने का प्लान अभी से तय किया जाये…

ऑस्टियोपोरोसिस – क्या है यह रोग

सीधी आसान भाषा में हड्डियों के झरझर (porous) होने के कारण;

कमज़ोर, नाज़ुक,  ब शक्तिहीन होने की क्रिया को ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है.

हमारे  शरीर में  हड्डियों की नयी कोशिकायें निरंतर पुरानी हो चुकी कोशिकाओं की जगह लेती रहती हैं,

इससे हड्डियों में शक्ति व लचीलापन बना रहता है.

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ऑस्टियोपोरोसिस में नयी कोशिकाओं का निर्माण उस गति से नहीं हो पाता जिस गति से पुरानी कोशिकाओं को बदला जाना चाहिए.

परिणामस्वरुप, हड्डियां धीरे धीरे झरने लगती हैं व पोली हो जाती हैं.

ऑस्टियोपोरोसिस की कई किस्में हैं जो आयु, लिंग, वर्ग विशेष, heredity या रोग विशेष के आधार पर वर्गीकृत की गई हैं.

ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण

यह रोग सामान्यत: चुपके से भासित होता है, जब अचानक, अकारण कोई हड्डी में फ्रैक्चर हो जाता है.

पीठ के निचले हिस्से, गर्दन में दर्द रहना, जो लगातार बना रहता है, इसके लक्षणों में से कुछेक हैं.

बहुत से लोगों को कोई भी लक्षण नहीं होते जब तक कि कोई फ्रैक्चर (मुख्यत: कूल्हे, ऊँगली या कलाई का) अकारण न हो जाए.

अकारण का मतलब यहाँ उस गतिविधि से है जो सामान्यत: हड्डी के फ्रैक्चर होने का कारण न बनती हो.

जैसे थोडा सा भार उठाने पर ही फ्रैक्चर हो जाए.

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अन्य लक्षणों में जब आपकी लम्बाई कम हो जाए तो ये रीढ़ के घिसाव की सूचक है.

इसी प्रकार, जब आपको कोई कहे कि आप सीधे न हो कर झुक कर चलते हैं तो यह भी इस रोग का एक लक्षण हो सकता है.

Osteoporosis के कारण व कारक

इस रोग के कई कारणों में से निम्नलिखित मुख्य हैं

  1. वंशानुगत इतिहास
  2. दुबला शरीर
  3. व्यायाम की कमी
  4. कोका कोला उत्पादों का उपयोग
  5. धूम्रपान
  6. गठियावात (arthritis) व यूरिक एसिड का उच्च मान
  7. पेट की अनियमितता व गैस, अपचन, कब्ज़ जैसे विकार
  8. छाती व प्रोस्टेट के कैंसर
  9. पैरालिसिस, पार्किन्सन जैसे नाड़ीतंत्र के रोग
  10. रक्त के रोग जैसे थालेसेमिया व लयूकेमिया
  11. तनाव, चिंता व depression.
  12. एंडोक्राइन दोष जैसे डायबिटीज, उच्च थाइरोइड क्रियाशीलता, महिला माहवारी के दोष, व पुरुषों कीअंडकोष कार्यहीनता
  13. पुराने किडनी, लिवर के रोग
  14. AIDS/HIV का रोग
  15. कैंसर की रेडिएशन चिकित्सा

आधुनिक दवाओं के दुष्प्रभाव

शोध बताते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस के लिये कुछ आधुनिक दवाएं भी बेहद खतरनाक साबित हुई हैं.

इनमें सामान्य तौर से ली जाने वाली एल्युमीनियम युक्त दवाएं जैसे कि antacids (Gelusil, Digene इत्यादि) कीमोथेरेपी दवाएं, गर्भ निरोधक गोलियां, एंटीबायोटिक्स, हेपारिन जैसे कुछ स्टेरॉयड इत्यादि मुख्य हैं.

कैसे लगायें रोग का पता

Bone mineral desisity (BMD) के test से ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाया जा सकता है.

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यह जांच हल्की एक्सरेनुमा यंत्र से की जाती है.

रोग के लक्षण होने पर या 50 वर्ष की आयु के बाद, यह जाच समय समय पर करवाने से इस  रोग के भयंकर परिणामों से बचा जा सकता है.

ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव और इलाज

ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज कैल्शियम, विटामिन D व कुछ आधुनिक दवाओं से किया जा सकता है.

साथ ही व्यायाम भी इसके लिए लाभकारी माना जाता है.

शोध ये भी बताते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस में anabolic हॉर्मोन की कमी का भी एक मुख्य किरदार होता है.

ये वे हॉर्मोंस होते हैं जो 35 वर्ष की आयु के बाद शरीर में बनना कम होते जाते हैं.

ये हॉर्मोंस कैल्शियम व प्रोटीन का सेवन कर उन्हें हड्डियों तक पहुँचाने का काम करते हैं.

शोधों द्वारा हडजोड (Cissuss quadrangularis) को, ऑस्टियोपोरोसिस के लिये बेहद कारगर माना जाता है।

आप इसे इस लिंक पर देख और खरीद सकते हैं।

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ऑस्टियोपोरोसिस सम्बन्धी भ्रान्तियां

आम तौर पर इस रोग को केवल कैल्शियम की कमी मान कर यदि आप अतिरिक्त कैल्शियम ले रहे हैं तो सावधान.

अकेला कैल्शियम हड्डियों में पहुँच कर उन्हें अधिक झरझरा बना सकता है.

कैल्शियम के साथ साथ फोस्फोरस व विटामिन D भी अति आवश्यक होते हैं ताकि हड्डियों का घनत्व सही अनुपात में रहे.

एक अन्य बात.

यदि आपको सलाह मिले कि प्रोटीन कम खाएं क्योंकि प्रोटीन हड्डियों की कैल्शियम को कम करती है, तो ये भ्रामक ज्ञान है.

शोधों से यह प्रमाणित हो चुका है कि प्रोटीन से कैल्शियम की पुरानी कोशिकाएं बेशक निस्सृत होती हों

लेकिन केवल प्रोटीन ही कैल्शियम फॉस्फेट की नयी कोशिकाएं बनाने में सहायक होता है. और अति आवश्यक भी.

ये प्रोटीन ही  है जो हड्डियों को लचीला रखने में सहायता देता है.

सारशब्द

ऑस्टियोपोरोसिस एक मूक (silent) रोग है जिसका परिणाम उम्र के अंतिम पड़ाव पर परिणित होता है.

यदि हम अभी से ही अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें तो इस रोग से बचा जा सकता है.

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