IBS course FAQs

IBS संबंधी प्रश्नों के उत्तर

इस लेख में पढ़िये पेट रोगों, विशेषकर IBS संबंधी आपके प्रश्नों के उत्तर (IBS Course FAQs)

सोशल मीडिया में IBS रोग के इलाज को लेकर कई भ्रांतियाँ मिलती रहती हैं, जो आपको भ्रम में डाल सकती हैं।
हमारे अधिकतर ग्राहक जगह जगह अपना इलाज करवा कर हताश हो चुके होते थे।

स्वाभाविक है जब ऐसा होता है तो कोई भी नया इलाज को लेने से पहले मन में कई शंकाएं और प्रश्न उठते हैं।

आपके मन में भी कई प्रश्न हो सकते हैं।

क्या IBS संग्रहणी Permanently ठीक हो सकती है? 

रोग दोबारा तो नहीं होगा?

औषधियों से कितनी जल्दी लाभ मिलता है?

IBS की औषधियाँ कैसे काम करती है? वगैरह, वगैरह…

यहाँ उन सभी प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं जो सामान्यत: आप जानना चाहते हैं।


सबसे पहले, हमारे बारे में

आयुर्वेद सेंट्रल एक व्यावसायिक संस्थान है, जिसका उद्देश्य शोध आधारित आयुर्वेदीय वनस्पतियों, औषधियों, आहार, विहार और अपने पेटेंट उत्पादों का प्रचार प्रसार करना है।

हम दूरचिकित्सा (Telemedicine) प्रणाली से स्वास्थ्य सलाह देते हैं और उत्पाद बिक्री से लाभ अर्जित करते हैं।


दूरचिकित्सा (Telemedicine) प्रणाली

सामान्यत: जब आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो आपको अपनी समस्या बताने का पूरा अवसर नहीं मिल पाता है।

यह इसलिये होता है क्योंकि आजकल डॉक्टर काफी व्यस्त रहते हैं और उन्हें कई मरीज़ों को देखना होता है।

उन्हें इतनी फुरसत नहीं मिल पाती है कि वे आपकी समस्याओं को पूरा समझकर उनका समग्र विश्लेषण कर सकें। 

परिणामस्वरूप आपको तुरन्त कुछ दवाएं लिख दी जाती हैं, और बोला जाता है इतने दिन बाद परिणाम बताईये।

नतीजतन, चाहा लाभ न मिलने के कारण आप निराश हो जाते हैं और डॉक्टर्स बदलते रहते हैं।

यह समस्या IBS या पेट के अन्य जटिल विकारों में अधिक पाई जाती है।

जबकि पेट रोगों के लिये समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, कि आपकी समस्या को पूरा सुना और समझा जाये ।

दूरचिकित्सा (Telemedicine) का अर्थ है सुदूर स्थित संस्था के स्वास्थ्य विशेषज्ञों से अपनी समस्या का निदान और उपचार करना।

यह एक इंटरनेट आधारित आधुनिक (Modern) प्रणाली है, जो पूरे विश्व में तेजी से पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का विकल्प बन रही है।

इस व्यवस्था में आप डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं। बल्कि आप फोन या विडिओ कॉल पर ही चिकित्सीय सलाह मशवरा लेते हैं।

आपके लक्षणों को पूरा समझा जाता है, जिसके लिये हो सकता है आपको कुछ टेस्ट करवाने के लिये भी कहा जाये, जिन्हें आप अपने स्थान पर ही करवाते हैं और रेपोर्ट्स ईमेल या व्हाट्सएप से भेजते हैं।

निदान (diagnosis) और उपचार आपके द्वारा बताये लक्षणों और रेपोर्ट्स के आधार पर किया जाता है।

इस प्रणाली में आप विशेषज्ञ टीम से इंटरनेट आधारित तकनीक निरंतर सम्पर्क में रह सकते हैं।  

क्योंकि हमारी कार्य पद्धति सुदूर इलाज (Telemedicine) प्रणाली की है, इसलिये हमारे कोई क्लिनिक या अस्पताल नहीं हैं, न ही कोई शाखा है।


क्या IBS जड़ से समाप्त हो सकती है?

(Is IBS Curable in Ayurveda)

IBS (Irritable Bowel Syndrome) एक पाचन तंत्र संबंधी विकार है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है।

आयुर्वेद में इसे संग्रहणी और ग्रहणी के नाम से जाना जाता है।

एलोपैथिक प्रणाली में, IBS को एक लक्षणात्मक विकार (symptomatic disorder) मानकर केवल लक्षणों का ही उपचार किया जाता है, जो कभी भी स्थायी नहीं हो सकता।

वैज्ञानिक मानते हैं कि इस समस्या को एलोपैथिक लक्षणात्मक विकार मानकर इसका एलोपैथिक प्रणाली में सही उपचार नहीं किया जा सकता है।

एलोपैथिक प्रणाली में IBS के लिए अक्सर ऐसी दवायें दी जाती हैं जो पेट के लाभकारी बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देती हैं, जो हमे कई प्रकार के लाभकारी हॉर्मोन्स, न्यूरोट्रांसमिटर्स और रोगरोधी क्षमता प्रदान करते हैं।

परिणामस्वरूप, लंबे समय तक एलोपैथिक इलाज से कई शारीरिक और मानसिक विकार पनप जाते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ देते हैं।

अकारण तनाव, अवसाद, चिंता, भय, सुस्ती, नकारात्मकता और कामशक्ति की कमी अक्सर होने लगते हैं।

अन्य कई रोग पनपने का खतरा भी बढ़ जाता है। जैसे डाइबीटीज़, यूरिक ऐसिड, आर्थराईटिस, थाईरॉयड, कॉलेस्टेरॉल, लिवर किड्नी रोग, रक्तचाप इत्यादि।   

दूसरी ओर, आयुर्वेद में इसे प्रणालीगत (Systemic) विकार माना जाता है।

आयुर्वेद में समस्या के मूल कारणों के इलाज का लक्ष्य रखा जाता है, जो कारगर भी होता है और स्थायी भी। 

इस रोग के लिये एक समग्र दृष्टिकोण (Holistic approach) की आवश्यकता होनी चाहिये जो केवल आयुर्वेद में ही उपलब्ध है।

बहुत सारे वैज्ञानिक शोध स्वीकारते हैं कि केवल आयुर्वेद में ही IBS का Comprehensive, पक्का और स्थायी उपचार हो सकता है, एलोपैथी में नहीं। (1, 2, 3, 4, 5)


IBS के आधुनिक चिकित्सा (एलोपैथी) उपचार 

एलोपैथिक प्रणाली में, IBS को एक कार्यात्मक विकार (Functional disorder) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका अर्थ है कि इसका कोई ठोस कारण आसानी से पहचाना नहीं जा सकता है।

इस रोग में आधुनिक चिकित्सा (एलोपैथी) केवल लक्षणात्मक (symptomatic) राहत पर ध्यान केंद्रित करती है।

आधुनिक चिकित्सा (एलोपैथी) के उपचार पेट दर्द (abdominal pain), सूजन (inflammation), गैस अफ़ारा (bloating), दस्त (diarrhoea), या कब्ज (constipation) जैसे लक्षणों के प्रबंधन के इर्द-गिर्द ही घूमते रहते हैं।

और इन्हीं लक्षणों को कम करने के लिए दवाएँ दी  जाती हैं।

जैसे पेट की ऐंठन मरोड़ और दर्द के लिये antispasmodics, कब्ज़ के लिये laxatives, अतिसार, जुलाब या दस्त के लिये anti-diarrheal, गैस एसिडिटी के लिये antacids & PPIs, इत्यादि। 

लेकिन ये सभी औषधियाँ उस अंतर्निहित असंतुलन (underlying imbalances) को ठीक नहीं करती हैं जो IBS के लक्षणों को जन्म देती है।

परिणामस्वरूप, आधुनिक चिकित्सा (allopathy) के इलाज में तुरन्त राहत तो मिल सकती है लेकिन बीमारी का बार बार होना एक बड़ी और आम समस्या बनी रहती है।

शोधों के अनुसार, एलोपैथी में IBS का कोई स्थायी (permanent) उपचार नहीं है।


IBS इलाज की आयुर्वेद पद्धति – कारगर, स्थायी  

आयुर्वेद इस रोग को व्यापक (Comprehensive) और प्रणालीगत (Systemic) दृष्टिकोण प्रदान करता है जो रोग के मूल कारणों को संबोधित करता है और इसे समग्र रूप से ठीक करने की क्षमता का लक्ष्य रखता है। 

IBS को आयुर्वेद शरीर के दोषों-वात, पित्त और कफ में गहरे असंतुलन की अभिव्यक्ति के रूप में देखता है।

वास्तव में, IBS, संग्रहणी या ग्रहणी, मुख्य रूप से पाचन अग्नि (Digestive fire) और आंतों (Gut) के खराब कामकाज से जुड़ा हुआ रोग होता है।

इसलिए, आयुर्वेदिक उपचार पाचन तंत्र में संतुलन बहाल करने, आंतों को शक्तिशाली बनाने और खराब पाचन के कारण जमा होने वाले विषाक्त पदार्थों को समाप्त करने पर केंद्रित होता है।

आयुर्वेद में IBS का इलाज व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति और उसके विशिष्ट दोष असंतुलन के आधार पर होता है।

जो हर व्यक्ति के लिये भिन्न हो सकता है। 

शोध बताते हैं कि IBS संग्रहणी का स्थायी (Permanent) उपचार केवल आयुर्वेद में ही संभव है। (1, 2, 3, 4, 5, 6)


आईबीएस के आयुर्वेदिक इलाज की विधि

अब आप जान गए होंगे कि संग्रहणी (IBS) कई सारे लक्षणों और रोगों के विस्तृत समूह का नाम है, जिसके उपचार में समग्र दृष्टिकोण (Holistic approach) की आवश्यकता होती है न कि लक्षणात्मक (symptomatic)

सबसे पहले रोग के लक्षणों का विश्लेषण किया जाता है, जो रोगी द्वारा दिये गये विवरण और जांच रेपोर्टों (यदि हों) के आधार पर होता है। पूरा समझने के लिये आपसे कई प्रश्न भी पूछे जाते है।

विश्लेषण के आधार पर IBS की किस्म और संबंधित विकारों की तीव्रता का निर्धारण किया जाता है। 

अंतत: इलाज के लिये एक समग्र (Holistic) नीति बनाई जाती है, जिसमें लक्षणों के अनुसार औषधियां और सप्लीमेंट्स चुने जाते हैं।


औषधियों और सप्लीमेंट्स का चयन

इसे आपकी IBS की किस्म और संबंधित विकारों की तीव्रता के आधार पर तय किया जाता है, जैसे:

आंतों के संक्रमण (Infection)

सामान्य IBS में Standard IBS Pack (4+1 उत्पाद) की आवश्यकता होती है, जिसकी कीमत ₹3300  ₹2880 है।

दस्त अतिसार वाली IBS-D में, यदि अतिसार की रोजाना आवृति तीन से अधिक बार होती हो तो Standard IBS Pack के साथ PunicaDS भी दी जा सकती है।

यदि आवृति तीन या इससे कम हो तो नहीं। IBS-D में कीमत ₹3315 ₹2984 होती है। 

IBS-C अथवा हठी कब्ज में, यदि रोजाना पेट साफ न होता हो, तो Standard IBS Pack के साथ Somalo भी दी जा सकती है। Somalo आंतों को गतिशीलता प्रदान करती है। IBS-C के पैक की कीमत ₹3965/- ₹3568/- है।

यदि मल विसर्जन रोज़ होता हो लेकिन मलाशय पूरा खाली न होता हो, तो Somalo की आवश्यकता नहीं भी हो सकती है।

चयापचय सुधार (Fixing Metabolic Impairment)

IBS रोग में यदि कोई प्रक्रिया सबसे पहले असंतुलित होती है, तो वह है हमारी चयापचय (Metabolism) क्रिया।

चयापचयन  (Metabolism) के असंतुलन से ही IBS के साथ अन्य रोग भी जुड़ते जाते है, जैसे कि लिवर की खराबी, गैस एसिडिटी, ब्लड प्रेशर, और कई मानसिक विकार आदि।

इसके लिये Anabol N नामक उत्पाद दिया जाता है जो चयापचय सुधारने का कार्य करता है।

सामान्यत: इसे एक ही बार दिया जाता है और यह 45 दिन के लिये पर्याप्त रहती है।

हाँ, जिन्हें IBS के साथ साथ uric acid, gout, कॉलेस्टेरॉल, जोड़ों के दर्द की समस्या पनप रही हो या हो गई हो, वे इसका सेवन दोबारा भी ले सकते हैं।

लघु पंचकर्म

आयुर्वेद में पंचकर्म काया और पाचन तंत्र के शोधन (Cleansing) की क्रियाओं को कहा जाता है।

जिसके द्वारा शरीर से रोग और खराब पोषण के कारण पैदा हुए विषाक्त तत्वों को बाहर निकाला जाता है।

इसमें  पाँच क्रियाएं होती हैं, जिन्हें करने के लिये आपको कुछ दिनों का अवकाश लेने की आवश्यकता होती है।

क्योंकि आजकल के जीवन में यह सब संभव नहीं हो पाता है इसलिये हमारे IBS इलाज में इसकी दो क्रियाएं अवश्य की जाती हैं। 

  1. विरेचन (Gut Cleasing): जिसके लिये Gut-CLR नामक उत्पाद का उपयोग किया जाता है।
  2. हल्का उपवास: जिसे खानपान के नियमों के अंतर्गत कभी कभार करना होता है। चिंता न करें, आपको पूरा दिन भूखा रहने को नहीं कहा जाता है।

प्रीबायोटिक्स

आंतों की सुचारु कार्यप्रणाली के लिये प्रीबायोटिक्स का अहम योगदान रहता है।

यह पेट के लाभकारी बैक्टीरीया का आहार होते हैं, आंतों को तरावट देते हैं, और आंतों की गतिशीलता को बढ़ावा देते हैं।

इसके लिये PBF Prebiotic नामक उत्पाद दिया जाता है।


संबंधित रोगों का इलाज

IBS के साथ सबसे बड़ी परेशानी यह है कि पुराना होने पर यह अपने साथ अन्य पेट विकारों को भी जोड़ते जाती है,

इसलिये IBS के मुख्य इलाज के साथ साथ उनका उपचार भी ज़रूरी हो जाता है।

इनमें से कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं।

पित्तविकार (Gastritis)

IBS के साथपित्तविकार होना एक आम और बड़ी चुनौती होती है।

एसिडिटी, गैस, अफ़ारा, पेट में भारीपन बने रहना, नाभि खिसकना, एसिड रिफ्लक्स, GERD, पेट के अल्सर इत्यादि, सभी पित्तविकार अथवा गैस्ट्राइटिस की श्रेणी के रोग हैं।

इनके लिये, लक्षणों के अनुसार, एक या दो औषधियाँ दी जा सकती है, जिनमें से एसिरेम (Acirem), अम्लान्ता (Amlanta) और एम्बलिका (Emblica) मुख्य हैं।

अग्नि असंतुलन (Digestive Fire Imbalance)

इस असंतुलन के कारण ऐसी विकृतियाँ पैदा हो सकती हैं, जिस कारण हमें भोजन के पोषक तत्व अवशोषित करने में कठिनाई आती है।

अग्नि असंतुलन के दो मुख्य रूप होते हैं।

अपच अथवा अजीर्ण  (Indigestion or Dyspepsia)

जब लंबे समय तक आहार ठीक से पचता नहीं है,

खाने के बाद भारीपन अनुभव होता है, चाहे वह हल्का भोजन ही क्यों न हो;

इसे अपच या अजीर्ण कहते हैं।

यह दो प्रकार का होता है; Functional Dyspepsia और Organic Dyspepsia.

एलोपथी में Functional Dyspepsia को असाध्य रोग माना जाता है, और कहा जाता है कि इसका कोई स्थायी उपचार नहीं हो सकता है।

जबकि आयुर्वेद इसे वात पित्त  के असंतुलन के रूप में देखता है, और इसका जड़ से इलाज कर सकता है।

मंदाग्नि (Anorexia)

इस विकार में या तो भूख ही नहीं लगती, कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती है,

या फिर भूख तो लगती है, लेकिन थोड़ा सा खाते ही पेट भरा भरा सा लगता है।

इस समस्या को मंदाग्नि (Anorexia) कहा जाता है।

अग्नि असंतुलन के दोनों विकारों, अपच और मंदाग्नि (Dyspepsia & Anorexia) के लिये अग्निमंथ (Agnimanth) नामक उत्पाद का उपयोग किया जाता है, जो अग्नि असंतुलन के हर विकार को ठीक करने की क्षमता रखता है।


IBS के घरेलू उपाय

निश्चय ही आप चाहेंगे कि रोग से स्थायी छुटकारा मिले।

हमें भी वास्तविक प्रसन्नता तब मिलती है, जब आप अपने रोग से पूर्ण मुक्ति पा लेते हैं।

औषधि सेवन के साथ साथ यदि आप हमारे सुझाए गये सरल घरेलू उपाय भी करते हैं, तो रोग और तेज़ गति से ठीक हो जाता है, साथ ही कुछ समय बाद, आपकी औषधि निर्भरता भी कम हो जाती है।

औषधियों के साथ साथ आपको कई घरेलू नुस्खे भी बताये जाते हैं, जिन्हें आप बड़ी आसानी से घर पर तैयार कर ले सकते हैं।

यह उपाय आपके लक्षण विशेष के आधार पर सुझाए जाते हैं।

साथ ही सभी को निशुल्क लिवर टॉनिक प्रीमिक्स और उसे बनाने की विधि भी भेजी जाती है; क्योंकि इस रोग में लिवर का सही होना अत्यंत आवश्यक होता है।

लिवर टॉनिक प्रीमिक्स के सेवन से लिवर की कार्यकुशलता बढ़ जाती है।


औषधि प्रभाव की अवधि

आपको लाभ पहले 8-10 दिन में ही अनुभव होने लग जाता है।

बहुत सारे ग्राहक 15-20 दिन के भीतर ही बताते हैं कि उनके कष्ट ठीक हो गए हैं।

लेकिन इसका यह मतलब कदापि नहीं कि रोग पूरी तरह से ठीक हो गया हो।

उन्हें सलाह दी जाती है कि खानपान प्लान, बताये गए घरेलू उपायों, नुस्खों, आयुर्वेदीय विहार नियमों द्वारा अपने आपको पूरा सेहतमंद रखें।

हम चाहते हैं कि सुझाये गये खानपान और दिनचर्या नियमों में बदलाव कर आप हमेशा के लिये रोगमुक्त बनें

और औषधियों का सेवन तब तक ही करें जब तक ज़रूरी हो।


औषधियां कितने दिन तक चलती हैं

अधिकतर औषधियों की सामान्य निर्धारित मात्रा 60 या 90 खुराक की रहती है।

औषधियां रोग की किस्म और उग्रता के अनुसार लेनी होती हैं। 

शुरुआती समय में PBF Prebiotic और Anabol-N दिन में दो बार लेनी होती हैं. जिस हिसाब से ये क्रमश: एक महीने और 45 दिन के लिये पर्याप्त रहती हैं.

अधिकतर मामलों में, लाभ मिलने के कारण Anabol-N का उपयोग एक पैक के बाद बंद कर दिया जाता है।

जबकि PBF Prebiotic दिन में केवल एक ही बार लेनी पड़ सकती है।

ऐसी स्थिति में PBF Prebiotic पैक 60 दिन तक पर्याप्त रहता है। 

Gut-CLR का उपयोग शुरुआत के एक से तीन दिन और बाद में हर सप्ताह या माह में एक दो बार ही होता है।

इस कारण Gut-CLR का एक पैक 5 से 8 महीने तक भी चल सकता है।

पहली बार सब औषधियाँ खरीदने के बाद आपको दोबारा सब उत्पाद आर्डर करने की आवश्यकता नहीं होती है।

केवल वही उत्पाद आर्डर कीजिये जिसकी आवश्यकता हो।


क्या औषधियाँ 8-10 दिन के लिये दी जा सकती हैं

औषधियों की पॅकिंग एक निश्चित मात्रा में की जाती है, कि शारीरिक स्वास्थ्य प्रणाली को सुधरने का पर्याप्त समय मिल सके।

पैकिंग को कम या ज्यादा नहीं किया जा सकता है।


कितने समय तक औषधियां लेनी पड़ेंगी

आयु, रोग की दीर्घता और जटिलता जैसे कारक औषधि प्रभाव और चिकित्सा अवधि पर असर डालते हैं

यह रोग की उग्रता और अवधि पर निर्भर करता है, जिसका अनुमान एक दो सप्ताह के इलाज के बाद लग जाता है।

अधिकतर को एक माह के भीतर ही लाभ मिल जाता है,

जबकि कुछ अन्य के लिए 2 – 3 महीने या अधिक समय भी लग सकता है।

कुछ भी हो, आपको स्वयं भी 10-15 दिन में अनुमान हो जाता है।


क्या रोग जड़ से खत्म हो जायेगा

इसका संक्षिप्त उत्तर है, बिल्कुल हो जायेगा।

यदि हम स्वास्थ्य के प्रति निष्ठावान रहते हैं तो किसी भी रोग के दोबारा होने से बचा जा सकता है।

IBS संग्रहणी पर भी यही नियम लागू होता है।

आपको केवल यह जानने की आवश्यकता है कि खानपान (आहार) और अन्य दिनचर्या (विहार) में क्या बदलाव करने चाहिए,

जो आपको हमेशा रोगमुक्त रख सकें।

आहार और विहार दोनों ही बड़े आसान होते हैं। 

यह सुझाव आपको क्रमवार बताये जाते हैं ताकि आप उन्हें अपना कर लाभ का स्वयं अवलोकन कर सकें।

जब यह सारा ज्ञान आपको उपलब्ध होगा तो निश्चित ही आप रोग को दोबारा नहीं पनपने देंगे।

हम पूरी कर्तव्यनिष्ठा से अपना दायित्व निभाने का प्रयास करते हैं, यदि आप भी अपने आहार, विहार पर ध्यान देंगे तो रोग की पुनरावृति कभी नहीं होगी।

हमारे बहुत से वर्षों पुराने ग्राहक बिलकुल रोगमुक्त हैं,

यही नहीं, उन्हीं के द्वारा हमसे कई नए ग्राहक औषधियां/उत्पाद मंगा कर अपना इलाज करते हैं।

वास्तव में, हमारे कुल कारोबार का बहुत बड़ा हिस्सा हमारे पुराने ग्राहकों द्वारा समर्थित नये ग्राहकों से ही आता है।


IBS रोग में खानपान के नियम

औषधियां भेजने के साथ ही आपको खानपान सम्बन्धी सुझाव, नियम और बदलाव भी उपलब्ध कराये जाते हैं।

कुछ सिलसिलेवार बदलाव रोग के सुधार के अनुसार भी कराये जाते हैं।

हर सुझाये बदलाव का अवलोकन करें और सही पाने जाने पर जीवन का अभिन्न अंग बना लें।

सुझाव बेहद आसान होते हैं जिन्हें आप आसानी से अपना सकते हैं।


क्या कम दवाओं से काम चल सकता है

यदि आपकी समस्या का विश्लेषण हो चुका है, तो आपको सभी अनुशंसित उत्पाद लेने चाहिये।

ऐसा इसलिये, क्योंकि आपकी IBS के सभी कारक एक दूसरे से जटिलता से (intricately) जुड़े होते हैं।

एसिडिटी के कारण आंत में इन्फेक्शन हो सकती है या फिर आंत की इन्फेक्शन की वजह से एसिडिटी हो सकती है।

इन्फेक्शन की वजह से लिवर में खराबी आ सकती है या फिर लिवर की खराबी से पेट बिगड़ सकता है।

इसलिये सभी कारकों का समानांतर (parallel) उपचार होना चाहिये।

यदि आपने पहले ही अपने विवेकानुसार पूरे पैक का ऑर्डर कर रखा है,

तो हम उत्पाद भेजने से पहले आपसे सम्पर्क करते हैं। 

कई बार विश्लेषण से पता चलता है कि IBS रोग नहीं है, बल्कि कोई छोटा विकार है। 

ऐसे में  एक या दो उत्पाद से ही समस्या हल हो जाती है,

और अतिरिक्त (Extra) राशि रिफन्ड कर दी जाती है।


क्या औषधियों के कोई दुष्परिणाम होते हैं

सभी औषधियां वानस्पतिक हैं इसलिए इनके कोई भी दुष्परिणाम नहीं होते।

उत्पाद भारत सरकार की आयुष, FSSAI और GMP प्रमाणित मानक विधि से निर्माण किये जाते हैं।

उच्च गुणवत्ता के लिए हम रॉ मटेरियल्स को केवल सर्टिफाइड निर्माताओं से खरीदते हैं,

जो महंगे अवश्य होते हैं लेकिन गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं होता।

यह अंतर्राष्ट्रीय प्रमाण संस्था ISO द्वारा उच्च निर्माण विधियों द्वारा प्रमाणित उत्पाद हैं।


आर्डर और भुगतान के विकल्प

ऑर्डर

आप उत्पाद ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं। IBS standard pack के लिये इस लिंक का उपयोग कीजिये

आप उत्पाद सीधे भी मंगा सकते हैं; जिसके लिए अपना पिनकोड सहित पूरा पता WhatsApp कीजिये।

भुगतान

ऑनलाइन ऑर्डर के लिये भुगतान डेबिट/क्रेडिट कार्ड, नेटबैंकिंग, UPI या कई अन्य प्रकार के e-wallets से किया जा सकता है।

व्हाट्सअप्प ऑर्डर्स के लिये आप हमारे UPI QR कोड से भुगतान कर सकते हैं।

QR कोड आपको ईमेल या व्हाट्सएप पर भेजा जाता है।

नोट कीजिये, Cash on Delivery सुविधा उपलब्ध नहीं है।


औषधियां भेजने की प्रक्रिया

औषधियां कूरियर या Speed Post (जो भी उपलब्ध हो) द्वारा सीधे आपके पास भेजी जाती हैं।

ऐसा इनकी गुणवत्ता और इनके डुप्लीकेट होने से बचाने के लिए किया जाता है।

विदेश सप्लाई के लिये, भारतीय एक्सपोर्ट नियमों के अन्तर्गत ग्राहक को अपना फोटो पहचान दस्तावेज़ देना ज़रूरी होता है।

विदेश सप्लाई के लिये आवश्यक प्रमाणपत्र, prescriptions इत्यादि शिपमेंट के साथ ही भेजे जाते हैं।


डिलीवरी में कितना समय लगता है

आर्डर मिलने के तुरंत बाद औषधियां आपको भेज दी जाती है।

दूरी के अनुसार इन्हें आप तक पहुँचने में दो से पांच दिन तक का समय लग सकता है।

एक्सपोर्ट शिपमेंट्स की डेलीवेरी में 7 से 15 दिन तक का समय भी लग जाता है।


औषधियों की सेवन विधि

औषधियां लेने की विधि ईमेल या WhatsApp से भेजी जाती है।

सेवन विधि के किसी भी स्पष्टीकरण के लिये, कृपया ईमेल, व्हाट्सअप्प या फोन पर सलाह ले सकते हैं।

रोग सुधार की जानकारी

आपको चाहिये कि समय समय पर अपने सुधार की जानकारी हमें देते रहे।

यह कम से कम इस प्रकार से होनी चाहिये:

प्रथम उपचार आरम्भ से एक सप्ताह बाद

द्वितीय उपचार के 14-16 दिन में।

तृतीय लगभग तीन सप्ताह के अंत में।


उपयोगी लिंक्स

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अन्य समाधान या प्रश्न

यदि आप कोई अन्य जानकारी या समाधान लेना चाहें तो

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अतिशय धन्यवाद, मंगल कामनायें!

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