एक स्वस्थ व्यक्ति की फास्टिंग शुगर (खाने के कम से कम आठ घंटे बाद) 100 mg/dL तक, व खाने के 2 घंटे बाद की रक्त शुगर 140mg/dL के नीचे पायी जाती है.
डायबिटीज तब मानी जाती है जब दो अलग अलग दिनों पर, शरीर में रक्तशुगर की मात्रा
खाली पेट 126 से अधिक तथा भोजन बाद 200 से अधिक निकले.
यह लेख डायबिटीज के सभी पहलुओं को समझने के लिये आपकी सहायता करेगा.
आहार में उर्जा के स्रोत
हमारे शरीर को उर्जा भोजन से मिलती है. आहारों में, ये दो प्रकार से उपलब्ध होती है.
कार्बोहाइड्रेटस (Carbohydrates)
अथवा भोजन का वह अंश जो अंतत: शुगर्स में बदल कर शरीर को उर्जा प्रदान करता है.
शुगर्स को कोशिकाओं के भीतर ले जाने व उर्जा में बदलने का कार्य इन्सुलिन नाम का हॉर्मोन करता है,
जो अग्नयाशय (Pancreas) नामक ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है.
वसा (Fats)
जिसे हम तेल या चर्बी कहते हैं.
ये शुद्ध घी, तेल के अतिरिक्त आहार के सभी स्रोतों से कम या अधिक पाई जाती है.
वसा से उर्जा निकालने व कोशिकाओं तक पहुँचाने का कार्य लिवर द्वारा बनाये गए होर्मोंस करते हैं.
इसके अतिरिक्त प्रोटीन का भी अहम योगदान होता है, जिसे प्रोटीन सम्बन्धी लेख पर देखा जा सकता है.
डायबिटीज है क्या
खाने के बाद, भोजन में उपलब्ध शुगर्स हमारे रक्त में पहुँचती है.
कोशिकाओं की आवश्यकतानुसार, इन्सुलिन इन शुगर्स का विघटन कर कोशिकाओं को उर्जा प्रदान करती है,
जिससे भोजन के बाद हमें उर्जा मिलने लगती है.
जब पैंक्रियास द्वारा इन्सुलिन की मात्रा नहीं या कम बन रही हो
या
बनायी गई इन्सुलिन अपना कार्य ठीक प्रकार से ना कर पा रही हो; तो शुगर्स का विघटन नहीं हो पाता.
परिणामस्वरूप, रक्त में शुगर्स की मात्रा अपने सामान्य मान से अधिक रहती है.
लेकिन विघटन न होने के कारण हमें पूरी उर्जा नहीं मिल पाती और हम कमजोरी, थकान महसूस करते हैं.
यही है डायबिटीज़.
डायबिटीज़ की किस्में
जब पैंक्रियास इन्सुलिन बनाने में अक्षम हो तो इसे टाइप 1 डायबिटीज कहते हैं.
इस प्रकार की डायबिटीज में इन्सुलिन को बाहर से लेना ही एकमात्र उपाय होता है.
जब पैंक्रियास द्वारा निर्मित इन्सुलिन कम हो या जब इन्सुलिन की संवेदनशीलता कम हो तो उसे टाइप 2 डायबिटीज कहते हैं.
इस प्रकार की डायबिटीज दवाओं, औषधीय वनस्पतियों, दिनचर्या, खानपान व मानसिक बदलाव से नियंत्रित की जाती है.
डायबिटीज़ का मानदंड
एक स्वस्थ व्यक्ति की फास्टिंग शुगर (खाने के कम से कम आठ घंटे बाद) 100 mg/dL तक,
और भोजन खाने के 2 घंटे बाद की रक्त शुगर 140mg/dL के नीचे पायी जाती है. (1)
डायबिटीज तब मानी जाती है जब दो अलग अलग दिनों पर,
शरीर में रक्तशुगर की मात्रा खाली पेट 126 से अधिक तथा भोजन करने बाद 200 से अधिक निकले.
डायबिटीज में, हमारे शरीर की रक्तशुगर पूर्णरूप एवं प्रभावी तरीके से कोशिकाओं तक नहीं पहुँच पाती,
जिस कारण कोशिकाओं को कम उर्जा मिलती है.
उर्जा की इसी कमी के कारण डायबिटीज में कमज़ोरी का आभास होता है.(2)
डायबिटीज के पहले की स्थिति को Pre-diabetic कहते हैं.
जब अलग अलग दो मौकों पर, शुगर की मात्रा स्वस्थ उच्चतम स्तर से अधिक लेकिन डायबिटिक स्तर के नीचे मिले;
यानी खाली पेट 100 से 125 तक, तथा भोजन बाद 140 से लेकर 199 तक.
Pre-diabetic विसंगति कुछ महीनों या सालों तक चलती रहती है, तथा ये डायबिटीज की पूर्व चेतावनी है.
इसे खानपान व जीवन शैली में बदलाव कर सामान्य किया जा सकता है; नहीं तो देर सवेर यह पूर्ण रूप से डायबिटीज़ में बदल जाती है. (2)
दुनिया एवं भारत में डायबिटीज़
अंतराष्ट्रीय डायबिटिक एसोसिएशन के 2013 के अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में 38.10 करोड़ डायबिटीज के मरीज़ हैं.
2030 तक ये संख्या दोगुनी हो जाने का अंदेशा है.
2010 तक भारत को दुनिया का सर्वाधिक डायबिटीज ग्रस्त देश होने का दर्ज़ा प्राप्त था.
ये दर्जा अब चीन को प्राप्त हो गया है.
2013 में, हमारे देश में लगभग साढ़े छ: करोड़ लोग इस से ग्रस्त पाए गए.
एक अनुमान के मुताबिक हर वर्ष लगभग 10 लाख लोगों की इस रोग के कारण मृत्यु भी हो जाती है. (3)
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